रायपुर :छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता रहित राज्य बनाने का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर सर्वेक्षण किया जा रहा है , और पाए गए सभी मोतियाबिंद रोगियों का निशुल्क ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में किया जा रहा (Cataract Treatment in Raipur) है.प्रदेश में 4 लाख से ज्यादा मोतियाबिंद के मरीज हैं. जिनका ऑपरेशन 2025 तक किया जाना है. वहीं पूरे भारत में 90 लाख से 1 करोड़ 20 लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन हैं. हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते (Cataract patients in Chhattisgarh) हैं. हमारे भारत में 62.6% नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद है. प्रदेश में मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो रहे हैं. ऑपेरशन में कितना खतरा रहता है , वहीं ऑपरेशन के बाद किस तरह अपने आंखों का ख्याल रखना चाहिए. इस बारे में ईटीवी भारत में स्वास्थ विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा से बातचीत की.
क्या होता है मोतियाबिंद? : अगर आपको दूर या पास का कम दिखाई दे , गाड़ी ड्राइव करने में समस्या हो या किसी चेहरे को देखने पर आपको धुंधलापन नजर आए तो आपकी आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है. लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है. जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में मदद करता है. रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है. सामान्य आंखों में प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटीना तक जाता है. एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है. प्रकाश नर्व सिगनल में बदल जाता है. जब लेंस क्लाउडी हो जाता है, तो लाइट लेंस से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती. जिससे जो इमेज आप देखते हैं वह धुंधला हो जाता है. इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद कहते (Cataract affects vision) हैं.
ऑपरेशन के बाद किन्हें आती है समस्या : स्वास्थ विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा (Dr Subhash Mishra Raipur) ने बताया " मोतियाबिंद का ऑपरेशन काफी सफल ऑपरेशन है. जिसमें अपारदर्शी हो चुके लेंस को निकालकर नया लेंस लगा दिया जाता है और दृष्टि प्राप्त हो जाती है. ऑपरेशन के बाद 0.01% लोगों को कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना रहती है. अन्यथा सभी को अच्छी नजर आ जाती है. जिन्हें डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , बीड़ी , सिगरेट , गुटका तंबाकू या शराब का सेवन ज्यादा करते हैं , उनमें रोशनी आने की संभावना ऑपरेशन के बाद भी कम रहती है. मादक पदार्थ का ज्यादा सेवन से ऑपरेशन के बाद आई हुई रोशनी भी और कम हो सकती है.ऑपरेशन के बाद दवाइयां समय पर अनियमित रूप से 4 से 6 हफ्ते आँख में डालना पड़ता है.ऑपरेशन के बाद पहले दिन जितनी भी रोशनी आती है वह धीरे-धीरे बढ़ती है."
ऑपरेशन के बाद कब जाए डॉक्टर के पास : स्वास्थ्य विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया " मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंख में दर्द , चुभन , आंख लाल होना ये कम होता जाता है. अगर यह उल्टा हो जाए रोशनी कम हो जाए , चुभन और दर्द बढ़ने लगे तो यह कॉम्प्लिकेशन का लक्षण है ऐसे में तुरंत हॉस्पिटल में दिखाना चाहिए. छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता रहित राज्य बनाने का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए जगह-जगह सर्वेक्षण किया जा रहा है और पाए गए सभी मोतियाबिंद रोगियों का नि:शुल्क ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में किया जा रहा है. 2025 तक मोतियाबिंद के अभियान में लगभग 4 लाख लोगों का ऑपरेशन किया जाना है जिसमें से 70 हजार हो चुके हैं. "
क्या होता है मोतियाबिंद, कब जाएं डॉक्टर के पास ?
आंख हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है. लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आंख संबंधी बीमारियां हमें घेर सकती है. लिहाजा समय के साथ हमें आंखों की जांच जरुर करानी (Do not ignore cataract) चाहिए.
रायपुर :छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता रहित राज्य बनाने का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर सर्वेक्षण किया जा रहा है , और पाए गए सभी मोतियाबिंद रोगियों का निशुल्क ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में किया जा रहा (Cataract Treatment in Raipur) है.प्रदेश में 4 लाख से ज्यादा मोतियाबिंद के मरीज हैं. जिनका ऑपरेशन 2025 तक किया जाना है. वहीं पूरे भारत में 90 लाख से 1 करोड़ 20 लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन हैं. हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते (Cataract patients in Chhattisgarh) हैं. हमारे भारत में 62.6% नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद है. प्रदेश में मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो रहे हैं. ऑपेरशन में कितना खतरा रहता है , वहीं ऑपरेशन के बाद किस तरह अपने आंखों का ख्याल रखना चाहिए. इस बारे में ईटीवी भारत में स्वास्थ विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा से बातचीत की.
क्या होता है मोतियाबिंद? : अगर आपको दूर या पास का कम दिखाई दे , गाड़ी ड्राइव करने में समस्या हो या किसी चेहरे को देखने पर आपको धुंधलापन नजर आए तो आपकी आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है. लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है. जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में मदद करता है. रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है. सामान्य आंखों में प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटीना तक जाता है. एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है. प्रकाश नर्व सिगनल में बदल जाता है. जब लेंस क्लाउडी हो जाता है, तो लाइट लेंस से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती. जिससे जो इमेज आप देखते हैं वह धुंधला हो जाता है. इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद कहते (Cataract affects vision) हैं.
ऑपरेशन के बाद किन्हें आती है समस्या : स्वास्थ विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा (Dr Subhash Mishra Raipur) ने बताया " मोतियाबिंद का ऑपरेशन काफी सफल ऑपरेशन है. जिसमें अपारदर्शी हो चुके लेंस को निकालकर नया लेंस लगा दिया जाता है और दृष्टि प्राप्त हो जाती है. ऑपरेशन के बाद 0.01% लोगों को कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना रहती है. अन्यथा सभी को अच्छी नजर आ जाती है. जिन्हें डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , बीड़ी , सिगरेट , गुटका तंबाकू या शराब का सेवन ज्यादा करते हैं , उनमें रोशनी आने की संभावना ऑपरेशन के बाद भी कम रहती है. मादक पदार्थ का ज्यादा सेवन से ऑपरेशन के बाद आई हुई रोशनी भी और कम हो सकती है.ऑपरेशन के बाद दवाइयां समय पर अनियमित रूप से 4 से 6 हफ्ते आँख में डालना पड़ता है.ऑपरेशन के बाद पहले दिन जितनी भी रोशनी आती है वह धीरे-धीरे बढ़ती है."
ऑपरेशन के बाद कब जाए डॉक्टर के पास : स्वास्थ्य विभाग के अंधत्व निवारण समिति के प्रभारी संचालक डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया " मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंख में दर्द , चुभन , आंख लाल होना ये कम होता जाता है. अगर यह उल्टा हो जाए रोशनी कम हो जाए , चुभन और दर्द बढ़ने लगे तो यह कॉम्प्लिकेशन का लक्षण है ऐसे में तुरंत हॉस्पिटल में दिखाना चाहिए. छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता रहित राज्य बनाने का क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है. इसके लिए जगह-जगह सर्वेक्षण किया जा रहा है और पाए गए सभी मोतियाबिंद रोगियों का नि:शुल्क ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में किया जा रहा है. 2025 तक मोतियाबिंद के अभियान में लगभग 4 लाख लोगों का ऑपरेशन किया जाना है जिसमें से 70 हजार हो चुके हैं. "