रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के पांचवें दिन कार्रवाई के दौरान शून्यकाल में संसदीय सचिवों (Parliamentary Secretaries) के अधिकारों पर विपक्ष ने सवाल उठाया.संसदीय सचिव के अधिकारों पर विपक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि, जब कई प्रदेशों में संसदीय सचिव बनाना बंद कर दिए गए हैं और विधानसभा कार्यवाही में उनका कोई अधिकार नहीं है तो सदन की किताबों में उनका उल्लेख क्यों? जिस पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने जवाब दिया कि, संसदीय सचिव मंत्रियों के सहयोग के लिए हैं.विधानसभा (budget session of chhattisgarh assembly) में भी इसका उल्लेख किया गया है.
मोहम्मद अकबर के जवाब से विपक्ष नाखुश
मंत्री का जवाब सुनकर विधायक अजय चंद्राकर (mla Ajay chandrakar) ने कहा कि ये कहीं नहीं लिखा है कि, उनको विभाग दिया जाएगा. विधानसभा में किसी प्रकार का कोई अधिकार नहीं है, तो उनकी फोटो सरकारी किताब में छापना गलत है. भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर आसंदी से व्यवस्था की मांग की.
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इसके बाद आसंदी ने व्यवस्था दिए जाने का आश्वासन दिया.असांदी ने कहा कि, विधि मंत्री ने संसदीय सचिव के मामले में स्थिति को स्पष्ट कर दी है, इसलिए इस सवाल को अमान्य किया जाता है. विपक्ष विधि मंत्री के जवाब से असंतुष्ट रहा और व्यवस्था किए जाने की मांग पर अड़ा रहा. इस मामले को लेकर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया. साथ ही संसदीय सचिव के अधिकारों की परिभाषा को पटल पर रखने मांग की.
आपको बता दें कि, संसदीय सचिवों का मामला कोई नया नहीं है.बीजेपी शासन में भी संसदीय सचिव की नियुक्ति और उनकी कार्यशैली को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे. अब जब सूबे की हवा के साथ-साथ सरकार बदली तो एक बार फिर संसदीय सचिव पर बीजेपी अपना रुख कड़ा किए हुए है.