रायपुरः कवर्धा के मामले को लेकर प्रदेश में सियासत गरमा गई है. इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग ने कलेक्टर को पत्र लिख कर 9 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह घटना क्या थी? कैसे घटी और इसमें अब तक शासन प्रशासन की ओर से क्या कदम उठाए गए? साथ ही आने वाले समय में इसकी पुनरावृत्ति ना हो, उसे लेकर सरकार या फिर अल्पसंख्यक आयोग (Minorities Commission) क्या कदम उठा रहा है? इन सारी बातों की जानकारी दिए अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (Chairman of Minorities Commission) महेंद्र छाबड़ा ने.
आइए सुनते हैं महेंद्र छाबड़ा ने कवर्धा मामले को ले कर ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान क्या कहा...
सवाल: कवर्धा की घटना में किसकी चूक रही, जिस वजह से यह मामला इतना बढ़ गया?
जवाब : महेंद्र छाबड़ा ने बताया कि कवर्धा मामले में अल्पसंख्यक आयोग (Minorities Commission) ने संज्ञान लिया है. इस मामले में कलेक्टर को आयोग की ओर से एक पत्र लिखा गया. जिसमें 9 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है. छाबड़ा ने कहा कि उन्होंने इस पत्र के माध्यम से कलेक्टर से जानने की कोशिश की है कि विवाद की मुख्य वजह क्या थी? किन परिस्थितियों में विवाद (Controversy) हुआ? इसके बाद क्या कदम उठाए गए? विवाद को लेकर अभी वर्तमान में क्या स्थिति है? ऐसी तमाम बातों की जानकारी कलेक्टर से मांगी गई है. इस मामले में जल्द ही प्रतिवेदन प्राप्त हो जाएगा और हमारे द्वारा कहा गया है कि वहां पर इस तरह की घटना निर्मित ना हो, घटना के बाद शांति समिति की बैठक बुलाई गई या नहीं, या फिर प्रशासन की ओर से कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं? इन तमाम बातों की जानकारी भी मांगी गई है.
सवाल: इससे पहले भी कई घटनाएं हुई हैं. इस तरह की घटना छत्तीसगढ़ में शायद ही देखने को मिली हो. क्या आप मानते हैं कि इसके पीछे कोई राजनीतिक दल (political party) या संगठन शामिल है?
जवाब : महेंद्र छाबड़ा ने कहा कि निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के लोग शांत स्वभाव के हैं लेकिन उस दिन की घटना के दौरान यह बात सामने आ रही है की बहुत सारी गाड़ियां बाहर की आई थीं और उसमें बाहर के लोग पहुंचे थे. वहां 35 से अधिक संगठन ने इस बात को कलेक्टर के सामने कही है. वहां के लोगों ने कहा है कि उस दिन बाहर के लोग आए थे और इस तरह का कृत्य करके चले गए. इन्हें कौन लाया है? किसने बुलाया? यह जांच का विषय है. जांच के बाद इस मामले का भी खुलासा हो जाएगा. मामले को लेकर सरकार ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं और अल्पसंख्यक आयोग भी इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है.
सवाल: बीजेपी का आरोप है कि कवर्धा मामले को रोकने में सरकार नाकाम रही है. सड़कों पर लोग तलवार लेकर निकल रहे थे, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही?
जवाब : छाबड़ा ने कहा कि ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी रैली में शामिल हुए थे. अब वे आरोप लगा रहे हैं. इसे लेकर भी कलेक्टर से जानकारी मांगी है. कौन-कौन, क्या बोलते हैं? किन्होंने भड़काने का काम किया है. किन लोगों ने समझाने का काम किया? किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना ही रसूखदार ही क्यों ना हो.
सवाल: भाजपा (B J P) के लोगों को वहां जाने से क्यों रोक दिया गया?
जवाब : स्थानीय प्रशासन ने अल्पसंख्यक आयोग को भी जाने से रोक दिया है. परिस्थितियां ओर तात्कालिक व्यवस्था को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया है. मैंने भी अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया. जनप्रतिनिधियों और सरकार को इस बात को सोचना चाहिए कि यदि बाहर का कोई व्यक्ति वहां पहुंचता है और यदि स्थिति बिगड़ गई तो उसे संभालना मुश्किल होगा. इसलिए सभी को संयम रखना चाहिए.
सवाल: प्रदेश में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसे लेकर किस तरह की रणनीति (strategy) तैयार की जाएगी?
जवाब : छाबड़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्देश दिया है कि किसी भी जिले में इस तरह की परिस्थिति निर्मित ना हो. इसके लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए. असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाए. वातावरण बिगाड़ने वाले लोग की सूची तैयार करने की बात कही गई है।
सवाल: क्या आप मानते हैं कि किसी राजनीतिक दल के इशारे पर इस तरह की घटना हो सकती हैं?
जवाब: महेंद्र छाबड़ा ने कहा कि मैं आयोग का आध्यक्ष हूं. किसी राजनीति दल के बारे में कुछ कहना उचित नहीं होगा. हम लोग आकलन कर रहे हैं और उसके बाद सरकार को आगे अपनी अनुशंसा करके दे देंगे.
सवाल: प्रदेश की जनता से आप क्या अपील करना चाहेंगे?
जवाब : महेंद्र छाबड़ा ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव (communal harmony) को बनाए रखें. कभी भी ऐसी कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई है. ऐसी स्थिति में लोगों से प्रार्थना करता हूं कि इस तरह की स्थिति उत्पन्न ना हो. छाबड़ा ने प्रदेश वासियों से अपील की है कि कवर्धा सहित प्रदेश के किसी भी हिस्से में इस तरह की परिस्थिति निर्मित ना हो, उसके लिए लोग काम करें.