रायपुरः संसद के शीतकालीन सत्र (winter session of parliament) के पहले दिन लोकसभा में विपक्ष का हंगामा (Opposition uproar in Lok Sabha) के बाद तीन विवादास्पद कृषि विधि विधेयक 2021 को बिना किसी चर्चा के ही निरस्त करने की मंजूरी दे दी गई. कांग्रेस प्रवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कहा कि किसान भाई अपने खेत-खिलहान और अपनी रोजी छोड़कर आंदोलनरत थे.
केंद्र सरकार ने जिस काले कृषि कानून को लाया था, उसी दौरान किसान भाइयों ने समझ लिया था कि यह किसानों को तबाह करने वाला कानून (law to destroy farmers) है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल को यह समझने में एक साल लग गए. आज उस बिल को वापस लिया गया है लेकिन पिछले एक साल से जो किसान भाई आंदोलनरत थे, मैं उन सभी किसान भाइयों को सलाम करना चाहता हूं.
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आन्दोलन में 750 किसान शहीद
किसान आन्दोलन में 750 किसान शहीद (750 farmers martyred in peasant movement) हो गए. आखिर उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है? उनकी मौत के दोषियों को सजा कब मिलेगी? तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के संबंध में कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 पेश किया गया लेकिन इस पर विपक्ष को चर्चा नहीं करने दिया गया.
केंद्र सरकार को करनी चाहिए थी चर्चा
लोकतंत्र में प्रजातांत्रिक मूल्य (democratic values in a democracy) के तहत संविधान में हमें अधिकार दिया गया है कि चर्चा होनी चाहिए. केंद्र सरकार यदि गलत नहीं है तो उन्हें चर्चा करनी थी. जब इस कानून को लाया गया था उस दौरान भी सरकार चर्चा से भागी थी और आज भी यह सरकार चर्चा नहीं करना चाहती. देश का किसान और देश की जनता भी जानती है कि केंद्र में बैठी सरकार चर्चा से डर रही है?
पीएम ने दिखाया 'बड़प्पन'
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि हर समझदार लोग तीनों किसान बिल के बारे में जानते हैं. तीनों किसान बिल किसानों के हित में ही थे. यह तो प्रधानमंत्री का बड़प्पन और महानता है कि कृषि बिल को वापस लिया. सरकार के समझाइश के बाद भी कुछ किसानों को समझाया नहीं जा सका.