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किसानों की परेशानी के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है 'सरकार', जानिए अलग-अलग नेताओं की जुबानी

केंद्र और राज्य सरकार (central and state government) दोनों के द्वारा ही अपने आपको किसान हितैषी (farmer friendly) बताया जाता है. यह दोनों सरकारें किसानों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं का दावा भी करती हैं. फिर सवाल उठता है कि आखिर किसान लगातार आंदोलनरत (farmers are constantly agitating) क्यों है? इसके लिए कौन सी सरकार जिम्मेवार है. जब इस मसले पर ईटीवी भारत ने अलग-अलग राजनीतिक दलों और किसानों (Political parties and farmers) से बातचीत की तो पता चला कि राजनेता सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक ही अपने कर्त्तव्यों का इतिश्री समझ लेते हैं. आप भी जानिए कि इस मुद्दे पर क्या कुछ सामने आया नेताओं के बयान में..

Who is responsible for the problems of farmers
किसानों की परेशानी पर कौन जिम्मेवार
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Published : Nov 26, 2021, 9:20 PM IST

रायपुरः केंद्र और राज्य सरकार दोनों के द्वारा ही अपने आपको किसान हितैषी (farmer friendly) बताया जाता है. यह दोनों सरकारें किसानों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं (Big schemes for farmers) लाने की बात कहती हैं. किसानों को हर संभव मदद देने के दावे करती हैं. बावजूद, आज किसान सड़कों पर आंदोलनरत हैं. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कौन सी सरकार से यह किसान परेशान (Farmers upset with government) हैं? केंद्र या फिर राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेदार है? यह सवाल सभी के जेहन में उठ रहा है.

किसानों की परेशानी पर कौन जिम्मेवार

अलग-अलग मुद्दे पर खोला है मोर्चा
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, दोनों ही इनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही हैं. जहां किसान केंद्र की मोदी सरकार से एमएसपी लागू करने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं तो वहीं राज्य के किसान भूपेश सरकार से धान खरीदी 1 नवंबर से ना किए जाने, धान के अंतर की राशि एकमुश्त ना दिए जाने, बेमौसम बारिश की वजह से बर्बाद फसल का मुआवजा ना दिए जाने सहित अपनी कई मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

किसान संगठनों (Farmer's Organizations) की मानें तो केंद्र हो या फिर राज्य सरकार (central or state government), इन दोनों के कार्यकाल में उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. उसका समाधान होता नजर नहीं आ रहा. उनका कहना है कि आलम यह है कि दूरस्थ अंचलों में ना तो बिजली है, ना ही सड़क. ना ही विद्यालय की कोई व्यवस्था. जिन जगहों पर विद्यालय खोले भी गए हैं, वहां महज एक या 2 शिक्षक तैनात हैं. प्रदेश का किसान आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.

जगदलपुर के धान खरीदी केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी, सीमावर्ती इलाकों पर होगी पुलिस बल की तैनाती

जल्द पूरी की जानी चाहिए किसानों की मांग
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार को किसानों की सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए. ताकि उनकी समस्याओं का समाधान (solve problems) हो सके. हालांकि, राज्य सरकार के कार्यकाल में किसानों की परेशानियों को तिवारी ने सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि भूपेश सरकार किसान हितैषी है. किसानों की हित के लिए एक के बाद एक राज्य सरकार के द्वारा निर्णय लिए गए हैं.

पूरे देश में सबसे ज्यादा धान की कीमत राज्य की भूपेश सरकार दे रही है. धान की खेती में हो रही देरी को लेकर तिवारी ने बदले मौसम चक्र को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि बारिश का मौसम 2 महीने आगे खिसक गया है. इस वजह से सरकार ने 1 नवंबर की जगह 1 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया है. बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद होने को लेकर घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि इसकी एक प्रक्रिया है. उस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है और उसी के तहत आने वाले समय में किसानों को मुआवजा भी दिया जाएगा.

रायपुरः केंद्र और राज्य सरकार दोनों के द्वारा ही अपने आपको किसान हितैषी (farmer friendly) बताया जाता है. यह दोनों सरकारें किसानों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं (Big schemes for farmers) लाने की बात कहती हैं. किसानों को हर संभव मदद देने के दावे करती हैं. बावजूद, आज किसान सड़कों पर आंदोलनरत हैं. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कौन सी सरकार से यह किसान परेशान (Farmers upset with government) हैं? केंद्र या फिर राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेदार है? यह सवाल सभी के जेहन में उठ रहा है.

किसानों की परेशानी पर कौन जिम्मेवार

अलग-अलग मुद्दे पर खोला है मोर्चा
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, दोनों ही इनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही हैं. जहां किसान केंद्र की मोदी सरकार से एमएसपी लागू करने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं तो वहीं राज्य के किसान भूपेश सरकार से धान खरीदी 1 नवंबर से ना किए जाने, धान के अंतर की राशि एकमुश्त ना दिए जाने, बेमौसम बारिश की वजह से बर्बाद फसल का मुआवजा ना दिए जाने सहित अपनी कई मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

किसान संगठनों (Farmer's Organizations) की मानें तो केंद्र हो या फिर राज्य सरकार (central or state government), इन दोनों के कार्यकाल में उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. उसका समाधान होता नजर नहीं आ रहा. उनका कहना है कि आलम यह है कि दूरस्थ अंचलों में ना तो बिजली है, ना ही सड़क. ना ही विद्यालय की कोई व्यवस्था. जिन जगहों पर विद्यालय खोले भी गए हैं, वहां महज एक या 2 शिक्षक तैनात हैं. प्रदेश का किसान आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.

जगदलपुर के धान खरीदी केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी, सीमावर्ती इलाकों पर होगी पुलिस बल की तैनाती

जल्द पूरी की जानी चाहिए किसानों की मांग
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार को किसानों की सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए. ताकि उनकी समस्याओं का समाधान (solve problems) हो सके. हालांकि, राज्य सरकार के कार्यकाल में किसानों की परेशानियों को तिवारी ने सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि भूपेश सरकार किसान हितैषी है. किसानों की हित के लिए एक के बाद एक राज्य सरकार के द्वारा निर्णय लिए गए हैं.

पूरे देश में सबसे ज्यादा धान की कीमत राज्य की भूपेश सरकार दे रही है. धान की खेती में हो रही देरी को लेकर तिवारी ने बदले मौसम चक्र को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि बारिश का मौसम 2 महीने आगे खिसक गया है. इस वजह से सरकार ने 1 नवंबर की जगह 1 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया है. बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद होने को लेकर घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि इसकी एक प्रक्रिया है. उस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है और उसी के तहत आने वाले समय में किसानों को मुआवजा भी दिया जाएगा.

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