हैदराबाद/रायपुरः पितृ पक्ष श्राद्ध (Pitru Paksha Shradh) एक तरह का कार्यक्रम है. कुटुप मुहूर्त एवं रोहिना मुहूर्त (Kutup Muhurta and Rohina Muhurta) को अष्टमी श्राद्ध के लिए काफी अच्छा माना जाता है. बाद का मुहूर्त अपराह्न काल समाप्ति तक रहता है. श्राद्ध के अंत में तर्पण (Tarpan) करने का वैदिक परंपरा (Vedic Tradition) है.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार यमपुरी (yampuri) के लिए आत्मा की यात्रा (soul's journey) मृत्यु के तेरह दिनों के बाद शुरू होती है. यह वहां सत्रह दिन बाद पहुंचती है. यम के दरबार (Yama's Court) तक पहुंचने के लिए आत्मा ग्यारह महीने की यात्रा करती है. इस दरम्यान भोजन और जल प्रदान करने के लिए पिंडदान तथा तर्पण (Pind Daan And Tarpan) किया जाता है. यह इस विस्वास के साथ किया जाता है कि यह भोजन और जल आत्मा की भूख और प्यास को मिटाएगा.
अष्टमी तिथि की शुरूआत –28सितंबर 18:16
अष्टमी तिथि की समाप्ति–29 सितंबर 20:29
पितरों को खुश किए जाने के लिए होता है यह अनुष्ठान
-पूर्वजों को याद तथा श्रद्धांजलि के लिए श्राद्ध संस्कार होते हैं.
-तर्पण और पिंडदान परिवार का सदस्य करता है.
-तर्पण और पिंडदान अधिकांश मामलों में परिवार का बड़ा पुरुष सदस्य करता है.
-पिंडा चावल, गाय के दूध, घी, चीनी आदि से बने गोल ढेर होते हैं.
-पितरों को खुश करने के लिए तर्पण किया जाता है.
- तर्पण में काला तिल, जौ, कुश घास और सफेद फूलों को मिला कर जल का भोग देते हैं.
-श्राद्ध कर्म उचित समय पर मंत्र उच्चारण के साथ किया जाता है.
-गाय, कौआ, कुत्ते और चींटियों को क्रमशः भोजन कराते हैं.
-ब्राह्मणों को भी काफी सम्मान के साथ भोजन कराते हैं. दक्षिणा और कपड़े दान में दिए जाने के प्रावधान हैं.
-अपराह्न में अनुष्ठान किए जाने के बाद प्रसाद वितरण करते हैं.
-इस दिन किया गया दान और चैरिटी काफी फलदायी माना गया है.