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ढोल पर सियासत: डॉ. रमन सिंह को शौक है तो आकर आदिवासी नृत्य महोत्सव में नाचें: कवासी लखमा

प्रदेश में ढोल की थाप पर नृत्य को लेकर सियासत गर्म हो गई है. कभी राहुल गांधी ढोल बजाते हैं, तो कभी भूपेश बघेल और कभी कवासी लखमा. अब आलम यह है कि बीजेपी के कार्यक्रम में भी नेता ढोल बजा कर उसकी थाप पर नाचते नजर आ रहे हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ इन दिनों ढोल की थाप पर नाच रहा है. इसी कड़ी में अब उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को आदिवासी नृत्य में आकर नाचने के लिए कहा है.

कवासी लखमा
कवासी लखमा
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Published : Oct 22, 2021, 4:55 PM IST

Updated : Oct 22, 2021, 9:11 PM IST

रायपुरः प्रदेश में ढोल की थाप पर नृत्य को लेकर सियासत गर्म हो गई है. कभी राहुल गांधी ढोल बजाते हैं, तो कभी भूपेश बघेल और कभी कवासी लखमा. अब आलम यह है कि बीजेपी के कार्यक्रम में भी नेता ढोल बजा कर उसकी थाप पर नाचते नजर आ रहे हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ इन दिनों ढोल की थाप पर नाच रहा है और इस नाच को और रंगीन करने की दिशा में प्रदेश में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है. जिसमें सरकार ने पक्ष-विपक्ष सहित सभी वर्गों को नाचने के लिए आमंत्रित किया है. इतना ही नहीं, सरकार के एक मंत्री ने तो पूर्व मुख्यमंत्री को भी आदिवासी नृत्य महोत्सव में आकर नाचने की बात कही है.

जी हां, उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को आदिवासी नृत्य में आकर नाचने की बात कही है. कवासी ने कहा कि डॉ रमन सिंह चिंतन शिविर में ढोल बजा कर नाच रहे थे. उन्हें इतनी खुशी है तो छत्तीसगढ़ में होने वाले आदिवासी नृत्य महोत्सव में आकर नाचें. उनका स्वागत है. यह बात कवासी लखमा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कही.

डॉ. रमन सिंह पर कवासी लखमा का निशाना

सवाल: छत्तीसगढ़ में बीजेपी-कांग्रेस सहित सभी लोग ढोल की थाप पर नाचते नजर आ रहे हैं. आखिर इसे आप किस रूप में देखते हैं?
जवाब: जब से भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने, कांग्रेस की सरकार बनी, आदिवासी नृत्य को पूरी दुनिया जानने लगी है. इसलिए हम लोगों ने हिंदुस्तान और उसके बाहर के आदिवासियों को न्योता दिया है. हमारे विधायक सभी दूसरे प्रदेश में जाकर न्योता देकर आए हैं. हमारा सरगुजा, बस्तर और दूसरे प्रदेश के लोग आकर 28-29 तारीख से धूम मचाएंगे. आप भी नाचो, मैं भी नाचूं और लोग भी नाचेंगे.

सवाल: चिंतन शिविर के दौरान भाजपा के जो ढोल बजा थे, उसको लेकर आप लोगों ने आपत्ति जताई थी. ढोल की राजनीति करने का आरोप भी लगाया था?
जवाब : वहां बस्तर में जाकर चिंतन शिविर करना छोड़ कर नाच रहे थे. रमन सिंह को इतना ही खुशी है तो आकर हमारे आदिवासी नृत्य में नाचें. उनका भी स्वागत है.

सवाल: तो क्या माना जाए कि भाजपा आदिवासी नृत्य का दिखावा कर रही है?
जवाब : 15 सालों में उन लोगों ने कभी आदिवासी नृत्य कराया है क्या? हमारी सरकार आने के बाद इन लोगों को बधाई देना चाहिए कि आदिवासी नृत्य कैसा होता है? इन लोगों ने छत्तीसगढ़ उत्सव मनाने के लिए मुंबई के हीरो लोगों को बुलाते थे. करोड़ो रुपए देते थे. हमारे जो आदिवासी नृत्य होते हैं, उसमें सब समाज के लोग आ रहे हैं. पूरी दुनिया में नाम है. इस साल भी नाचेंगे.

सवाल: पिछली बार विदेश से आदिवासी नृत्य करने आए थे. इस बार भी उन्हें बुलाया गया है क्या?
जवाब : पिछले साल बहुत जोरदार नाच हुआ था. विदेश के आदिवासी दल को भी बुलाया गया था. इस बार भी बुलाया गया है. वर्तमान में कोरोना की स्थिति सामान्य है और इसे देखते हुए आदिवासी नृत्य का आयोजन किया गया है. इसका मजा लेने आप सभी आना. हम लोग साल भर का एक मजा राजधानी में देने जा रहे हैं.

बता दें कि राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है जिसमें भागीदारी के लिए अभी तक 8 देशों से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है. विदेशी कलाकारों द्वारा मुख्य समारोह में अपने-अपने देशों की लय, ताल और धुन पर आकर्षक एवं जीवंत प्रस्तुति प्रस्तुत की जाएगी. इसके अलावा भारत के लगभग 29 राज्यों के कलाकारों का दल भी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होगा.

रायपुरः प्रदेश में ढोल की थाप पर नृत्य को लेकर सियासत गर्म हो गई है. कभी राहुल गांधी ढोल बजाते हैं, तो कभी भूपेश बघेल और कभी कवासी लखमा. अब आलम यह है कि बीजेपी के कार्यक्रम में भी नेता ढोल बजा कर उसकी थाप पर नाचते नजर आ रहे हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ इन दिनों ढोल की थाप पर नाच रहा है और इस नाच को और रंगीन करने की दिशा में प्रदेश में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है. जिसमें सरकार ने पक्ष-विपक्ष सहित सभी वर्गों को नाचने के लिए आमंत्रित किया है. इतना ही नहीं, सरकार के एक मंत्री ने तो पूर्व मुख्यमंत्री को भी आदिवासी नृत्य महोत्सव में आकर नाचने की बात कही है.

जी हां, उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को आदिवासी नृत्य में आकर नाचने की बात कही है. कवासी ने कहा कि डॉ रमन सिंह चिंतन शिविर में ढोल बजा कर नाच रहे थे. उन्हें इतनी खुशी है तो छत्तीसगढ़ में होने वाले आदिवासी नृत्य महोत्सव में आकर नाचें. उनका स्वागत है. यह बात कवासी लखमा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कही.

डॉ. रमन सिंह पर कवासी लखमा का निशाना

सवाल: छत्तीसगढ़ में बीजेपी-कांग्रेस सहित सभी लोग ढोल की थाप पर नाचते नजर आ रहे हैं. आखिर इसे आप किस रूप में देखते हैं?
जवाब: जब से भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने, कांग्रेस की सरकार बनी, आदिवासी नृत्य को पूरी दुनिया जानने लगी है. इसलिए हम लोगों ने हिंदुस्तान और उसके बाहर के आदिवासियों को न्योता दिया है. हमारे विधायक सभी दूसरे प्रदेश में जाकर न्योता देकर आए हैं. हमारा सरगुजा, बस्तर और दूसरे प्रदेश के लोग आकर 28-29 तारीख से धूम मचाएंगे. आप भी नाचो, मैं भी नाचूं और लोग भी नाचेंगे.

सवाल: चिंतन शिविर के दौरान भाजपा के जो ढोल बजा थे, उसको लेकर आप लोगों ने आपत्ति जताई थी. ढोल की राजनीति करने का आरोप भी लगाया था?
जवाब : वहां बस्तर में जाकर चिंतन शिविर करना छोड़ कर नाच रहे थे. रमन सिंह को इतना ही खुशी है तो आकर हमारे आदिवासी नृत्य में नाचें. उनका भी स्वागत है.

सवाल: तो क्या माना जाए कि भाजपा आदिवासी नृत्य का दिखावा कर रही है?
जवाब : 15 सालों में उन लोगों ने कभी आदिवासी नृत्य कराया है क्या? हमारी सरकार आने के बाद इन लोगों को बधाई देना चाहिए कि आदिवासी नृत्य कैसा होता है? इन लोगों ने छत्तीसगढ़ उत्सव मनाने के लिए मुंबई के हीरो लोगों को बुलाते थे. करोड़ो रुपए देते थे. हमारे जो आदिवासी नृत्य होते हैं, उसमें सब समाज के लोग आ रहे हैं. पूरी दुनिया में नाम है. इस साल भी नाचेंगे.

सवाल: पिछली बार विदेश से आदिवासी नृत्य करने आए थे. इस बार भी उन्हें बुलाया गया है क्या?
जवाब : पिछले साल बहुत जोरदार नाच हुआ था. विदेश के आदिवासी दल को भी बुलाया गया था. इस बार भी बुलाया गया है. वर्तमान में कोरोना की स्थिति सामान्य है और इसे देखते हुए आदिवासी नृत्य का आयोजन किया गया है. इसका मजा लेने आप सभी आना. हम लोग साल भर का एक मजा राजधानी में देने जा रहे हैं.

बता दें कि राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है जिसमें भागीदारी के लिए अभी तक 8 देशों से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है. विदेशी कलाकारों द्वारा मुख्य समारोह में अपने-अपने देशों की लय, ताल और धुन पर आकर्षक एवं जीवंत प्रस्तुति प्रस्तुत की जाएगी. इसके अलावा भारत के लगभग 29 राज्यों के कलाकारों का दल भी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होगा.

Last Updated : Oct 22, 2021, 9:11 PM IST
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