ETV Bharat / city

Diwali 2021: कामधेनु गाय का क्या है महत्व ? आप भी जानिए - शास्त्रों

कामधेनु (Kamdhenu) हिन्दू धर्म (Hindu religion) में एक देवी हैं. इनका स्वरूप गाय का है. शास्त्रों में इन्हें 'सुरभि' भी कहा गया है. कामधेनु जिसके पास होती हैं, वह जो कुछ कामना करता है उसे वह मिल जाता है. इनके जन्म के बारे में कई कथाएं मशहूर हैं. आप भी जानिए...

importance of kamdhenu cow
कामधेनु गाय का क्या महत्त्व है
author img

By

Published : Oct 31, 2021, 9:55 PM IST

Updated : Nov 1, 2021, 12:21 PM IST

रायपुर/हैदराबादः कामधेनु हिन्दू धर्म में एक देवी हैं. इनका स्वरूप गाय का है. शास्त्रों में इन्हें 'सुरभि' भी कहा गया है. कामधेनु जिसके पास होती हैं, वह जो कुछ कामना करता है उसे वह मिल जाता है. इनके जन्म के बारे में अलग-अलग कथाएं हैं. एक कथा के अनुसार यह समुद्र मंथन से निकली थीं. इनकी बेटी का नाम नन्दिनी है. इनसे ही महिष और गौ वंश का जन्म हुआ है. इन्हें महर्षि कश्यप (Maharishi Kashyap) की सोलहवीं पत्नी हैं और साथ ही साथ इन्हें दक्ष और प्रसूति की कन्या कहा गया है.

पौराणिक कथाओं में कामधेनु को एक दैविक गाय (divine cow) माना गया है. यह गाय ऐसी है जिसमें सभी देवी-देवताओं (Gods and Goddesses) का वास होता है. कामधेनु को मन की निर्मलता का प्रतीक कहा गया है. इनका दूसरा नाम सुरभि है और उन्हें सभी गायों की माता होने का दर्जा प्राप्त है.

गाय का मां लक्ष्मी का स्वरुप भी माना गया है. कामधेनु गाय दैविक और चमत्कारी शक्तियोंं (miraculous powers) से भरी वो गाय हैं, जिन्हें सब गायों की माता होने का दर्जा प्राप्त है. माना जाता है कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर होते हैं. दैविक गाय में 33 कोटि देवताओं का वास है. कामधेनु गाय को प्रणाम और उनकी पूजा श्रेष्ठ माना गया है. कामधेनु को मन की निर्मलता का प्रतीक भी माना जाता है. इस चमत्कारी गाय का दूसरा नाम सुरभि भी है.

हिंदुओं में पूजनीय है गाय

देखा जाय तो हिंदू धर्म में गाय काफी पूजनीय है. सदियों से इसे एक पशु न मान कर लोग देवों के रूप में पूजते हैं. कामधेनु को एक दैविक गाय कहा गया है. शास्त्रों में भी कामधेनु गाय का जिक्र मिलता है. पुराणों के अनुसार यह चमत्कारी शक्ति वाली एक दैविक गाय थीं. कहा जाता है कि यह गाय जिसके भी पास होती है, वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाता है. मान्यता ये है कि जब देवता और राक्षस मिलकर समुद्र मंथन किया. इसमें से प्राप्त 14 मूल्यवान वस्तुओं में एक कामधेनु गाय भी थी. जिन्हें सभी देवताओं ने प्रणाम किया था. इन्हें स्वर्ग में रहने वाली गाय भी माना जाता है.

Govardhan Puja 2021: जानिए गोवर्धन पूजा का महत्त्व और विधि...

कई कहानियां हैं मशहूर

पुराणों में कामधेनु गाय को लेकर कई कथाएं हैं. इनमें कुछ कहानियां ज्यादा मशहूर हैं. इसमें पहली यह है कि चमत्कारी शक्तियों वाली कामधेनु गाय को हर कोई पाना चाहता था. माना गया कि यह गाय जिसके भी पास होगी, वह सबसे शक्तिशाली होगा. सबसे पहले यह गाय ऋषि वशिष्ठ के पास थी. उनसे कामधेनु को पाने के लिए कई लोगों ने युद्ध किया. एक बार ऋषि विश्वामित्र भी गुस्से में आकर ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए उनके आश्रम पहुंच गए थे.अंत में वे हारकर वापस लौट गए.

एक अन्य कथा के अनुसार कामधेनु गाय भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के पास थी. जब राजा सहस्त्रार्जुन को गाय के बारे में पता चला तो वह ऋषि जमदग्नि के आश्रम पर गाय को पाने के लिए आक्रमण कर दिया. राजा ने ऋषि जमदग्नि का आश्रम ध्वस्त कर दिया. इससे दुखी कामधेनु गाय स्वर्ग की ओर चली गई. भगवान परशुराम को सारी सच्चाई मालूम हुई. उन्होंने राजा सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया.

अमृत के समान है दूध

माना जाता है कि कामधेनु गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है. यहां कोटि का अर्थ प्रकार से है. यानी कामधेनु गाय में 33 तरह के देवी-देवताओं का वास है. इनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार देवी-देवता हैं. दैवीय शक्तियों से संपन्न कामधेनु गाय का दूध अमृत के समान माना जाता था.

पूजा से खुश हो जाते हैं सभी देवी-देवता

धर्म शास्त्रों में कामधेनु गाय को देवता तुल्य माना गया है. मान्यता है कि केवल कामधेनु गाय की उपासना से सभी देवी-देवता खुश हो जाते हैं. आप भी एक साथ सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद चाहते हैं तो प्रातः स्नान करके गौ-माता पर पवित्र गंगा जल का छिड़काव करें. अक्षत और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चन करें. कामधेनु गाय को प्रसाद का भोग लगाएं.

रायपुर/हैदराबादः कामधेनु हिन्दू धर्म में एक देवी हैं. इनका स्वरूप गाय का है. शास्त्रों में इन्हें 'सुरभि' भी कहा गया है. कामधेनु जिसके पास होती हैं, वह जो कुछ कामना करता है उसे वह मिल जाता है. इनके जन्म के बारे में अलग-अलग कथाएं हैं. एक कथा के अनुसार यह समुद्र मंथन से निकली थीं. इनकी बेटी का नाम नन्दिनी है. इनसे ही महिष और गौ वंश का जन्म हुआ है. इन्हें महर्षि कश्यप (Maharishi Kashyap) की सोलहवीं पत्नी हैं और साथ ही साथ इन्हें दक्ष और प्रसूति की कन्या कहा गया है.

पौराणिक कथाओं में कामधेनु को एक दैविक गाय (divine cow) माना गया है. यह गाय ऐसी है जिसमें सभी देवी-देवताओं (Gods and Goddesses) का वास होता है. कामधेनु को मन की निर्मलता का प्रतीक कहा गया है. इनका दूसरा नाम सुरभि है और उन्हें सभी गायों की माता होने का दर्जा प्राप्त है.

गाय का मां लक्ष्मी का स्वरुप भी माना गया है. कामधेनु गाय दैविक और चमत्कारी शक्तियोंं (miraculous powers) से भरी वो गाय हैं, जिन्हें सब गायों की माता होने का दर्जा प्राप्त है. माना जाता है कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर होते हैं. दैविक गाय में 33 कोटि देवताओं का वास है. कामधेनु गाय को प्रणाम और उनकी पूजा श्रेष्ठ माना गया है. कामधेनु को मन की निर्मलता का प्रतीक भी माना जाता है. इस चमत्कारी गाय का दूसरा नाम सुरभि भी है.

हिंदुओं में पूजनीय है गाय

देखा जाय तो हिंदू धर्म में गाय काफी पूजनीय है. सदियों से इसे एक पशु न मान कर लोग देवों के रूप में पूजते हैं. कामधेनु को एक दैविक गाय कहा गया है. शास्त्रों में भी कामधेनु गाय का जिक्र मिलता है. पुराणों के अनुसार यह चमत्कारी शक्ति वाली एक दैविक गाय थीं. कहा जाता है कि यह गाय जिसके भी पास होती है, वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाता है. मान्यता ये है कि जब देवता और राक्षस मिलकर समुद्र मंथन किया. इसमें से प्राप्त 14 मूल्यवान वस्तुओं में एक कामधेनु गाय भी थी. जिन्हें सभी देवताओं ने प्रणाम किया था. इन्हें स्वर्ग में रहने वाली गाय भी माना जाता है.

Govardhan Puja 2021: जानिए गोवर्धन पूजा का महत्त्व और विधि...

कई कहानियां हैं मशहूर

पुराणों में कामधेनु गाय को लेकर कई कथाएं हैं. इनमें कुछ कहानियां ज्यादा मशहूर हैं. इसमें पहली यह है कि चमत्कारी शक्तियों वाली कामधेनु गाय को हर कोई पाना चाहता था. माना गया कि यह गाय जिसके भी पास होगी, वह सबसे शक्तिशाली होगा. सबसे पहले यह गाय ऋषि वशिष्ठ के पास थी. उनसे कामधेनु को पाने के लिए कई लोगों ने युद्ध किया. एक बार ऋषि विश्वामित्र भी गुस्से में आकर ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए उनके आश्रम पहुंच गए थे.अंत में वे हारकर वापस लौट गए.

एक अन्य कथा के अनुसार कामधेनु गाय भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के पास थी. जब राजा सहस्त्रार्जुन को गाय के बारे में पता चला तो वह ऋषि जमदग्नि के आश्रम पर गाय को पाने के लिए आक्रमण कर दिया. राजा ने ऋषि जमदग्नि का आश्रम ध्वस्त कर दिया. इससे दुखी कामधेनु गाय स्वर्ग की ओर चली गई. भगवान परशुराम को सारी सच्चाई मालूम हुई. उन्होंने राजा सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया.

अमृत के समान है दूध

माना जाता है कि कामधेनु गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है. यहां कोटि का अर्थ प्रकार से है. यानी कामधेनु गाय में 33 तरह के देवी-देवताओं का वास है. इनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार देवी-देवता हैं. दैवीय शक्तियों से संपन्न कामधेनु गाय का दूध अमृत के समान माना जाता था.

पूजा से खुश हो जाते हैं सभी देवी-देवता

धर्म शास्त्रों में कामधेनु गाय को देवता तुल्य माना गया है. मान्यता है कि केवल कामधेनु गाय की उपासना से सभी देवी-देवता खुश हो जाते हैं. आप भी एक साथ सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद चाहते हैं तो प्रातः स्नान करके गौ-माता पर पवित्र गंगा जल का छिड़काव करें. अक्षत और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चन करें. कामधेनु गाय को प्रसाद का भोग लगाएं.

Last Updated : Nov 1, 2021, 12:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.