कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बीएसएफ के जवान ने खुदकुशी कर ली. कोयलीबेड़ा के कामतेड़ा में BSF कैंप में तैनात जवान ने तड़के सुबह खुद को गोली मारकर अपनी जीवन लीला खत्म कर ली. मृतक जवान का नाम उज्जल नंदी है. जवान पश्चिम बंगाल के बरगरा का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि नाइट ड्यूटी से वापस लौटने के बाद सुबह सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली. जवान की खुदकुशी का कारण फिलहाल अज्ञात है. (Jawan shoots himself in Kanker Koylibeda camp )
छत्तीसगढ़ में जवानों के खुदकुशी के मामले (Cases of suicide of soldiers in Chhattisgarh )
- FEB 16 2022: रायपुर बीजेपी दफ्तर में सुरक्षाकर्मी ने खुद को गोली मारी
साल 2021 में जवानों के खुदकुशी के मामले
- 9 अप्रैल 2021: कांकेर में BSF के जवान ने खुद को मारी गोली
- 12 FEB 2021: कोंडागांव में ITBP के जवान ने खुदकुशी की
- 11 FEB 2021: नारायणपुर में ITBP जवान ने फांसी लगाई
रायपुर बीजेपी दफ्तर में सुरक्षाकर्मी ने खुद को मारी गोली, डिप्रेशन में था जवान
साल 2020 में जवानों के खुदकुशी के मामले
- 9 दिसंबर 2020: अंतागढ़ में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जवान स्वराज पीएल नाम केरल के वायनाड का रहने वाला था.
- 9 अप्रैल 2020 को कोयलीबेड़ा कैंप में उत्तर प्रदेश का रहने वाला जवान प्रदीप शुक्ला ने सर्विस रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
- 30 नवंबर 2020: बीजापुर जिले के कुटरु थाना इलाके में पुलिसकर्मी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी.
- 29 नवंबर 2020: पामेड़ थाना में पदस्थ आरक्षक ने अपनी सर्विस रायफल से गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी.
- 29 नवंबर 2020: कांकेर के पुसपाल थाने में तैनात सीएएफ जवान दिनेश वर्मा ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली.
- 21 नवंबर 2020: गीदम में पुलिस आरक्षक ने गोली मारकर खुदकुशी की
- साल 2007 से साल 2019 तक की छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं.
तनाव ले रहा जवानों की जान
छत्तीसगढ़ के 14 जिले नक्सल प्रभावित हैं. सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलरामपुर और कबीरधाम जिले नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. इस क्षेत्रों में सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों के कंधे पर है. इन इलाकों में तैनात जवानों के सामने मोर्चा लेने के दौरान तमाम परेशानियां सामने आती हैं. इसमें भी सबसे बड़ी वजह है तनाव, जो जवानों की जान ले रहा है.
जवानों की खुदकुशी का ये भी एक कारण
छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्रों में ड्यूटी पर तैनात जवानों के ऊपर काफी प्रेशर होता है. वे काफी प्रेशर में काम करते है. उनकी शिफ्ट भी अलग-अलग होती है. इससे नींद पूरी नहीं होती. एक लंबे समय से अपने घर से दूर रहते हैं, ऐसे में फैमिली का प्रेशर भी उनके ऊपर होता है. जवानों को 3 तरीके से प्रेशर रहता है. पहला परिवार का प्रेशर रहता है. दूसरा सामाजिक प्रेशर रहता है और तीसरा काम को लेकर प्रेशर रहता है. साइकेट्रिस्ट का मानना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जवानों को मजबूत बने रहने के लिए नियमित छुट्टियां, अटेंशन के साथ ही लगातार मनोचिकित्सक के संपर्क में भी रहने की जरूरत है.