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कौन लेने वाला है सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा ? - Leader of Opposition Dharamlal Kaushik

10 जून को हरियाणा और राजस्थान के लिए राज्यसभा में वोटिंग होगी. इससे पहले छत्तीसगढ़ के दो दिग्गजों को सीटें बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई (Impact of Rajya Sabha elections in Chhattisgarh ) है.

Impact of Rajya Sabha elections in Chhattisgarh
सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा
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Published : Jun 6, 2022, 6:39 PM IST

Updated : Jun 7, 2022, 9:59 AM IST

रायपुर : कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) को हरियाणा और टीएस सिंहदेव को राजस्थान का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर बघेल और सिंहदेव को ही यह जिम्मेदारी क्यों दी गई है? क्या अब भी सिंहदेव के आगामी दिनों में मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाएं बरकरार हैं? क्या हाईकमान इन दोनों नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर अग्नि परीक्षा ले रहा है? ऐसे कई सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. ईटीवी भारत ने कांग्रेस, बीजेपी सहित राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार से चर्चा की.

सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा

''आलाकमान दोनों नेताओं के साथ खेल रहा खेल'' : छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP spokesperson Sanjay Srivastava) का कहना है कि ''कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ के दोनों नेताओं के साथ खेल रहा है. यह दोनों खिलाड़ी अपनी विश्वसनीयता गांधी परिवार के सामने बनाने में व्यस्त हैं. जिस वजह से यह सरकार छत्तीसगढ़ की जनता की देखभाल नहीं कर पा रही है. दोनों नेताओं की प्राथमिकता छत्तीसगढ़ के लिए समाप्त हो चुकी है. पर्यवेक्षक बनाए जाने के बावजूद इनके हाथ में कुछ नहीं आता है.''

'' छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेताओं को केंद्र ने नकारा'' : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि '' भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के सारे नेताओं को नकार दिया है. रमन सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन आज तक उन्हें किसी भी स्टेट की जिम्मेदारी नहीं दी गई. यहां तक की केंद्रीय भाजपा की चुनाव प्रचार सूची में रमन सिंह गायब रहते हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के नेताओं को बराबर एक के बाद एक जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरियाणा जैसे राज्य की जिम्मेदारी दी गई है. टी एस सिंह देव को राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है.''

जिसने ठाना है वो करेगा क्रॉस वोटिंग : नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Leader of Opposition Dharamlal Kaushik) ने कहा कि ''कांग्रेस नेतृत्व अपना विश्वास खो चुका है. इसलिए पार्टी को जनप्रतिनिधियों पर और जनप्रतिनिधियों को पार्टी पर भरोसा नहीं है. वे लोग भयभीत हैं. जिस वजह से उन विधायकों को छत्तीसगढ़ पर्यटन के लिए लाया गया. एक ओर राज्य सरकार कहती है कि विकास कार्यों के लिए राशि की कमी है लेकिन फिजूलखर्ची के लिए राज्य सरकार के पास काफी पैसा है.''


रविंद्र चौबे ने दिया जवाब : कांग्रेस सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि '' हरियाणा के विधायक छत्तीसगढ़ आए हुए हैं. मुख्यमंत्री उनसे जाकर भेंट मुलाकात करेंगे .हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को जो समर्थन चाहिए, उतने विधायकों का समर्थन मिलेगा. हरियाणा में जो जीत के आंकड़े हैं, उतना समर्थन कांग्रेस को प्राप्त है. लेकिन पूर्व में देखा गया है कि भाजपाई विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसी बातें करते हैं. गोवा में भारतीय जनता पार्टी की संख्या दहाई भी नहीं पहुंची थी लेकिन अमित शाह वहां सरकार बनाने में सफल रहे.''

सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा

सीएम बदलाव की संभावना कम : वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि '' सीएम बदलने का कांग्रेस हाईकमान और विधायकों का अधिकार है, फिलहाल राजनीतिक तौर पर ऐसी कोई संभावना इस प्रदेश में नहीं दिख रही है. शायद हाईकमान की भी ऐसी कोई मंशा नहीं होगी. दोनों बड़े नेता हैं. इसलिए विश्वास के साथ कांग्रेस हाईकमान ने इन्हें यह जवाबदारी सौंपी है. अपनी जिम्मेदारी पर खरे उतर कर कॉन्ग्रेस हाईकमान का विश्वास हासिल करेंगे.''

किसने बिगाड़ा हरियाणा का खेल : कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन को टिकट दिया है. वहीं भाजपा ने कृष्णलाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोका है. कार्तिकेय को जननायक जनता पार्टी और निर्दलियों का समर्थन हासिल है. हरियाणा विधानसभा में 90 सीट हैं. ऐसे में राज्यसभा में जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत होगी ही. कांग्रेस के पास वहां 31 विधायक हैं. लेकिन कार्तिकेय शर्मा की दावेदारी ने पेंच फंसा दिया है.

राजस्थान में किसने फंसाया पेंच : राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. सत्ताधारी कांग्रेस ने वहां से मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी को टिकट दिया है. भाजपा के समर्थन से मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भी वहां ताल ठोक दी है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में किसी प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 41 वोट चाहिए. 108 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीटों पर आराम से जीत रही है. वहीं 71 विधायकों वाली भाजपा एक सीट आराम से जीतेगी. चौथी सीट के लिए कांग्रेस के पास 26 और भाजपा के पास 30 वोट बच रहे हैं. कांग्रेस को बसपा के बागी विधायकों और निर्दलियों से वोट की उम्मीद है. वहीं भाजपा कांग्रेस नेताओं पर भी डोरे डाल रही है.

ये भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर, बघेल और सिंहदेव तोड़ेंगे ये चक्रव्यूह !

छत्तीसगढ़ में राज्यसभा चुनाव का असर : कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के इन दोनों नेताओं को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. जिसमें कौन सफल होगा और कौन असफल. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना जरूर है कि इस जिम्मेदारी के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सुगबुगाहट है कि हाईकमान अब भी दोनों को एक समान आंक रही है. यही वजह कि दोनों को एक बराबर जवाबदारी सौंपी गई है. इस बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि जिस तरह पूर्व में कांग्रेस के द्वारा अन्य प्रदेशों जैसे पंजाब में चुनाव के चंद महीने पहले मुख्यमंत्री बदल दिया गया था तो क्या आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ में भी चुनाव के पहले मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं . ऐसे कई कयास और सवाल हैं जिसका जवाब तो समय ही देगा.

रायपुर : कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) को हरियाणा और टीएस सिंहदेव को राजस्थान का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर बघेल और सिंहदेव को ही यह जिम्मेदारी क्यों दी गई है? क्या अब भी सिंहदेव के आगामी दिनों में मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाएं बरकरार हैं? क्या हाईकमान इन दोनों नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर अग्नि परीक्षा ले रहा है? ऐसे कई सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की. ईटीवी भारत ने कांग्रेस, बीजेपी सहित राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार से चर्चा की.

सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा

''आलाकमान दोनों नेताओं के साथ खेल रहा खेल'' : छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP spokesperson Sanjay Srivastava) का कहना है कि ''कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ के दोनों नेताओं के साथ खेल रहा है. यह दोनों खिलाड़ी अपनी विश्वसनीयता गांधी परिवार के सामने बनाने में व्यस्त हैं. जिस वजह से यह सरकार छत्तीसगढ़ की जनता की देखभाल नहीं कर पा रही है. दोनों नेताओं की प्राथमिकता छत्तीसगढ़ के लिए समाप्त हो चुकी है. पर्यवेक्षक बनाए जाने के बावजूद इनके हाथ में कुछ नहीं आता है.''

'' छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेताओं को केंद्र ने नकारा'' : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि '' भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के सारे नेताओं को नकार दिया है. रमन सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन आज तक उन्हें किसी भी स्टेट की जिम्मेदारी नहीं दी गई. यहां तक की केंद्रीय भाजपा की चुनाव प्रचार सूची में रमन सिंह गायब रहते हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के नेताओं को बराबर एक के बाद एक जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरियाणा जैसे राज्य की जिम्मेदारी दी गई है. टी एस सिंह देव को राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है.''

जिसने ठाना है वो करेगा क्रॉस वोटिंग : नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Leader of Opposition Dharamlal Kaushik) ने कहा कि ''कांग्रेस नेतृत्व अपना विश्वास खो चुका है. इसलिए पार्टी को जनप्रतिनिधियों पर और जनप्रतिनिधियों को पार्टी पर भरोसा नहीं है. वे लोग भयभीत हैं. जिस वजह से उन विधायकों को छत्तीसगढ़ पर्यटन के लिए लाया गया. एक ओर राज्य सरकार कहती है कि विकास कार्यों के लिए राशि की कमी है लेकिन फिजूलखर्ची के लिए राज्य सरकार के पास काफी पैसा है.''


रविंद्र चौबे ने दिया जवाब : कांग्रेस सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि '' हरियाणा के विधायक छत्तीसगढ़ आए हुए हैं. मुख्यमंत्री उनसे जाकर भेंट मुलाकात करेंगे .हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को जो समर्थन चाहिए, उतने विधायकों का समर्थन मिलेगा. हरियाणा में जो जीत के आंकड़े हैं, उतना समर्थन कांग्रेस को प्राप्त है. लेकिन पूर्व में देखा गया है कि भाजपाई विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसी बातें करते हैं. गोवा में भारतीय जनता पार्टी की संख्या दहाई भी नहीं पहुंची थी लेकिन अमित शाह वहां सरकार बनाने में सफल रहे.''

सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की अग्नि परीक्षा

सीएम बदलाव की संभावना कम : वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि '' सीएम बदलने का कांग्रेस हाईकमान और विधायकों का अधिकार है, फिलहाल राजनीतिक तौर पर ऐसी कोई संभावना इस प्रदेश में नहीं दिख रही है. शायद हाईकमान की भी ऐसी कोई मंशा नहीं होगी. दोनों बड़े नेता हैं. इसलिए विश्वास के साथ कांग्रेस हाईकमान ने इन्हें यह जवाबदारी सौंपी है. अपनी जिम्मेदारी पर खरे उतर कर कॉन्ग्रेस हाईकमान का विश्वास हासिल करेंगे.''

किसने बिगाड़ा हरियाणा का खेल : कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन को टिकट दिया है. वहीं भाजपा ने कृष्णलाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोका है. कार्तिकेय को जननायक जनता पार्टी और निर्दलियों का समर्थन हासिल है. हरियाणा विधानसभा में 90 सीट हैं. ऐसे में राज्यसभा में जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत होगी ही. कांग्रेस के पास वहां 31 विधायक हैं. लेकिन कार्तिकेय शर्मा की दावेदारी ने पेंच फंसा दिया है.

राजस्थान में किसने फंसाया पेंच : राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. सत्ताधारी कांग्रेस ने वहां से मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी को टिकट दिया है. भाजपा के समर्थन से मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भी वहां ताल ठोक दी है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में किसी प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 41 वोट चाहिए. 108 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीटों पर आराम से जीत रही है. वहीं 71 विधायकों वाली भाजपा एक सीट आराम से जीतेगी. चौथी सीट के लिए कांग्रेस के पास 26 और भाजपा के पास 30 वोट बच रहे हैं. कांग्रेस को बसपा के बागी विधायकों और निर्दलियों से वोट की उम्मीद है. वहीं भाजपा कांग्रेस नेताओं पर भी डोरे डाल रही है.

ये भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर, बघेल और सिंहदेव तोड़ेंगे ये चक्रव्यूह !

छत्तीसगढ़ में राज्यसभा चुनाव का असर : कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के इन दोनों नेताओं को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. जिसमें कौन सफल होगा और कौन असफल. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना जरूर है कि इस जिम्मेदारी के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सुगबुगाहट है कि हाईकमान अब भी दोनों को एक समान आंक रही है. यही वजह कि दोनों को एक बराबर जवाबदारी सौंपी गई है. इस बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि जिस तरह पूर्व में कांग्रेस के द्वारा अन्य प्रदेशों जैसे पंजाब में चुनाव के चंद महीने पहले मुख्यमंत्री बदल दिया गया था तो क्या आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ में भी चुनाव के पहले मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं . ऐसे कई कयास और सवाल हैं जिसका जवाब तो समय ही देगा.

Last Updated : Jun 7, 2022, 9:59 AM IST
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