रायपुरः यूं तो सभी विश्वविद्यालयों में बहुत सारे कोर्सेज पढ़ाए जाते हैं. जिसे बच्चों का भविष्य में अच्छा स्कोप रहता है. वहीं, जॉब अपॉर्चुनिटी (Job Opportunity) भी रहती है. लेकिन कई ऐसे कोर्स हैं जिसके बारे में बच्चों को पता नहीं रहता. जिस वजह से बच्चे उसका चयन नहीं करते. हालांकि उन कोर्सेज में भी फ्यूचर अपॉर्चुनिटी काफी अच्छी रहती है. आज ऐसे ही एक कोर्स 'बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग' (Biomedical engineering) की बात हम करने जा रहे हैं.
बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering), बायोलॉजी और इंजीनियरिंग (Biology and Engineering) का एक मिक्स कोर्स (Mix Course) है. जो कि आज बहुत सारे विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है. लेकिन कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिनको इस कोर्स के बारे में ज्यादा नहीं पता रहता. ईटीवी भारत ने एनआईटी रायपुर के बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...
सवालः बायोमेडिकल इंजीनियरिंग किस तरह का सब्जेक्ट है और कोविड के दौरान किस तरह ही काम आए हैं?
जवाबः एनआईटी (NIT) रायपुर बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता ने बताया कि जब हम इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं तब हमें पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ) और पीसीबी (फिजिक्स, केमेस्ट्री, बॉयो) के बीच चुनना पड़ता है. जैसा कि हमने कोरोना के दौरान देखा कि जो भी लोग बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग पढ़ते हैं, उन्हें कोरोना काल के दौरान इस्तेमाल किए गए इंस्ट्रूमेंट का पूरा नॉलेज था. जैसे कि थर्मामीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर आदि इन सभी डिवाइस की नॉलेज बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाते वक्त दी जाती है. यह नॉर्मली बीटेक के 4 साल के कोर्स में बच्चों को पढ़ाया जाता है.
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सवालः इंजीनियरिंग की अधिकतर फील्ड बायोलॉजी और हुमन बॉडी पर ही क्यों होती हैं आधारित?
जवाबः स्टूडेंट का इंटरेस्ट इस फील्ड में रहता है. लेकिन जो स्टूडेंट बायोलॉजी के साथ 12 वीं में पीसीएम होता है, वह ऑल रेडी बायोलॉजी और पीसीएम पढ़े होते हैं. तो वह ज्यादातर इस फील्ड में इंटरेस्ट दिखाते हैं और इस कोर्स को चुनते हैं. कई बार ऐसे भी स्टूडेंट आते हैं, जो पीसीएम सब्जेक्ट से पढ़े होते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर हम पीसीएम पढ़े हैं तो बायोलॉजी से हम बहुत दूर हैं. इस वजह से उन्हें काफी डिफिकल्टिज (Difficulties) होती है. इस तरह के सब्जेक्ट में देखा जाए तो आज इंजीनियरिंग की अधिकतर फील्ड बायोलॉजी और हुमन बॉडी (Human Body) पर ही काम कर रही है.
सवालः किन सब्जेक्ट्स में युवाओं को स्टार्टअप में मिलती है सहायता?
जवाबः सभी बड़े कंपनियों के आज हेल्थ केयर यूनिट हैं उनकी प्लेसमेंट्स भी होती है. सबसे ज्यादा इस सब्जेक्ट को पढ़ कर युवाओं के लिए स्टार्टअप की अपॉर्चुनिटी बहुत ज्यादा है. क्योंकि इंडिया में मेडिकल डिवाइसेज की मैन्युफैक्चरिंग लगभग नहीं होती. यहां तक कि थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर जैसे डिवाइसेज भी हम दूसरे देश से इंपोर्ट करते हैं. तो अगर एक इंडियन स्टूडेंट (Indian Student) थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर को भी बना लेता है तो उसके लिए भारत में बहुत बड़ा मार्केट है और भारत पूरे विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मार्केट भी है.