रायपुरः भारत के मानचित्र में पर्यटन (Tourism) के दृष्टि से छत्तीसगढ़ की भी अपनी एक पहचान है. छत्तीसगढ़ में प्राचीन मंदिरों (ancient temples) के साथ ही कई गुफाएं, झरने और पिकनिक स्पॉट (picnic spot) बने हुए हैं. छत्तीसगढ़ के भोरमदेव के मंदिर को खजुराहो (Khajuraho) के नाम से जाना जाता है तो वहीं बस्तर के चित्रकोट को भारत का नियाग्रा (niagara of india) कहा जाता है, जहां पर देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी (tourists from abroad) यहां आकर यहां की खूबसूरती को निहारते हैं और छत्तीसगढ़ की तारीफ भी करते हैं.
छत्तीसगढ़ वनाच्छादित प्रदेश के अलावा आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है. इसलिए विभाग अब यहां की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अब ट्राइबल टूरिज्म की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन पर्यटन विभाग के द्वारा टूरिस्ट बस (tourist bus) की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में थोड़ी नाराजगी देखी जा रही है.
छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण स्थल
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों वाला राज्य है. पर्यटन की दृष्टिकोण से यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. वनाच्छादित प्रदेश होने की वजह से यह प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण प्रदेश है. आदिवासी बहुलता के कारण यहां की सांस्कृतिक सभ्यता अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी भिन्न मानी जाती है. शायद यही वजह है कि यहां संस्कृति और परंपरा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
पर्यटन की दृष्टिकोण से बस्तर के बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां के बारे में लोग अनभिज्ञ हैं. इसकी मुख्य वजह नक्सवाद को माना जाता है, लेकिन सरकार को इस दिशा में आज भी पहल करने की जरूरत है ताकि देश विदेश के लोग छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के साथ यहां की परंपरा से रूबरू हो सके. पर्यटन विभाग के अधिकारियों की माने तो छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग अब ट्राइबल टूरिज्म (Tribal Tourism) की दिशा में काम कर रहा है.
छत्तीसगढ़ के लगभग 13 पर्यटन स्थलों में एथनिक विलेज (ethnic village) हैं, जिसे ट्राइबल टूरिज्म सर्किट (Tribal Tourism Circuit) के तहत विकसित किया जा रहा है. जिसमें वुडन कॉटेजेस तैयार किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार की भारत स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत इन कॉटेजेस का निर्माण किया जा रहा है. जिसके तहत जशपुर का बलाछापर, कवर्धा का सरोदा दादर, चित्रकूट का दंडामी रिसोर्ट और कुरदार समेत लगभग 13 ऐसे चुने हुए प्राकृतिक स्थल हैं जो प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. उन सभी स्थलों पर कार्य किया जा रहा है. साथ ही वहां एक ट्राइबल हॉट तैयार कर रहे हैं, ताकि पर्यटक आदिवासी संस्कृति के बीच रहकर उनकी रहन सहन देख सके और उसका लुफ्त उठा सकें.
पर्यटकों के लिए ट्रैवल्स की नहीं कोई भी व्यवस्था
पर्यटन के जानकार डॉ हेमू यदु ने बताया कि छत्तीसगढ़ को पर्यटन का स्वर्ग कहा जाता है. यहां पर्यटन के क्षेत्र में बहुत सी संभावनाएं हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे पहले पर्यटकों के लिए बस चलना चाहिए. छत्तीसगढ़ में एक भी टूरिस्ट बस नहीं है. ढाई साल हो गए सरकार बने इस दिशा में कोई पहल नहीं कि गई है. पिछली सरकार ने भी इस पर कोई काम नही किया. यदि किसी को सिरपुर, राजिम समेत अन्य क्षेत्रों पर जाना चाहे तो टूरिस्ट बस नहीं है.
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पर्यटकों को घुमाने के लिए लगता है टूरिस्ट परमिट
कमल पान्द्रे ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छे-अच्छे पर्यटन स्थल है. कई प्रसिद्ध मंदिर भी है. बस्तर क्षेत्र तो वर्ल्ड के मैप में है. रायपुर के आसपास चंद्रपुर, चंद्रहासिनी, मैनपाट, डोंगरगढ़ ऐसे बहुत से मंदिर हैं. राजिम में तो गुजरात समेत अन्य राज्यों के लोग भी आते हैं. इसके लिए हमें टूरिस्ट परमिट बनाना पड़ता है. पर्यटक जितने दिन के उस स्थल पर जाएंगे. हमें उतने दिन का टूरिस्ट परमिट परिवहन विभाग से बनाना पड़ता है. टूरिस्ट परमिट हमें तत्काल मिल जाता है. इस पर कोई लेट लतीफ नहीं होता.
पर्यटन स्थल विकसित करने पर हो रहा है काम
पर्यटन विभाग की जनसंपर्क अधिकारी डॉ अनुराधा दुबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ को पूरा ही देश-विदेश के पर्यटन नक्शे में शामिल होने के लायक है. क्योंकि अभी तक केवल बस्तर के बारे में ही लोग जानते थे और बस्तर आना चाहते थे. लेकिन हमारा यह मकसद है कि बस्तर के अलावा भी छत्तीसगढ़ के जो दूसरे हिस्से हैं, चाहे वह उत्तर का हो या पूर्व का हिस्सा हो. उसके बारे में भी लोग जानें, इसलिए अभी सरगुजा, जशपुर बिलासपुर, कवर्धा यहां के पर्यटन स्थल को विकसित करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं ताकि जब एक पर्यटक आएं और एक पैकेज के रूप में जब घूमना पसंद करें.
घरेलू पर्यटन को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही योजना
कोरोना काल में पर्यटन बहुत प्रभावित हुए. यह केवल छत्तीसगढ़ की बात नहीं है देश-विदेश के सारे पर्यटन उद्योग हैं. वह प्रभावित हुए हैं, लेकिन अभी स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो चली है. फिर से हम लौट चलें हैं. पर्यटन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए, जहां तक अभी का जो माहौल है, वह घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने का माहौल है.