रायपुर : छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा ने कमर कस ली है. एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बहाने अब भाजपा प्रदेश में आदिवासियों को साधने में लगी है. प्रदेश में सक्रिय सभी राजनीतिक दलों के लिए बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटें महत्वपूर्ण रहती (BJP attempt to reach Bastar with the help of tribals) है. माना जाता है कि ''आदिवासी मतदाता एकजुट होकर वोट करते हैं जिसका असर पूरे राज्य के चुनाव परिणाम में दिखाई देता है. राज्य में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं. इसमें से 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2011 के जनगणना के अनुसार प्रदेश में 78 लाख 22 हजार 902 यानी लगभग 32% आदिवासी है.
राष्ट्रपति चुनाव परिणाम के बाद मनेगा जश्न : बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP spokesperson Sanjay Srivastava) ने बताया " 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए पूरे देश में वोटिंग हुई है. एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस तरह का समर्थन दिया है. हम एक ऐतिहासिक विजय की ओर अग्रसर है. देश का प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी वर्ग , छोटे परिवार , गरीब परिवार से हो उसके लिए भी संभावनाएं हैं राष्ट्रपति बनने की. परिणाम जब आएगा ना केवल आदिवासी वर्ग में बल्कि देश का हर व्यक्ति अपनी प्रसन्नता जाहिर करेगा. छत्तीसगढ़ के आदिवासी वर्ग में उत्साह है. नतीजे आने के बाद ढोल नगाड़ों के साथ भाजपा जश्न मनाएगी. प्रदेश के तमाम आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा ढोल नगाड़ों के साथ जश्न मनाते हुए मोदी और अमित शाह को भी आभार व्यक्त करेंगे."
आदिवासियों को लेकर बीजेपी पर आरोप : कांग्रेस मीडिया विभाग प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Congress Media Department State President Sushil Anand Shukla) ने बताया " एक व्यक्ति के बड़े पद पर पहुंचाने से उस समाज का फायदा होगा ऐसा नहीं (Congress attack on BJP tribal love) है. भारतीय जनता पार्टी मूल रूप से आदिवासियों के विरोधी है और इसको प्रदेश की जनता समझ गई है. यही वजह है कि भाजपा ने अपने उस लेबल को हटाने के लिए द्रोपति मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. 2006 में जो वन अधिकार बनाए थे तत्कालीन यूपीए सरकार ने उस नियम के प्रावधान जो आदिवासी वनवासियों के हित में थे , उसको खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने नियम बनाएं.छत्तीसगढ़ में 32 फीसदी आदिवासियों की आबादी है बड़ी संख्या में विधायक आदिवासी वर्ग से आते हैं. लेकिन कभी भी भाजपा ने आदिवासी समाज के हित के लिए कुछ नहीं किया. पेशा कानून बनाने के लिए भाजपा ने कभी नहीं सोचा. पांचवी अनुसूची के प्रावधान को लागू करने के बारे में कभी भाजपा ने नहीं सोचा. जो काम पिछले 3 साल में आदिवासियों के भले के लिए शुरू किया गया. भारतीय जनता पार्टी ने 15 साल के सरकार में भी वो काम नहीं किया.