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Corona effect on Raipur jungle safari: रायपुर के जंगल सफारी में क्यों घटी पर्यटकों की संख्या ? - जंगल सफारी में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी है. लेकिन इस सफारी में पर्यटकों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. आखिर इसकी वजह क्या है. जानते हैं इस रिपोर्ट में

Corona effect on Raipur jungle safari
नवा रायपुर जंगल सफारी
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Published : Jan 31, 2022, 10:09 PM IST

Updated : Feb 1, 2022, 8:15 AM IST

रायपुर: कोरोना का असर हर ओर दिख रहा है. सबसे ज्यादा कोरोना की मार पर्यटन क्षेत्र पर पड़ी है. रायपुर के जंगल सफारी पर भी कोरोना का असर दिख रहा है. रायपुर का जंगल सफारी एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी है. कोरोना की वजह से इस सफारी में पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. जब देश में कोरोना का संक्रमण नहीं था उससे पहले एक दिन में 4 हजार से अधिक पर्यटक यहां आते थे. स्थिति यह थी कि पर्यटकों को दो तीन दिन पहले टिकट बुक करानी होती थी.

लेकिन लॉकडाउन के बाद जंगल सफारी को एक बार फिर पर्यटकों के लिए खोला गया उसके बाद से जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. यदि एक जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक कि बात करें तो इन 15 दिनों में महज 12 हजार 163 पर्यटक ही यहां आए हैं. इससे सफारी को कुल 7 लाख 80 हजार 650 रुपये का फायदा हुआ है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर कोरोना संक्रमण की मार नहीं पड़ी होती तो जंगल सफारी को इन दो वर्षों में कितना फायदा होता

जंगल सफारी का हर महीने खर्च 23 लाख रुपये

नवा रायपुर में स्थित 800 एकड़ में फैले एशिया के सबसे बड़े जंगल सफारी का एक महीना का खर्च 23 लाख रुपये है. यह खर्च जानवरों की देखरेख के साथ वहां उपयुक्त की जाने वाले वाहनों समेत तमाम गतिविधियों को लेकर होता है. लेकिन जिस तरह की स्थिति वर्तमान में बनी हुई है. उससे लाखों का राजस्व घाटा हो रहा है. क्योंकि कोरोना के चलते पर्यटक सफारी में कम ही जाना पसंद कर रहे हैं. सफारी में पर्यटकों के लिए 40 वाहन हैं.इन सभी वाहनों पर ही सवार होकर पर्यटक सफारी का भ्रमण करते हैं. यह सभी वाहन मिनी बस की तर्ज पर बनाए गए हैं.

पर्यटक पहुंच रहे हैं, लेकिन टेस्ट के डर से सफारी नहीं घूम रहे

आपको बता दें कि जंगल सफारी का भ्रमण करने वाले पर्यटकों को पहले कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य है. सफारी के बाहर यानी पार्किंग स्थल में अलग कोविड टेस्ट की व्यवस्था की गई है. जब पर्यटक टिकट काउंटर पर जाते हैं तो उनसे कोविड टेस्ट रिपोर्ट मांगी जाती है. जिस व्यक्ति या पर्यटक का रिपोर्ट निगेटिव आता है उसी व्यक्ति को सफारी की टिकट मिलती है. लेकिन जैसे ही पर्यटकों को कोविड टेस्ट की बात की जाती है तो कहीं पॉजिटिव न आ जाए इस भय से वह वापस लौट जाते हैं.

कोरोना के चलते पर्यटकों की संख्या में आई कमी

जंगल सफारी की संचालक एम मर्शिवेला ने बताया कि सफारी में एक पर्यटक का किराया 100 रुपये है. वहीं जू का 50 रुपये है. 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए सफारी का किराया 50 रुपये और जू का 25 रुपये है. जबकि 0 से 12 वर्ष के बच्चों की एंट्री फ्री है. सफारी की संचालक एम मर्शिवेला कहती है कि कोविड संक्रमण के चलते जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है. कोरोना को लेकर सफारी में एहतियात बरती जा रही है. बिना टेस्ट रिपोर्ट के पर्यटकों के सफारी में प्रवेश पर रोक है.

सफारी में 4 बाड़े

सफारी में वन्यजीवों के लिए चार अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं, जहां एक सुरक्षित बस के जरिए सफारी में खूंखार जंगली जानवरों को नजदीक से देख सकते हैं. गेट पार करने पर सबसे पहले शाकाहारी वन्य प्राणी सफारी आता है. जो कि 30 हेक्टेयर क्षेत्र में है. यहां चीतल, सांभर, बुलबुल, बर्क बियर और ब्लैक बक है. दूसरे बाड़े में खुले में भालू दिखेंगे. वर्तमान में 7 भालू सफारी में है. भालू सफारी 20 हेक्टेयर क्षेत्र में है. तीसरे गेट के बाद 20 हेक्टेयर के जंगल में टाइगर घूमते हुए दिख जाएंगे. नंदन वन जू में 11 बाड़ों में वन्यजीवों को रखा गया है. यहां 6 रॉयल बंगाल टाइगर, एक वाइट टाइगर, 7 एशियन लॉयन, 21 नीलगाय, 46 काला हिरण समेत अन्य जीव रखे गए हैं. जिन्हें पर्यटक आसानी से देख सकते हैं.

1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच पर्यटकों की संख्या

तारीखयुवा12-18 आयु वर्ग0-12 आयु वर्ग टोटलआमदनी
1 जनवरी 41168 1572595151100
2 जनवरी 408 55 185 3965 211875
3 जनवरी 370 39 147894 78350
4 जनवरी 254 3279 548 51050
5 जनवरी 208 20 76 455 40675
6 जनवरी 243 1260 407 41675
7 जनवरी 224 34 9847144200
8 जनवरी 257 34129 759 61475
9 जनवरी 42 1 17 123 10750
10 जनवरी 99 5 35 206 18950
11 जनवरी 93 5 35 20521425
12 जनवरी 77 13 33 26522575
13 जनवरी 141166329826550
14 जनवरी 258 29126 61952350
15 जनवरी 156 13 37 337
31375

रायपुर: कोरोना का असर हर ओर दिख रहा है. सबसे ज्यादा कोरोना की मार पर्यटन क्षेत्र पर पड़ी है. रायपुर के जंगल सफारी पर भी कोरोना का असर दिख रहा है. रायपुर का जंगल सफारी एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी है. कोरोना की वजह से इस सफारी में पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. जब देश में कोरोना का संक्रमण नहीं था उससे पहले एक दिन में 4 हजार से अधिक पर्यटक यहां आते थे. स्थिति यह थी कि पर्यटकों को दो तीन दिन पहले टिकट बुक करानी होती थी.

लेकिन लॉकडाउन के बाद जंगल सफारी को एक बार फिर पर्यटकों के लिए खोला गया उसके बाद से जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या में कमी देखी जा रही है. यदि एक जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक कि बात करें तो इन 15 दिनों में महज 12 हजार 163 पर्यटक ही यहां आए हैं. इससे सफारी को कुल 7 लाख 80 हजार 650 रुपये का फायदा हुआ है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर कोरोना संक्रमण की मार नहीं पड़ी होती तो जंगल सफारी को इन दो वर्षों में कितना फायदा होता

जंगल सफारी का हर महीने खर्च 23 लाख रुपये

नवा रायपुर में स्थित 800 एकड़ में फैले एशिया के सबसे बड़े जंगल सफारी का एक महीना का खर्च 23 लाख रुपये है. यह खर्च जानवरों की देखरेख के साथ वहां उपयुक्त की जाने वाले वाहनों समेत तमाम गतिविधियों को लेकर होता है. लेकिन जिस तरह की स्थिति वर्तमान में बनी हुई है. उससे लाखों का राजस्व घाटा हो रहा है. क्योंकि कोरोना के चलते पर्यटक सफारी में कम ही जाना पसंद कर रहे हैं. सफारी में पर्यटकों के लिए 40 वाहन हैं.इन सभी वाहनों पर ही सवार होकर पर्यटक सफारी का भ्रमण करते हैं. यह सभी वाहन मिनी बस की तर्ज पर बनाए गए हैं.

पर्यटक पहुंच रहे हैं, लेकिन टेस्ट के डर से सफारी नहीं घूम रहे

आपको बता दें कि जंगल सफारी का भ्रमण करने वाले पर्यटकों को पहले कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य है. सफारी के बाहर यानी पार्किंग स्थल में अलग कोविड टेस्ट की व्यवस्था की गई है. जब पर्यटक टिकट काउंटर पर जाते हैं तो उनसे कोविड टेस्ट रिपोर्ट मांगी जाती है. जिस व्यक्ति या पर्यटक का रिपोर्ट निगेटिव आता है उसी व्यक्ति को सफारी की टिकट मिलती है. लेकिन जैसे ही पर्यटकों को कोविड टेस्ट की बात की जाती है तो कहीं पॉजिटिव न आ जाए इस भय से वह वापस लौट जाते हैं.

कोरोना के चलते पर्यटकों की संख्या में आई कमी

जंगल सफारी की संचालक एम मर्शिवेला ने बताया कि सफारी में एक पर्यटक का किराया 100 रुपये है. वहीं जू का 50 रुपये है. 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए सफारी का किराया 50 रुपये और जू का 25 रुपये है. जबकि 0 से 12 वर्ष के बच्चों की एंट्री फ्री है. सफारी की संचालक एम मर्शिवेला कहती है कि कोविड संक्रमण के चलते जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है. कोरोना को लेकर सफारी में एहतियात बरती जा रही है. बिना टेस्ट रिपोर्ट के पर्यटकों के सफारी में प्रवेश पर रोक है.

सफारी में 4 बाड़े

सफारी में वन्यजीवों के लिए चार अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं, जहां एक सुरक्षित बस के जरिए सफारी में खूंखार जंगली जानवरों को नजदीक से देख सकते हैं. गेट पार करने पर सबसे पहले शाकाहारी वन्य प्राणी सफारी आता है. जो कि 30 हेक्टेयर क्षेत्र में है. यहां चीतल, सांभर, बुलबुल, बर्क बियर और ब्लैक बक है. दूसरे बाड़े में खुले में भालू दिखेंगे. वर्तमान में 7 भालू सफारी में है. भालू सफारी 20 हेक्टेयर क्षेत्र में है. तीसरे गेट के बाद 20 हेक्टेयर के जंगल में टाइगर घूमते हुए दिख जाएंगे. नंदन वन जू में 11 बाड़ों में वन्यजीवों को रखा गया है. यहां 6 रॉयल बंगाल टाइगर, एक वाइट टाइगर, 7 एशियन लॉयन, 21 नीलगाय, 46 काला हिरण समेत अन्य जीव रखे गए हैं. जिन्हें पर्यटक आसानी से देख सकते हैं.

1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच पर्यटकों की संख्या

तारीखयुवा12-18 आयु वर्ग0-12 आयु वर्ग टोटलआमदनी
1 जनवरी 41168 1572595151100
2 जनवरी 408 55 185 3965 211875
3 जनवरी 370 39 147894 78350
4 जनवरी 254 3279 548 51050
5 जनवरी 208 20 76 455 40675
6 जनवरी 243 1260 407 41675
7 जनवरी 224 34 9847144200
8 जनवरी 257 34129 759 61475
9 जनवरी 42 1 17 123 10750
10 जनवरी 99 5 35 206 18950
11 जनवरी 93 5 35 20521425
12 जनवरी 77 13 33 26522575
13 जनवरी 141166329826550
14 जनवरी 258 29126 61952350
15 जनवरी 156 13 37 337
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Last Updated : Feb 1, 2022, 8:15 AM IST
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