रायपुर: जीवन के लिए पर्यावरण सहित जैव विविधता का संरक्षण बहुत जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए हर साल 22 मई को जैव विविधता दिवस मनाया जाता है. जैव विविधता के संतुलन को बनाए रखने में मनुष्य महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. इसका संरक्षण और संवर्धन सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. जैव विविधता दिवस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी को शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा कि "छत्तीसगढ़ में जैव विविधता संरक्षण की आदर्श परंपरा रही है. जो हमारे लिए गौरव का विषय है. हमारे वनों और ग्रामीण परिवेश में इसकी प्रधानता देखने को मिलती है". (Bhupesh Baghel wishes on Biodiversity Day )
जैव विविधता क्या है: जीव जंतु, पेड़ पौधों में पाई जाने वाली अलग-अलग तरह की विशेषताएं ही जैव विविधता कहलाती है. जैव विविधता हमारे ग्रह पर सभी जीवित चीजों से बनी है. जिसे अरबों सालों के विकास ने आकार दिया है. ये प्रकृति और मनुष्य के बीच तालमेल के महत्व को दर्शाता है. जो प्रकृति के संतुलन के लिए आवश्यक है.
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जैव विविधता कितने प्रकार की होती है: ये तीन प्रकार की होती है. आनुवांशिक विविधता, प्रजातीय विविधता, पारिस्थितक विविधता.
आनुवांशिक विविधता गुणसूत्रों पर आधारित है. जो जीवों के आनुवांशिक संरचना के बीच भिन्नता को दिखाती है. किसी विशेष प्रजाति के जीव अपने आनुवांशिक संरचना में एक दूसरे से अलग होते हैं. यहीं वजह है कि हर जीव एक दूसरे से अलग दिखता है.
प्रजातीय विविधता: यह एक विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में विविधता को दिखाता है. इसमें पौधों से लेकर विभिन्न सूक्षमजीव की सभी प्रजातियां शामिल है.
पारिस्थितिक विविधता: किसी खास पारिस्थितिक तंत्र में पाई जाने वाली विविधता को पारिस्थितिक विविधता कहते हैं.
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जैव विविधता का रखरखाव क्यों जरूरी: पृथ्वी और जीवन को बचाए रखने के लिए जैव विविधता का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है. पेड़ पौधों, जीव जंतुओं के बिना जीवन चक्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
इसलिए मनाते हैं जैव विविधता दिवस
प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का महत्व देखते हुए ही जैव-विविधता दिवस को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. इसमें विशेष तौर पर वनों की सुरक्षा, संस्कृति, जीवन के कला शिल्प, संगीत, वस्त्र-भोजन, औषधीय पौधों का महत्व आदि को प्रदर्शित करके जैव-विविधता के महत्व एवं उसके न होने पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना है.