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छत्तीसगढ़ में नहीं रुक रही है नवजात बच्चों की मौतें,जानिए वजह ? - District Health Officer Meera Baghel

छत्तीसगढ़ में मातृशिशु मृत्यु दर के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं.आंकड़ों की माने तो एक हजार में से 38 बच्चे इस दुनिया में खुद को सर्वाइव नहीं कर (Maternal Child Rate Data in Chhattisgarh) पाते.

Death of newborn children is not stopping in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में नहीं रुक रही है नवजात बच्चों की मौतें
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Published : Jul 4, 2022, 6:41 PM IST

Updated : Jul 9, 2022, 12:12 PM IST

रायपुर : प्रदेश में आधुनिक संसाधन बेहतर अस्पताल और प्रशिक्षित डॉक्टर होने के बाद भी नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा रुक नहीं रहा है. आंकड़ें बताते हैं कि प्रति हजार 38 बच्चों की मौत हो रही है. यह वे बच्चे हैं. जिनकी मौत जन्म के बाद 1 साल के भीतर हो जाती है. यानी कि वे बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते. यह काफी चौंकाने वाले आंकड़ें (Maternal Child Rate Data in Chhattisgarh) हैं.


क्या है स्वास्थ्य विभाग का दावा : विभाग का दावा है कि प्रदेश में प्रसव के दौरान शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई हुई है.वहीं मातृ मृत्यु दर भी काफी कम हुआ(Death of newborn children is not stopping in Chhattisgarh ) है. इसकी वजह स्वास्थ्य सुविधाओं का बढ़ना बताया जा रहा है. लगातार शहरी क्षेत्रों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों को दुरुस्त किया जा रहा (health department claims in chhattisgarh) है. आधुनिक मशीनों उपलब्ध कराई जा रही है. साथ ही प्रशिक्षित डाक्टरों के माध्यम से प्रसव कराया जा रहा है. जिस वजह से शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ शिशु मृत्यु दर में तीसरे नंबर पर है. जबकि मध्य प्रदेश पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है. छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर साल 2019 में प्रति हजर 40 थी, जो साल 2020 में 38 पर आ गई है. साल 2017 में भी यही स्थिति थी. इसके बाद 2018 में आंकड़ा प्रति हजार 41 पर आ गया है. जब राज्य बना तब यहां शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 58 थी.

पांच राज्य जहां सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर

राज्य 2020 2019 20182017
मध्यप्रदेश 43 46 4847
उत्तरप्रदेश 38 41 43 41
छत्तीसगढ़ 38 40 41 38
असम 36 40 41 44
ओडिशा 36 38 40 41



स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के बाद शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है. ये आंकड़ा केंद्र सरकार के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम ने जारी किया (central government has released the figures of infant mortality) है. प्रदेश में संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी, हर जिला अस्पतालों में नियॉनेटल विभाग के कारण शिशुओं की जान बचाने में मदद मिली है.

क्या हैं केंद्र सरकार के आंकड़ें : केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 की तुलना में साल 2020 में छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है. आंकड़े 2020 तक के जारी किए गए हैं. इससे साफ है कि कोरोना काल में भी सुरक्षित संस्थागत प्रसव प्रदेश में कराया गया.

मातृ शिशु मृत्यु दर के रायपुर के आंकड़े

साल 2019 के आंकड़े 2020 के आंकड़े 2021 के आंकड़े2022 के आंकड़े
मातृ मृत्यु की संख्या 163 161 158 127
शिशु मृत्यु की संख्या 28 25 31 31
5 वर्ष के अंदर के बच्चों की मौत के आंकड़े 17 12 17 18

क्या है जिला स्वास्थ्य अधिकारी का बयान : जिला स्वास्थ्य अधिकारी मीरा बघेल (District Health Officer Meera Baghel) ने बताया कि '' जैसे ही पता चलता है कि महिला गर्भवती है उसका सबसे पहले पंजीयन कराया जाता है उसका समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है, साथ ही कुछ दवाइयां तत्काल निशुल्क गर्भवती महिला को मुहैया कराई जाती है. इस बीच सास बहू सम्मेलन कराया जाता है जिसमें सास बहू और उसके पति को बुलाया जाता है. इस दौरान उनकी काउंसलिंग की जाती है कि किस तरह से गर्भवती महिला को रखना है, उसे आराम देना है. उनके खान-पान का ध्यान देना है, किस तरह से समय-समय पर उनकी जांच कराना है ,यह सारी बातें बताई जाती हैं. इसके बाद कम से कम एक बार गर्भवती महिला के सोनोग्राफी की व्यवस्था कराई जाती है उसके बाद उन्हें मुफ्त में सारी दवाइयां दी जाती हैं सारी जांच निशुल्क होती है".



क्या है स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था : मीरा बघेल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के हाई रिस्क की पहचान के लिए हर महीने 9 और 24 तारीख को स्पेशलिस्ट से जांच कराई जाती है. जिससे हाईरिस्क की पहचान की जा सके. हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को बड़े अस्पताल में प्रसव के लिए भेजा जाता है. जिससे सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.रायपुर जिले में 8 जगहों पर सरकारी अस्पतालों में सीजर की व्यवस्था की गई है जिसमें धरसीवा, अभनपुर, तिल्दा ,आरंग भी शामिल है. कुछ और अस्पतालों में सीजर की व्यवस्था की जा रही है.



जननी सुरक्षा योजना का लाभ : मीरा बघेल ने बताया कि ''प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना का पैसा दिया जाता है. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को ₹1000 दिया जाता है. जिससे वह प्रसव के बाद जरूरत की चीजें ले सकें.अस्पताल से छुट्टी होने के बाद भी स्टाफ और एएनएम के द्वारा घर पर भी जाकर बीच-बीच में जच्चा और बच्चा की जांच की जाती है. प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचने वाली महिलाओं को 48 घंटे मुफ्त में खाना-पीना चाय नाश्ता दिया जाता है. इसमें पोषक आहार शामिल है. जिसमें अंडा सहित अन्य शक्तिवर्धक खाद्य सामग्री होती है.''




मृत्यु दर कम करने के लिए क्या : राज्य सरकार की बात की जाए तो उसे मृत्यु दर कम करने के लिए लगातार राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसके लिए राज्य के 5 मेडिकल कालेज, 21 जिला अस्पतालों में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गई है. जिनकी नियमित मॉनिटरिंग विशेषज्ञों द्वारा की जाती है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदेश में उच्च जोखिम वाली सभी गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रणनीति बनायी गई है. पोषण आहर के साथ, मुहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाएं शुरू की गई है. ताकि प्रदेश की हर माता और शिशु दोनों स्वस्थ रहें.

रायपुर : प्रदेश में आधुनिक संसाधन बेहतर अस्पताल और प्रशिक्षित डॉक्टर होने के बाद भी नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा रुक नहीं रहा है. आंकड़ें बताते हैं कि प्रति हजार 38 बच्चों की मौत हो रही है. यह वे बच्चे हैं. जिनकी मौत जन्म के बाद 1 साल के भीतर हो जाती है. यानी कि वे बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते. यह काफी चौंकाने वाले आंकड़ें (Maternal Child Rate Data in Chhattisgarh) हैं.


क्या है स्वास्थ्य विभाग का दावा : विभाग का दावा है कि प्रदेश में प्रसव के दौरान शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई हुई है.वहीं मातृ मृत्यु दर भी काफी कम हुआ(Death of newborn children is not stopping in Chhattisgarh ) है. इसकी वजह स्वास्थ्य सुविधाओं का बढ़ना बताया जा रहा है. लगातार शहरी क्षेत्रों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों को दुरुस्त किया जा रहा (health department claims in chhattisgarh) है. आधुनिक मशीनों उपलब्ध कराई जा रही है. साथ ही प्रशिक्षित डाक्टरों के माध्यम से प्रसव कराया जा रहा है. जिस वजह से शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ शिशु मृत्यु दर में तीसरे नंबर पर है. जबकि मध्य प्रदेश पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है. छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर साल 2019 में प्रति हजर 40 थी, जो साल 2020 में 38 पर आ गई है. साल 2017 में भी यही स्थिति थी. इसके बाद 2018 में आंकड़ा प्रति हजार 41 पर आ गया है. जब राज्य बना तब यहां शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 58 थी.

पांच राज्य जहां सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर

राज्य 2020 2019 20182017
मध्यप्रदेश 43 46 4847
उत्तरप्रदेश 38 41 43 41
छत्तीसगढ़ 38 40 41 38
असम 36 40 41 44
ओडिशा 36 38 40 41



स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के बाद शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है. ये आंकड़ा केंद्र सरकार के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम ने जारी किया (central government has released the figures of infant mortality) है. प्रदेश में संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी, हर जिला अस्पतालों में नियॉनेटल विभाग के कारण शिशुओं की जान बचाने में मदद मिली है.

क्या हैं केंद्र सरकार के आंकड़ें : केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 की तुलना में साल 2020 में छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है. आंकड़े 2020 तक के जारी किए गए हैं. इससे साफ है कि कोरोना काल में भी सुरक्षित संस्थागत प्रसव प्रदेश में कराया गया.

मातृ शिशु मृत्यु दर के रायपुर के आंकड़े

साल 2019 के आंकड़े 2020 के आंकड़े 2021 के आंकड़े2022 के आंकड़े
मातृ मृत्यु की संख्या 163 161 158 127
शिशु मृत्यु की संख्या 28 25 31 31
5 वर्ष के अंदर के बच्चों की मौत के आंकड़े 17 12 17 18

क्या है जिला स्वास्थ्य अधिकारी का बयान : जिला स्वास्थ्य अधिकारी मीरा बघेल (District Health Officer Meera Baghel) ने बताया कि '' जैसे ही पता चलता है कि महिला गर्भवती है उसका सबसे पहले पंजीयन कराया जाता है उसका समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है, साथ ही कुछ दवाइयां तत्काल निशुल्क गर्भवती महिला को मुहैया कराई जाती है. इस बीच सास बहू सम्मेलन कराया जाता है जिसमें सास बहू और उसके पति को बुलाया जाता है. इस दौरान उनकी काउंसलिंग की जाती है कि किस तरह से गर्भवती महिला को रखना है, उसे आराम देना है. उनके खान-पान का ध्यान देना है, किस तरह से समय-समय पर उनकी जांच कराना है ,यह सारी बातें बताई जाती हैं. इसके बाद कम से कम एक बार गर्भवती महिला के सोनोग्राफी की व्यवस्था कराई जाती है उसके बाद उन्हें मुफ्त में सारी दवाइयां दी जाती हैं सारी जांच निशुल्क होती है".



क्या है स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था : मीरा बघेल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के हाई रिस्क की पहचान के लिए हर महीने 9 और 24 तारीख को स्पेशलिस्ट से जांच कराई जाती है. जिससे हाईरिस्क की पहचान की जा सके. हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं को बड़े अस्पताल में प्रसव के लिए भेजा जाता है. जिससे सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.रायपुर जिले में 8 जगहों पर सरकारी अस्पतालों में सीजर की व्यवस्था की गई है जिसमें धरसीवा, अभनपुर, तिल्दा ,आरंग भी शामिल है. कुछ और अस्पतालों में सीजर की व्यवस्था की जा रही है.



जननी सुरक्षा योजना का लाभ : मीरा बघेल ने बताया कि ''प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना का पैसा दिया जाता है. जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को ₹1000 दिया जाता है. जिससे वह प्रसव के बाद जरूरत की चीजें ले सकें.अस्पताल से छुट्टी होने के बाद भी स्टाफ और एएनएम के द्वारा घर पर भी जाकर बीच-बीच में जच्चा और बच्चा की जांच की जाती है. प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचने वाली महिलाओं को 48 घंटे मुफ्त में खाना-पीना चाय नाश्ता दिया जाता है. इसमें पोषक आहार शामिल है. जिसमें अंडा सहित अन्य शक्तिवर्धक खाद्य सामग्री होती है.''




मृत्यु दर कम करने के लिए क्या : राज्य सरकार की बात की जाए तो उसे मृत्यु दर कम करने के लिए लगातार राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसके लिए राज्य के 5 मेडिकल कालेज, 21 जिला अस्पतालों में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गई है. जिनकी नियमित मॉनिटरिंग विशेषज्ञों द्वारा की जाती है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदेश में उच्च जोखिम वाली सभी गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रणनीति बनायी गई है. पोषण आहर के साथ, मुहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाएं शुरू की गई है. ताकि प्रदेश की हर माता और शिशु दोनों स्वस्थ रहें.

Last Updated : Jul 9, 2022, 12:12 PM IST

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