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संतान की लंबी आयु के लिए कीजिए हल षष्ठी व्रत 2022

छत्तीसगढ़ में हल षष्ठी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती है. इस दिन हल की पूजा की जाती है. मुख्यता ये व्रत संतान के लिए किया जाता है.

hal shashthi 2022
हल षष्ठी 2022
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Published : Aug 16, 2022, 9:10 AM IST

Updated : Aug 16, 2022, 11:33 AM IST

रायपुर: हलषष्ठी, कमरछठ, हरछठ, ललहीछठ और बलराम जयंती, भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है. यह पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती के तौर पर भी याद किया जाता है. इस दिन हल की पूजा की जाती है. इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख शांति, समृद्धि, ऐश्वर्य और कीर्ति के लिए उपवास या व्रत रखती हैं. भाद्रपद मास की षष्ठी 17 अगस्त बुधवार को हल षष्ठी मनाई जाएगी.

हलषष्ठी शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू: 16 अगस्त मंगलवार रात 8 बजकर 19 मिनट से शुरू हो जाएगी

कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि अंत: 17 अगस्त बुधवार रात 9 बजकर 21 मिनट पर षष्टी खत्म हो जाएगी.

उदय तिथि के आधार पर 17 अगस्त को हलषष्टी मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी पर माखन का भोग लगाना ना भूलें

हलषष्ठी के व्रत में महिलाएं भैंस के दूध दही और घी का करती है उपयोग

इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपने संतानों की शुभ कामना करते हुए भगवान की आराधना करती है. साथ ही स्तुति करते हुए निराहार व्रत रखती हैं. प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है. इस दिन हल की भी पूजा करने का विधान है और हल से उत्पन्न हुए अन्य को नहीं खाने का विधान है.

kajari teej 2021: आज कजरी तीज का पावन पर्व, जानिए शुभ मुहुर्त और पूजा विधि

कई जगह इस दिन हल को आराम दिया जाता है. माताएं इस दिन भैंस के दूध दही और घी का उपयोग करती हैं. इस दिन पर चावल, दही, लाई 6 तरह की भाजियों और महुआ के फल को खाने का विधान है. 6 तरह के दलहन का भी उपयोग किया जाता है. इस दिन 6 की संख्या का बड़ा महत्व है. आज के शुभ दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग भी बन रहा है.

माताएं पीठ थपथपा कर देती है आशीर्वाद

माताएं इस दिन भीगे हुए कपड़े से 6 बार संतान की पीठ पर थपथपा कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती है. इससे संतान की अला बला और मुश्किलें दूर हो जाती हैं.

रायपुर: हलषष्ठी, कमरछठ, हरछठ, ललहीछठ और बलराम जयंती, भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है. यह पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती के तौर पर भी याद किया जाता है. इस दिन हल की पूजा की जाती है. इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख शांति, समृद्धि, ऐश्वर्य और कीर्ति के लिए उपवास या व्रत रखती हैं. भाद्रपद मास की षष्ठी 17 अगस्त बुधवार को हल षष्ठी मनाई जाएगी.

हलषष्ठी शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू: 16 अगस्त मंगलवार रात 8 बजकर 19 मिनट से शुरू हो जाएगी

कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि अंत: 17 अगस्त बुधवार रात 9 बजकर 21 मिनट पर षष्टी खत्म हो जाएगी.

उदय तिथि के आधार पर 17 अगस्त को हलषष्टी मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी पर माखन का भोग लगाना ना भूलें

हलषष्ठी के व्रत में महिलाएं भैंस के दूध दही और घी का करती है उपयोग

इस दिन सौभाग्यवती माताएं अपने संतानों की शुभ कामना करते हुए भगवान की आराधना करती है. साथ ही स्तुति करते हुए निराहार व्रत रखती हैं. प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है. इस दिन हल की भी पूजा करने का विधान है और हल से उत्पन्न हुए अन्य को नहीं खाने का विधान है.

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कई जगह इस दिन हल को आराम दिया जाता है. माताएं इस दिन भैंस के दूध दही और घी का उपयोग करती हैं. इस दिन पर चावल, दही, लाई 6 तरह की भाजियों और महुआ के फल को खाने का विधान है. 6 तरह के दलहन का भी उपयोग किया जाता है. इस दिन 6 की संख्या का बड़ा महत्व है. आज के शुभ दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग भी बन रहा है.

माताएं पीठ थपथपा कर देती है आशीर्वाद

माताएं इस दिन भीगे हुए कपड़े से 6 बार संतान की पीठ पर थपथपा कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती है. इससे संतान की अला बला और मुश्किलें दूर हो जाती हैं.

Last Updated : Aug 16, 2022, 11:33 AM IST
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