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Vocal for Local: वड़ोदरा में 400 साल पुराने तरीके से बनाए जा रहे 'मिट्टी के पटाखे'

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Published : Nov 2, 2021, 11:00 AM IST

Updated : Nov 2, 2021, 12:50 PM IST

वड़ोदरा (Vadodara News) के मार्केट में इस दिवाली मिट्टी से बने पटाखे (clay crackers) उतारे गए हैं. करीब 400 साल पुरानी विधि से मिट्टी के पटाखे (400 year old method of making crackers) बनाए गए हैं. जो पूरी तरह इको फ्रेंडली है. वोकल फॉर लोकल की थीम पर एक NGO लोकल कुम्हारों को इन पटाखों को बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है.

400-year-old-method-of-making-firecrackers-with-clay-in-vadodara
वड़ोदरा में 400 साल पुराने तरीके से बनाए जा रहे मिट्टी के पटाखे

वडोदरा: दिवाली पर PM मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' (Vocal for Local ) को दिशा देने वड़ोदरा जिले में एक NGO काम कर रहा है. प्रमुख परिवार फाउंडेशन (Pramukh Parivar Foundation) नाम के इस NGO की मदद से 400 साल पुराने तरीके से मिट्टी के देसी पटाखे (Firecrackers with clay) बनाए जा रहे हैं. मिट्टी से बनाए जा रहे पटाखे पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है. जो ना सिर्फ प्रदूषण को कम करेंगे. बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी देंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi )के 'वोकल फॉर लोकल' के आदर्श वाक्य ने NGO को इस सदियों पुरानी कला को फिर से जीवंत करने के लिए प्रेरित किया. इससे ना केवल लुप्त होती कला को पुनर्जीवित किया जा सकेगा बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा. मिट्टी से बने इन पटाखों को 'कोठी' के नाम से जाना जाता है. पिछले दो दशक से ये पटाखे बनने बंद हो गए थे. लेकिन एक बार फिर मिट्टी के इन पटाखों को इस दिवाली, बाजार में उतारा गया है. वडोदरा जिले के फतेहपुर के कुम्हारवाड़ा में कुछ शिल्पकार मिट्टी का उपयोग करके पटाखे बनाने में माहिर हैं. प्रमुख परिवार फाउंडेशन की तरफ से ऐसे शिल्पकारों से संपर्क कर उन्हें इस तरह के मिट्टी के पटाखे बनाने के लिए प्रेरित किया गया. जिससे ना सिर्फ 400 साल पुरानी कला को पुनर्जीवित किया गया बल्कि रोजगार के नए अवसर भी दे रहे हैं.

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400 साल पुराने तरीके से बनाए पटाखे

प्रमुख परिवार फाउंडेशन के अध्यक्ष नित्तल गांधी ने बताया कि, 'ये पटाखे इको-फ्रेंडली (eco friendly crackers) हैं. ये पटाखे बनाकर लोकल कारीगरों को नया रोजगार मिला है. ये पटाखे 100 परसेंट स्वदेशी है. 'कोठी' मिट्टी से बनी होती है. एक कुम्हार ने इन्हें मिट्टी का उपयोग करके बनाया था. इसमें चकरी कागज और बांस का भी उपयोग होता है. इसका उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को रोजगार उपलब्ध कराना है. ये पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं. पूरी तरह ईको फ्रेंडली होने के साथ ही बच्चों के लिए भी सुरक्षित हैं. '

रमन प्रजापति नाम के शिल्पकार ने NGO को एक बार फिर कोठी बनाने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि वे ये पटाखे इतने सुरक्षित हैं कि कोई भी इन्हें अपने हाथों में भी रख कर फोड़ सकता है.

वडोदरा: दिवाली पर PM मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' (Vocal for Local ) को दिशा देने वड़ोदरा जिले में एक NGO काम कर रहा है. प्रमुख परिवार फाउंडेशन (Pramukh Parivar Foundation) नाम के इस NGO की मदद से 400 साल पुराने तरीके से मिट्टी के देसी पटाखे (Firecrackers with clay) बनाए जा रहे हैं. मिट्टी से बनाए जा रहे पटाखे पूरी तरह से इकोफ्रेंडली है. जो ना सिर्फ प्रदूषण को कम करेंगे. बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी देंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi )के 'वोकल फॉर लोकल' के आदर्श वाक्य ने NGO को इस सदियों पुरानी कला को फिर से जीवंत करने के लिए प्रेरित किया. इससे ना केवल लुप्त होती कला को पुनर्जीवित किया जा सकेगा बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा. मिट्टी से बने इन पटाखों को 'कोठी' के नाम से जाना जाता है. पिछले दो दशक से ये पटाखे बनने बंद हो गए थे. लेकिन एक बार फिर मिट्टी के इन पटाखों को इस दिवाली, बाजार में उतारा गया है. वडोदरा जिले के फतेहपुर के कुम्हारवाड़ा में कुछ शिल्पकार मिट्टी का उपयोग करके पटाखे बनाने में माहिर हैं. प्रमुख परिवार फाउंडेशन की तरफ से ऐसे शिल्पकारों से संपर्क कर उन्हें इस तरह के मिट्टी के पटाखे बनाने के लिए प्रेरित किया गया. जिससे ना सिर्फ 400 साल पुरानी कला को पुनर्जीवित किया गया बल्कि रोजगार के नए अवसर भी दे रहे हैं.

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400 साल पुराने तरीके से बनाए पटाखे

प्रमुख परिवार फाउंडेशन के अध्यक्ष नित्तल गांधी ने बताया कि, 'ये पटाखे इको-फ्रेंडली (eco friendly crackers) हैं. ये पटाखे बनाकर लोकल कारीगरों को नया रोजगार मिला है. ये पटाखे 100 परसेंट स्वदेशी है. 'कोठी' मिट्टी से बनी होती है. एक कुम्हार ने इन्हें मिट्टी का उपयोग करके बनाया था. इसमें चकरी कागज और बांस का भी उपयोग होता है. इसका उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को रोजगार उपलब्ध कराना है. ये पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं. पूरी तरह ईको फ्रेंडली होने के साथ ही बच्चों के लिए भी सुरक्षित हैं. '

रमन प्रजापति नाम के शिल्पकार ने NGO को एक बार फिर कोठी बनाने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि वे ये पटाखे इतने सुरक्षित हैं कि कोई भी इन्हें अपने हाथों में भी रख कर फोड़ सकता है.

Last Updated : Nov 2, 2021, 12:50 PM IST
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