रायपुर : जनता कर्फ्यू को आज 2 साल पूरे हो गए (Janata Curfew completes two years) हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 22 मार्च 2020 को देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया था. देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को कम करने के लिए जनता कर्फ्यू लगा था. लेकिन लॉकडाउन के कारण (due to lockdown) देश में सभी चीजें प्रभावित हुई. आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ लोगों का जनजीवन भी प्रभावित हुआ. कई ऐसी भयावह स्थितियां देखने को मिली जिसे याद करके लोग इसे काले दिन के रूप में भी देखते हैं. हालांकि इस दिन प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए खुद को घरों में कैद कर लिया था. जनता कर्फ्यू के 2 साल पूरे होने पर ईटीवी भारत ने आम जनता से बातचीत की और उनकी प्रतिक्रिया जानी.
'पिछली बातें यादकर कांप जाती है रूह'
पार्षद सुशीला धीवर का कहना है कि उस दिन को सोचती हूँ , रूह कांप जाती है, कोरोना महामारी की स्थिति ऐसी थी कि कॉलोनी-मोहल्लों से एक साथ 20-25 लाशें निकलती थीं. श्मशान घाट में लाइन लगाना पड़ता था, स्थिति यह हो गई थी हर घर से कोई ना कोई हॉस्पिटल में एडमिट हो रहा था. प्रधानमंत्री के आह्वान पर देशवासियों ने उनकी बातों को माना , आज छत्तीसगढ़ के बात करें तो यहां अब 95% वैक्सीनेशन हो चुका है लोग कोरोना के प्रति जागरूक हुए है. लोगों का जनजीवन वापस पटरी पर लौटा है. स्थितियां बदली है, और आज हम खुले स्वछंद वातावरण में रह रहे हैं.
'महामारी से निपटना किसी जंग से कम ना था'
अधिवक्ता ऋतु बुन्देल का कहना है कि सरकार ने कर्फ्यू की शुरुआत की थी. महामारी का प्रकोप इतना भयानक था कि यह एक जंग से कम नही था. जिसे जनता ने जीता भी है, आज भी कोरोना संक्रमण खत्म नही हुआ है, और भयावह स्थिति ना आए उसके लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना पड़ेगा. कोरोना संक्रमण आया इसमें हर परिवार में बुरी स्थिति देखी है. लोगों की रोजी रोटी प्रभावित हुई है. लोगों के हाथों से रोजगार छिन गए . हर परिवार में किसी ने अपने को खोया है. किसी का परिवार अनाथ हो गया जिसमें सिर्फ बच्चे की रह गए है. वह स्थिति दोबारा ना आए इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने जनता को जागरूक करने का कार्य किया.
'महामारी से निपटने लोगों ने दिखाई एकजुटता'
विजय डागा का कहना है कि ''वह बेहद खतरनाक समय था. कोरोना काल से हर समझदार व्यक्ति ने इसे जाना और समझा है. कोरोना संक्रमण के दौरान सभी लोगों ने एकजुटता दिखाई. इस महामारी से लड़ने के लिए लोग आगे आए. चाहे वह जिला प्रशासन , स्वास्थ्य कर्मी, समाज सेवी संस्थाएं हो सभी लोगों ने एकजुटता के साथ काम करके एक दूसरे की सहायता की. यह दिन कभी नही भुलाया जा सकता. हर कोई भगवान से यही प्रार्थना करेगा कि ऐसी स्थिति दोबारा पैदा ना हो. हम आशा करते है कि ऐसी स्थिति दोबारा ना आए और सभी सुरक्षित रहे''
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'इस दिन पूरा देश थम गया'
रायपुर कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड 3 के पद पर कार्यरत श्वेता टंडन का कहना है कि ''आज के दिन दो साल पहले पहली बार हमने रायपुर शहर में इतना बड़ा लॉकडॉउन देखा. जनता कर्फ्यू के दौरान पूरा शहर और पूरा देश थम गया था. इस दिन को ऐतिहासिक रूप से याद किया जाएगा. लेकिंन सभी के सहयोग से हमारा देश भयावह स्थिति से निपटा है. आज हम सामान्य दिनचर्या से अपना जीवन जी रहे है. आज हमें बहुत अच्छा लग रहा है लेकिंन लॉक डाउन के दौरान की स्थितियों को याद करते हैं तो बहुत डर लगता है. ''