ETV Bharat / city

Ganesh Chaturthi 2021: गणपति बप्पा के सातवें अवतार हैं विघ्नराज, जानें क्यों हुए थे अवतरित - Name of Lord Ganesha

गणपति बप्पा के विघ्नराज के स्मरण मात्र से ही सारी मुश्किलें दूर हो जाती है.

Ganesh Chaturthi 2021
गणेश चतुर्थी
author img

By

Published : Sep 16, 2021, 2:35 PM IST

प्रथम पूज्य श्री गणेश के सातवें (Lord Ganesha 7th Name) अवतार हैं विघ्नराज, इन्होंने मम नाम के दैत्य को पराजित करने के लिए अवतार लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती अपनी सखियों के साथ बातें कर रही थीं, बात करते-करते वो हंस पड़ी, उनके हास्य से एक पुरुष प्रकट हुआ. उसका नाम पार्वती जी ने मम रखा. माता पार्वती ने ही मम को गणेश जी के मंत्र का ज्ञान दिया. इसके बाद मम ने गणेश जी की उपासना की, उसने श्री गणेश की सहस्र वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर मम को दर्शन दिए और मम ने पूरे ब्राह्माण्ड पर राज और युद्ध में आने वाले सभी विघ्नों से मुक्त रहने का वरदान मांगा. गणेश जी ने मम को निर्विघ्न विजय का अजीब वरदान दे दिए. वरदान पाने के बाद मम ने दैत्यों के साथ मित्रता कर ली. मम के असुर मित्र शम्बर ने अपनी पुत्री से उसका विवाह करा दिया और उसे अपना राज्य उसे सौंप दिया. साथ ही उसे दैत्यों का राजा घोषित कर दिया. इस तरह वह मामासुर बन गया. इस मैत्री के चलते मम के अत्याचार बढ़ गए और उसने तीनों लोकों को कष्ट में डाल दिया. मामासुर ने पृथ्वी, पाताल, शिवलोक, विष्णुलोक और देवलोक पर अधिकार कर लिया. सभी देवता और ऋषि-मुनि अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए श्री गणेश की शरण में पहुंचे, उनकी प्रार्थना सुन गणेश जी विघ्नराज अवतार में प्रकट हुए और उसका वध किये.

गणेश जी के अवतार विघ्नराज की महिमा

प्रथम पूज्य श्री गणेश के सातवें (Lord Ganesha 7th Name) अवतार हैं विघ्नराज, इन्होंने मम नाम के दैत्य को पराजित करने के लिए अवतार लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती अपनी सखियों के साथ बातें कर रही थीं, बात करते-करते वो हंस पड़ी, उनके हास्य से एक पुरुष प्रकट हुआ. उसका नाम पार्वती जी ने मम रखा. माता पार्वती ने ही मम को गणेश जी के मंत्र का ज्ञान दिया. इसके बाद मम ने गणेश जी की उपासना की, उसने श्री गणेश की सहस्र वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर मम को दर्शन दिए और मम ने पूरे ब्राह्माण्ड पर राज और युद्ध में आने वाले सभी विघ्नों से मुक्त रहने का वरदान मांगा. गणेश जी ने मम को निर्विघ्न विजय का अजीब वरदान दे दिए. वरदान पाने के बाद मम ने दैत्यों के साथ मित्रता कर ली. मम के असुर मित्र शम्बर ने अपनी पुत्री से उसका विवाह करा दिया और उसे अपना राज्य उसे सौंप दिया. साथ ही उसे दैत्यों का राजा घोषित कर दिया. इस तरह वह मामासुर बन गया. इस मैत्री के चलते मम के अत्याचार बढ़ गए और उसने तीनों लोकों को कष्ट में डाल दिया. मामासुर ने पृथ्वी, पाताल, शिवलोक, विष्णुलोक और देवलोक पर अधिकार कर लिया. सभी देवता और ऋषि-मुनि अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए श्री गणेश की शरण में पहुंचे, उनकी प्रार्थना सुन गणेश जी विघ्नराज अवतार में प्रकट हुए और उसका वध किये.

गणेश जी के अवतार विघ्नराज की महिमा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.