रायपुर: पोस्ट कोविड मरीजों (post covid patients) में मानसिक रोग की समस्या काफी देखने को मिल रही है. कई लोग डिप्रेशन (depression) के शिकार हो रहे हैं तो कई बार डिमेंशिया (dementia) और नींद ना आने (sleeplessness) की समस्या भी लोगों को हो रही है. हर साल 10 अक्टूबर (10 October) को पूरे विश्व में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को मानसिक रोग के बारे में जागरूक करना है. 1992 में पहली बार वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया गया था. यूनाइटेड नेशन के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मेंटल हेल्थ की पहल पर सबसे पहले इस दिन को मनाया गया था. वहीं वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर इस बार की थीम पूरे विश्व में हर एक उम्र और हर एक वर्ग के लोगों को मेंटल हेल्थ के बारे में जागरूक करना है.
हेल्थ सेक्टर में तकनीक निभा रही अहम भूमिका
आज के समय में टेक्नोलॉजी भी इलाज(Technology helps in treatment) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. पहले हमें हर बीमारी के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता था. वहीं आज के समय में मोबाइल और इंटरनेट (mobile and Internet) के माध्यम से सभी तरह का इलाज संभव हो गया है. वहीं जो लोग ग्रामीण अंचलों में रहते हैं वह भी आज मोबाइल के माध्यम से शहरी डॉक्टर के साथ आसानी से जुड़कर अपनी समस्या बता सकते हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉक्टर सुरभि दुबे से खास बातचीत की है. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा ?
टेक्नोलॉजी के माध्यम से डॉक्टर दूर दराज तक पहुंचा रहे इलाज
डॉक्टर सुरभि दुबे (Dr Surbhi Dubey) ने कहा कि, पोस्ट कोविड मरीजों में मानसिक रोग की समस्या देखने को मिली है. एक आंकड़ों के मुताबिक 4 में से 1 पोस्ट कोविड मरीज में कोई न कोई मानसिक समस्या सामने आई है. एंग्जाइटी , डिप्रेशन , पैनिक अटैक , नींद की कमी इस तरह की समस्याएं पोस्ट कोविड मरीजों को देखने को मिल रही है. हाल के दिनों में इस तरह के मरीजों का इलाज डॉक्टरो ने आनलाइन माध्यम से भी किया है.
इलाज के लिए तकनीक की ली जा रही मदद
लॉकडाउन के समय मनोचिकित्सक की पूरी टीम अपना काम निरंतर रूप से कर रहे थे. टेक्नोलॉजी के माध्यम से यह सारे डॉक्टर प्राथमिक चिकित्सा लोगों को मुहैया करा रहे थे ताकि ट्रीटमेंट के अभाव में उन्हें कोई परेशानी ना हो सके. डॉक्टर ऑनलाइन सेवा जारी रखे हुए थे. जिसके माध्यम से उन्होंने कई मरीजों का इलाज किया.
'ऑनलाइन की तुलना में आमने-सामने बैठकर इलाज करना ज्यादा अच्छा'
फिजिकल ट्रीटमेंट बहुत ही जरूरी है हर जगह डॉक्टर यही प्रमोट करते हैं कि आप खुद आए हॉस्पिटल और पेशेंट डॉक्टर से खुद मिले जिससे डॉक्टर उसका इलाज और अच्छे से कर सके. लेकिन इमरजेंसी के समय टेक्नोलॉजी ने हमें एक अल्टरनेटिव दिया है. मान लीजिए ग्रामीण क्षेत्र का कोई व्यक्ति शहर के हॉस्पिटल में इलाज कराने नहीं आ पा रहे हैं और प्राथमिक इलाज मरीज का जरूरी है. उस समय टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है. मोबाइल के माध्यम से डॉक्टर से वह ऑनलाइन कंसल्टेशन ले सकता है. टेक्नोलॉजी ने इस तरह की सुविधा लोगों को आज मुहैया कराई है. लेकिन आपको फिजिकल ट्रीटमेंट के लिए बाद में हॉस्पिटल में आना ही होगा.
कभी भी मोबाइल डॉक्टर को रिप्लेस नहीं कर सकता, डॉक्टर मोबाइल से किसी भी मरीज को प्राथमिक उपचार मुहैया करा सकते हैं. लेकिन फिजिकल ट्रीटमेंट बहुत जरूरी होता है. प्राथमिक इलाज मरीज को कुछ समय तक के लिए ठीक कर देता है. लेकिन जब तक फिजिकली मरीज डॉक्टर से मिलकर अपना जांच नहीं करवाता तब तक समस्या बनी रहती है.