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रिहा जवान राकेश्वर से मिले सीएम बघेल, मध्यस्थों को किया सम्मानित

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Published : Apr 12, 2021, 2:38 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 4:07 PM IST

बीजापुर मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मनहास से सीएम भूपेश बघेल ने मुलाकात की. सीएम ने जवान की रिहाई में शामिल प्रतिनिधिमंडल का भी सम्मान किया.

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जवान और प्रतिनिधिमंडल से सीएम ने की मुलाकात

रायपुर : बीजापुर नक्सली मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास से सीएम भूपेश बघेल ने मुलाकात की. कोबरा जवान राकेश्वर मनहास को नक्सलियों ने 8 अप्रैल को रिहा कर दिया था. सीएम ने कहा कि 'जब हम जगदलपुर आए थे तब राकेश्वर की मां ने मुझे अपने बेटे को सुरक्षित वापस लाने के लिए कहा था. मुझे खुशी है कि हम उसे वापस लाने में सफल रहे. इस ऑपरेशन में पत्रकारों और अन्य सभी अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं.'

सीएम भूपेश बघेल

कौन हैं 91 साल के 'ताऊ जी', जो जवान को नक्सलियों से छुड़ा लाए

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में शामिल प्रतिनिधिमंडल का सम्मान किया. जवान ने कहा कि 'मुझे पता चला था कि एक प्रतिनिधिमंडल मुझे वापस लेने आ रहा है. 8 अप्रैल को नक्सलियों ने जनसभा में मुझे रिहा कर दिया.'

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जवान का सीएम ने किया सम्मान

राकेश्वर को बीजापुर में 3 अप्रैल को हुए मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. लगातार सर्चिंग पार्टी जवान की तलाश में जुटी हुई थी. 8 अप्रैल को एक प्रतिनिधि मंडल और पत्रकारों के सामने नक्सलियों ने जवान को रिहा किया. इस बीच जवान का परिवार लगातार उनकी रिहाई की मांग कर रहा था.

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प्रतिनिधिमंडल से की बातचीत

कौन हैं धर्मपाल सैनी ?

मध्यस्थता टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित पद्मश्री धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 91 साल के धर्मपाल सैनी ने बिना थकावट के 500 किलोमीटर का लंबा और कठिन सफर तय किया और जवान को रिहा करा लाए. धर्मपाल सैनी को छत्तीसगढ़ में ताऊ जी के नाम से जाना जाता है. वे एक समाजसेवी हैं और माता रुकमणी कन्या आश्रम का संचालन करते हैं. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके आश्रम संचालित हो रहे हैं. धर्मपाल सैनी के आश्रम में पढ़कर कई बालिकाओं ने राष्ट्रीय खेलों में प्रथम पुरस्कार जीतकर बस्तर का नाम रोशन किया है.

सुखमती हपका की रही अहम भूमिका

इस टीम मुर्दोंडा की पूर्व सरपंच सुखमती हपका ने भी मध्यस्थता में अपनी अहम भूमिका निभाई. 2010 में नक्सलियों ने क्षेत्र के एक वकील को अगवा कर लिया था. उस दौरान हापका ने नक्सलियों से बातचीत कर उसकी रिहाई करवाई थी.

सेवानिवृत्त शिक्षक तेलम बोरैया

सरकार की ओर से गठित मध्यस्थता टीम में गोंडवाना समाज के जिला अध्यक्ष तेलम बोरैया भी मौजूद थे.पुलिस के एक अधिकारी ने उन्हें सरकार की तरफ से नक्सलियों से बात करने के लिए चुना. जिसके बाद वे नक्सलियों से मिलने पहुंचे और उनसे बात कर कश्मीर के रहने वाले जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करवाया. तेलम बोरैया ने बताया कि राकेश्वर सिंह की पत्नी व बेटी की अपील व उनके आंसू को देख हमने नक्सलियों के पास जाकर अपील की. जिसके बाद नक्सलियों ने जवान को रिहा किया.

रायपुर : बीजापुर नक्सली मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास से सीएम भूपेश बघेल ने मुलाकात की. कोबरा जवान राकेश्वर मनहास को नक्सलियों ने 8 अप्रैल को रिहा कर दिया था. सीएम ने कहा कि 'जब हम जगदलपुर आए थे तब राकेश्वर की मां ने मुझे अपने बेटे को सुरक्षित वापस लाने के लिए कहा था. मुझे खुशी है कि हम उसे वापस लाने में सफल रहे. इस ऑपरेशन में पत्रकारों और अन्य सभी अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं.'

सीएम भूपेश बघेल

कौन हैं 91 साल के 'ताऊ जी', जो जवान को नक्सलियों से छुड़ा लाए

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में शामिल प्रतिनिधिमंडल का सम्मान किया. जवान ने कहा कि 'मुझे पता चला था कि एक प्रतिनिधिमंडल मुझे वापस लेने आ रहा है. 8 अप्रैल को नक्सलियों ने जनसभा में मुझे रिहा कर दिया.'

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जवान का सीएम ने किया सम्मान

राकेश्वर को बीजापुर में 3 अप्रैल को हुए मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. लगातार सर्चिंग पार्टी जवान की तलाश में जुटी हुई थी. 8 अप्रैल को एक प्रतिनिधि मंडल और पत्रकारों के सामने नक्सलियों ने जवान को रिहा किया. इस बीच जवान का परिवार लगातार उनकी रिहाई की मांग कर रहा था.

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प्रतिनिधिमंडल से की बातचीत

कौन हैं धर्मपाल सैनी ?

मध्यस्थता टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित पद्मश्री धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 91 साल के धर्मपाल सैनी ने बिना थकावट के 500 किलोमीटर का लंबा और कठिन सफर तय किया और जवान को रिहा करा लाए. धर्मपाल सैनी को छत्तीसगढ़ में ताऊ जी के नाम से जाना जाता है. वे एक समाजसेवी हैं और माता रुकमणी कन्या आश्रम का संचालन करते हैं. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके आश्रम संचालित हो रहे हैं. धर्मपाल सैनी के आश्रम में पढ़कर कई बालिकाओं ने राष्ट्रीय खेलों में प्रथम पुरस्कार जीतकर बस्तर का नाम रोशन किया है.

सुखमती हपका की रही अहम भूमिका

इस टीम मुर्दोंडा की पूर्व सरपंच सुखमती हपका ने भी मध्यस्थता में अपनी अहम भूमिका निभाई. 2010 में नक्सलियों ने क्षेत्र के एक वकील को अगवा कर लिया था. उस दौरान हापका ने नक्सलियों से बातचीत कर उसकी रिहाई करवाई थी.

सेवानिवृत्त शिक्षक तेलम बोरैया

सरकार की ओर से गठित मध्यस्थता टीम में गोंडवाना समाज के जिला अध्यक्ष तेलम बोरैया भी मौजूद थे.पुलिस के एक अधिकारी ने उन्हें सरकार की तरफ से नक्सलियों से बात करने के लिए चुना. जिसके बाद वे नक्सलियों से मिलने पहुंचे और उनसे बात कर कश्मीर के रहने वाले जवान राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा करवाया. तेलम बोरैया ने बताया कि राकेश्वर सिंह की पत्नी व बेटी की अपील व उनके आंसू को देख हमने नक्सलियों के पास जाकर अपील की. जिसके बाद नक्सलियों ने जवान को रिहा किया.

Last Updated : Apr 12, 2021, 4:07 PM IST
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