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रायपुर में पोला पर्व पर बैलों की 'प्रतियोगिता', लोगों में भारी उत्साह - agricultural

मघा नक्षत्र शिव सिद्धि योग में पिठोरी अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या पोला (pole) का पर्व राजधानी रायपुर (Raipur) में 6 सितंबर को मनाया जाएगा. पर्व को लेकर लोगों में काफी खुशी और उल्लास है. पर्व पर कई आयोजन किए जाने की तैयारी है.

Pola festival in Raipur
रायपुर में पोला पर्व
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Published : Sep 5, 2021, 3:14 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 6:20 AM IST

रायपुरः मघा नक्षत्र शिव सिद्धि योग में पिठोरी सोमवती अमावस्या (Pithori Somvati Amavasya) के साथ पोला का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन ध्वांक्ष योग बन रहा है. इस दिन चंद्रमा, सिंह राशि (Moon, Leo) में विराजमान रहेंगे. सूर्य और राहु आपस में केंद्र में रहेंगे. चंद्रमा (Moon) से सप्तम गुरु होने की वजह से शुभ गजकेसरी योग (Gajakesari Yog) भी बन रहा है.

रायपुर में पोला पर्व पर बैलों की 'प्रतियोगिता

छत्तीसगढ़ के सभी इलाकों में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र के भी क्षेत्रों में बैल की पूजा कर इस त्योहार को मनाते हैं. मुख्य रूप से यह त्यौहार कृषि प्रधान (Agriculture dominated) बैलों के लिए मनाया जाता है, इस लिए इसे बैल पोला भी कहते हैं. इस त्योहार को लेकर गांव और शहरी क्षेत्र में लोगों में भारी उत्साह की लहर है.

पोला के दिन बैलों को सजाकर होगा प्रतियोगिता का आयोजन

पोला के दिन बैलों को नहला धुला कर साफ किया जाता है और उन्हें नए वस्त्र पहनाकर सजाया संवारा जाता है. इस दिन बैलों को सौंदर्य कर बैल साज सज्जा प्रतियोगिता (Competition) भी आयोजित की जाएगी. साथ ही बैल दौड़ का भी आयोजन होगा. इस दिन संपूर्ण छत्तीसगढ़ उत्साह-उमंग और जोश का वातावरण देखने को मिलेगा. इस दिन ठेठरी खुरमी गुजिया आदि व्यंजनों को भी खाने का विधान है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी खुश होकर इस त्योहार को मनाते हैं महिलाएं भिन्न-भिन्न तरह के स्वादिष्ट पकवान (dish) बनाकर इस त्यौहार को मनाते हैं.

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अन्नपूर्णा माता के गर्भधारण करने के कारण खेत पर जाना वर्जित
बड़े-बुजुर्ग बैल के सौंदर्य का आनंद लेते हैं. साथ ही बच्चे इस दिन लकड़ी मिट्टी या लोहे के बने हुए छोटे-छोटे बैलों को रस्सी से बांधकर दौड़ाते हैं. उछल कूद मचाते हैं. चारों तरफ उल्लास, हर्ष और आनंद का वातावरण रहता है. बच्चे इस दिन बहुत खुश होते हैं. मान्यता है कि अन्नपूर्णा माता गर्भ धारण करती है इस उपलक्ष्य में खेतों में नहीं जाने का भी नियम है. इस दिन धान के पौधों में दूध भरता है यह पवित्र त्यौहार महाराष्ट्र में भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पूरन पोली और खीर बनाई जाती है. जिससे बैलों को भोग लगाने के पश्चात परिवार प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है. यह त्यौहार (festival) संपूर्ण छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अनेक हिस्सों में पूरे जोश के साथ मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से कृषि प्रधान पर्व है इस दिन वर्षा होना भी शुभ माना जाता है.

रायपुरः मघा नक्षत्र शिव सिद्धि योग में पिठोरी सोमवती अमावस्या (Pithori Somvati Amavasya) के साथ पोला का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन ध्वांक्ष योग बन रहा है. इस दिन चंद्रमा, सिंह राशि (Moon, Leo) में विराजमान रहेंगे. सूर्य और राहु आपस में केंद्र में रहेंगे. चंद्रमा (Moon) से सप्तम गुरु होने की वजह से शुभ गजकेसरी योग (Gajakesari Yog) भी बन रहा है.

रायपुर में पोला पर्व पर बैलों की 'प्रतियोगिता

छत्तीसगढ़ के सभी इलाकों में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र के भी क्षेत्रों में बैल की पूजा कर इस त्योहार को मनाते हैं. मुख्य रूप से यह त्यौहार कृषि प्रधान (Agriculture dominated) बैलों के लिए मनाया जाता है, इस लिए इसे बैल पोला भी कहते हैं. इस त्योहार को लेकर गांव और शहरी क्षेत्र में लोगों में भारी उत्साह की लहर है.

पोला के दिन बैलों को सजाकर होगा प्रतियोगिता का आयोजन

पोला के दिन बैलों को नहला धुला कर साफ किया जाता है और उन्हें नए वस्त्र पहनाकर सजाया संवारा जाता है. इस दिन बैलों को सौंदर्य कर बैल साज सज्जा प्रतियोगिता (Competition) भी आयोजित की जाएगी. साथ ही बैल दौड़ का भी आयोजन होगा. इस दिन संपूर्ण छत्तीसगढ़ उत्साह-उमंग और जोश का वातावरण देखने को मिलेगा. इस दिन ठेठरी खुरमी गुजिया आदि व्यंजनों को भी खाने का विधान है. बच्चे, बूढ़े, जवान सभी खुश होकर इस त्योहार को मनाते हैं महिलाएं भिन्न-भिन्न तरह के स्वादिष्ट पकवान (dish) बनाकर इस त्यौहार को मनाते हैं.

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बड़े-बुजुर्ग बैल के सौंदर्य का आनंद लेते हैं. साथ ही बच्चे इस दिन लकड़ी मिट्टी या लोहे के बने हुए छोटे-छोटे बैलों को रस्सी से बांधकर दौड़ाते हैं. उछल कूद मचाते हैं. चारों तरफ उल्लास, हर्ष और आनंद का वातावरण रहता है. बच्चे इस दिन बहुत खुश होते हैं. मान्यता है कि अन्नपूर्णा माता गर्भ धारण करती है इस उपलक्ष्य में खेतों में नहीं जाने का भी नियम है. इस दिन धान के पौधों में दूध भरता है यह पवित्र त्यौहार महाराष्ट्र में भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पूरन पोली और खीर बनाई जाती है. जिससे बैलों को भोग लगाने के पश्चात परिवार प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है. यह त्यौहार (festival) संपूर्ण छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अनेक हिस्सों में पूरे जोश के साथ मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से कृषि प्रधान पर्व है इस दिन वर्षा होना भी शुभ माना जाता है.

Last Updated : Sep 6, 2021, 6:20 AM IST
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