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'छत्तीसगढ़ की भूमि, किसानों, विद्यार्थियों की समस्या का आभास है, उसे समझते हुए बहुत अच्छा सौल्यूशन देने का प्रयास करुंगा'

ETV भारत ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ गिरीश चंदेल से बातचीत की. (etv bharat conversation with Girish Chandel )

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Published : Mar 1, 2022, 11:22 AM IST

etv bharat conversation with Girish Chandel
गिरीश चंदेल के साथ ईटीवी भारत की बातचीत

रायपुर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बीते कुछ दिनों से विवादों में घिरा रहा. स्थानीय कुलपति को लेकर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. स्थिति ये बनी कि राजभवन और शासन के बीच तकरार भी देखने को मिली. लेकिन अब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का यह विवाद थम चुका है. जिस मुद्दे को लेकर यह बहस चल रही थी उस मुद्दे पर अब मुहर लग चुकी है. मांग के अनुसार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति की नियुक्ति कर दी गई है. ETV भारत ने कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ गिरीश चंदेल (Girish Chandel Vice Chancellor of Indira Gandhi Agricultural University ) से खास बातचीत की.....

गिरीश चंदेल के साथ ईटीवी भारत की बातचीत

सवाल- आपने यहां पर पढ़ाई की आपने लंबे समय तक छात्रों को पढ़ाया है अब आपका कुलपति की जिम्मेदारी दी गई है, आप अब किस तरह से कार्य करेंगे?

जवाब- मेरी पढ़ाई, लिखाई और जन्म यही से हुआ है. मैं अब इस ऊँचाई तक पहुचा हूँ, जो भी मेरी एक्सप्टाइज रही है. यहां के भूमि का, किसानों का, विद्यार्थियों की समस्या का मुझे आभास हुआ है और मैं उसे गुजरा हुआ हूं. इसलिए मुझे लगता है कि उनकी समस्याओं को ज्यादा फील करते हुए मैं बहुत अच्छा सौल्यूशन देने का प्रयास करुंगा.


सवाल- आप एक रिसर्चर है, कई रिसर्च किया जाता है लेकिन वह धरातल तक नहीं पहुंच पाता क्या खामियां रहती है?

जवाब-जो भी रिसर्च हम करते हैं, उस रिसर्च को बाजार तक पहुंचाना या उसका व्यवसायीकरण होना, टारगेटेड लोगों तक उसे पहुंचाना एक बहुत बड़ा गैप समझा जा रहा है. हम लोग ये प्रयास कर रहे हैं कि बाजार तक उसे पहुंचाने के लिए जो गैप है उस पर फोकस किया जा रहा है. जो रिचार्ज और जो हमारी अचीवमेंट है इस पर फोकस करके काम किया जाएगा. कोई नया रिसर्च किया जाएगा तो उससे पहले बाजार को ऐसेस किया जाएगा. क्या उसकी जरूरत है उसे समझेंगे. उसके आधार पर गुण और दोष को मिलाकर नया विकास किया जाएगा. तकनीकी के विकास में दो चरणों में काम करने की जरूरत है. पहली जो चीजें बाजार तक नहीं पहुंच रही है उसे बाजार तक पहुंचाने के लिए फोकस रिसर्च किया जाएगा. दूसरा अगर कोई नया रिसर्च नया जो काम किया जाएगा. वह करने से पहले बाजार में उसकी जरूरत है या नहीं उसका एसेस किया जाएगा और फोकस रिसर्च करके उसे बाजार पर लाया जाएगा.

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सवाल- आपने लंबे समय तक विश्वविद्यालय में काम किया है क्या कमियां रही है जिसे आप पूरा करेंगे?

जवाब- जब हम पढ़ाई करते थे और जब आज हम यहां बैठे हैं उसमें बहुत विकास हुआ है, हमारे समय में यह एक कृषि महाविद्यालय हुआ करता था फिर यह विश्वविद्यालय बना और पिछले 10 से 15 सालों में सतत विकास का प्रयास किया जा रहा है और विकास हुआ भी है. लेकिन उसमें जो कमियां रहने की बात, छत्तीसगढ़ के लोगों में एक अलग सा भाव रहता था. उस भाव को समझ कर उस लेवल में उतरकर अब शिक्षा और दीक्षा की नई नीति बनाई जाएगी.

सवाल- विश्वविद्यालय द्वारा कई धान की किस्में तैयार की गई है लेकिन किसानों को उसका फायदा नहीं हो पाता उस योजना को धरातल पर लाने के लिए आप किस तरह काम करेंगे

जवाब- हम जितने धान की वैरायटी निकालते हैं, उस वैरायटी को बाजार और किसान तक पहुंचाने के लिए अभी बहुत सारी वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स तैयार हो रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण फूड प्रोसेसिंग पर बहुत फोकस है. हम ऐसी वैरायटी जिसमें गुणवत्ता ज्यादा हो, खाने में अच्छा हो या किसी विशेष चीज जैसे कुपोषण के समाधान करने के लिए यह धान हमने बना लिया. लेकिन हमें उसके लिए नॉलेज शेयरिंग करना बहुत जरूरी है. धान तो किसान उगाता है, धान से चावल बनता है और चावल से वह आगे बढ़ता है. जो चावल हमारे प्लेट पर आए उसके लिए बाजार का इंवॉल्वमेंट होना बहुत जरूरी है. इस तरह के प्रयास को लेकर फोकस रिसर्च करने की बहुत जरूरत है जिसके लिए हम एक कार्य रूप बनाएंगे और आने वाले 3 से 6 महीनों में सिग्निफिकेंट इंप्रूवमेंट करने की कोशिश करेंगे.


सवाल- कोविड काल में स्टूडेंट की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है, नए एजुकेशन का सिस्टम किस तरह डेवलप किया जाएगा?

जवाब- ऑनलाइन शिक्षा में गुणवत्ता का विकास आईटी टेक्नोलॉजी के जरिए होता और उसे हम कर रहे हैं, और आगे उसे और इंप्रूव किया जाएगा, इसी बीच कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है, इस कमी का एडवांटेज लेते, हम बच्चों के प्रैक्टिकल नॉलेज पर फोकस करेंगे और प्रयास करेंगे कि उनको जानकारी दी जा सके. बहुत जल्दी हम प्रैक्टिकल नॉलेज विद्यार्थियों को देखकर उन्हें स्किल्ड करेंगे.

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सवाल- विद्यार्थियों को उम्मीद रहती है कि पढ़ाई के बाद उन्हें नौकरी की व्यवस्था मिले ? प्लेसमेंट को लेकर किस तरह कार्य किया जाएगा?

जवाब- इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट सेल है. जिसमें अलग-अलग कंपनियों से और इंस्टिट्यूशन से लिंक करते हैं. हमारे डीएसडब्ल्यू इसे देखते है. कुछ एलुमनी मीट करने की आवश्यकता है जो यहां से पढ़ाई कर कहां गए हैं. उनसे हम लिंक बढ़ा रहे है. हम रोजगार देने के लिए नौकरी पेशा लोगों में नौकरी देने का भी प्रयास कर रहे है. साथ ही साथ उससे निकलकर अपने रिसर्च को आगे बढ़ा कर और छोटे-छोटे माइक्रो उद्योग लगाकर काम कर सकें.



सवाल-आपके कंधों पर अब नई जिम्मेदारी मिली है किस विजन से आप काम करने वाले ?

जवाब- मेरे कंधों पर जो जवाबदारी या मुझे यह भार दिया गया है, उसे मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ पूरे विश्वविद्यालय के कर्मचारी, प्रोफेसर और स्टूडेंट के साथ मिलकर उनकी महत्ता के लिए पुरजोर प्रयास करूंगा ताकि आने वाले समय में गुणवत्ता में बहुत विकास किया जा सके.


रायपुर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बीते कुछ दिनों से विवादों में घिरा रहा. स्थानीय कुलपति को लेकर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. स्थिति ये बनी कि राजभवन और शासन के बीच तकरार भी देखने को मिली. लेकिन अब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का यह विवाद थम चुका है. जिस मुद्दे को लेकर यह बहस चल रही थी उस मुद्दे पर अब मुहर लग चुकी है. मांग के अनुसार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति की नियुक्ति कर दी गई है. ETV भारत ने कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ गिरीश चंदेल (Girish Chandel Vice Chancellor of Indira Gandhi Agricultural University ) से खास बातचीत की.....

गिरीश चंदेल के साथ ईटीवी भारत की बातचीत

सवाल- आपने यहां पर पढ़ाई की आपने लंबे समय तक छात्रों को पढ़ाया है अब आपका कुलपति की जिम्मेदारी दी गई है, आप अब किस तरह से कार्य करेंगे?

जवाब- मेरी पढ़ाई, लिखाई और जन्म यही से हुआ है. मैं अब इस ऊँचाई तक पहुचा हूँ, जो भी मेरी एक्सप्टाइज रही है. यहां के भूमि का, किसानों का, विद्यार्थियों की समस्या का मुझे आभास हुआ है और मैं उसे गुजरा हुआ हूं. इसलिए मुझे लगता है कि उनकी समस्याओं को ज्यादा फील करते हुए मैं बहुत अच्छा सौल्यूशन देने का प्रयास करुंगा.


सवाल- आप एक रिसर्चर है, कई रिसर्च किया जाता है लेकिन वह धरातल तक नहीं पहुंच पाता क्या खामियां रहती है?

जवाब-जो भी रिसर्च हम करते हैं, उस रिसर्च को बाजार तक पहुंचाना या उसका व्यवसायीकरण होना, टारगेटेड लोगों तक उसे पहुंचाना एक बहुत बड़ा गैप समझा जा रहा है. हम लोग ये प्रयास कर रहे हैं कि बाजार तक उसे पहुंचाने के लिए जो गैप है उस पर फोकस किया जा रहा है. जो रिचार्ज और जो हमारी अचीवमेंट है इस पर फोकस करके काम किया जाएगा. कोई नया रिसर्च किया जाएगा तो उससे पहले बाजार को ऐसेस किया जाएगा. क्या उसकी जरूरत है उसे समझेंगे. उसके आधार पर गुण और दोष को मिलाकर नया विकास किया जाएगा. तकनीकी के विकास में दो चरणों में काम करने की जरूरत है. पहली जो चीजें बाजार तक नहीं पहुंच रही है उसे बाजार तक पहुंचाने के लिए फोकस रिसर्च किया जाएगा. दूसरा अगर कोई नया रिसर्च नया जो काम किया जाएगा. वह करने से पहले बाजार में उसकी जरूरत है या नहीं उसका एसेस किया जाएगा और फोकस रिसर्च करके उसे बाजार पर लाया जाएगा.

यूपी से जा रही है योगी सरकार, केंद्र की कूटनीतिक चूक के कारण यूक्रेन में फंसे छात्र: भूपेश बघेल


सवाल- आपने लंबे समय तक विश्वविद्यालय में काम किया है क्या कमियां रही है जिसे आप पूरा करेंगे?

जवाब- जब हम पढ़ाई करते थे और जब आज हम यहां बैठे हैं उसमें बहुत विकास हुआ है, हमारे समय में यह एक कृषि महाविद्यालय हुआ करता था फिर यह विश्वविद्यालय बना और पिछले 10 से 15 सालों में सतत विकास का प्रयास किया जा रहा है और विकास हुआ भी है. लेकिन उसमें जो कमियां रहने की बात, छत्तीसगढ़ के लोगों में एक अलग सा भाव रहता था. उस भाव को समझ कर उस लेवल में उतरकर अब शिक्षा और दीक्षा की नई नीति बनाई जाएगी.

सवाल- विश्वविद्यालय द्वारा कई धान की किस्में तैयार की गई है लेकिन किसानों को उसका फायदा नहीं हो पाता उस योजना को धरातल पर लाने के लिए आप किस तरह काम करेंगे

जवाब- हम जितने धान की वैरायटी निकालते हैं, उस वैरायटी को बाजार और किसान तक पहुंचाने के लिए अभी बहुत सारी वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स तैयार हो रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण फूड प्रोसेसिंग पर बहुत फोकस है. हम ऐसी वैरायटी जिसमें गुणवत्ता ज्यादा हो, खाने में अच्छा हो या किसी विशेष चीज जैसे कुपोषण के समाधान करने के लिए यह धान हमने बना लिया. लेकिन हमें उसके लिए नॉलेज शेयरिंग करना बहुत जरूरी है. धान तो किसान उगाता है, धान से चावल बनता है और चावल से वह आगे बढ़ता है. जो चावल हमारे प्लेट पर आए उसके लिए बाजार का इंवॉल्वमेंट होना बहुत जरूरी है. इस तरह के प्रयास को लेकर फोकस रिसर्च करने की बहुत जरूरत है जिसके लिए हम एक कार्य रूप बनाएंगे और आने वाले 3 से 6 महीनों में सिग्निफिकेंट इंप्रूवमेंट करने की कोशिश करेंगे.


सवाल- कोविड काल में स्टूडेंट की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है, नए एजुकेशन का सिस्टम किस तरह डेवलप किया जाएगा?

जवाब- ऑनलाइन शिक्षा में गुणवत्ता का विकास आईटी टेक्नोलॉजी के जरिए होता और उसे हम कर रहे हैं, और आगे उसे और इंप्रूव किया जाएगा, इसी बीच कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है, इस कमी का एडवांटेज लेते, हम बच्चों के प्रैक्टिकल नॉलेज पर फोकस करेंगे और प्रयास करेंगे कि उनको जानकारी दी जा सके. बहुत जल्दी हम प्रैक्टिकल नॉलेज विद्यार्थियों को देखकर उन्हें स्किल्ड करेंगे.

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सवाल- विद्यार्थियों को उम्मीद रहती है कि पढ़ाई के बाद उन्हें नौकरी की व्यवस्था मिले ? प्लेसमेंट को लेकर किस तरह कार्य किया जाएगा?

जवाब- इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट सेल है. जिसमें अलग-अलग कंपनियों से और इंस्टिट्यूशन से लिंक करते हैं. हमारे डीएसडब्ल्यू इसे देखते है. कुछ एलुमनी मीट करने की आवश्यकता है जो यहां से पढ़ाई कर कहां गए हैं. उनसे हम लिंक बढ़ा रहे है. हम रोजगार देने के लिए नौकरी पेशा लोगों में नौकरी देने का भी प्रयास कर रहे है. साथ ही साथ उससे निकलकर अपने रिसर्च को आगे बढ़ा कर और छोटे-छोटे माइक्रो उद्योग लगाकर काम कर सकें.



सवाल-आपके कंधों पर अब नई जिम्मेदारी मिली है किस विजन से आप काम करने वाले ?

जवाब- मेरे कंधों पर जो जवाबदारी या मुझे यह भार दिया गया है, उसे मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ पूरे विश्वविद्यालय के कर्मचारी, प्रोफेसर और स्टूडेंट के साथ मिलकर उनकी महत्ता के लिए पुरजोर प्रयास करूंगा ताकि आने वाले समय में गुणवत्ता में बहुत विकास किया जा सके.


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