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कोरबा जिले के तीन विकासखंडों में रेल है सपना, कई लोगों ने नहीं देखी है ट्रेन

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Published : Apr 25, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 2:52 PM IST

हमारे देश भले ही आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा हो लेकिन आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां विकास की रोशनी नहीं पहुंची है. छत्तीसगढ़ के कोरबा में कई ब्लॉक ऐसे हैं जहां रेलगाड़ी मानो लोगों के लिए (Rail did not reach the development block of Korba)सपना है.

Rail did not reach the development block of Korba
कोरबा जिले के तीन विकासखंडों में रेल है सपना

कोरबा : केंद्र सरकार देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. आने वाले अगस्त महीने में देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर लेगा. लेकिन इसी बीच प्रदेश की ऊर्जाधानी कहलाने वाले कोरबा के तीन विकासखंड में विकास की रेल नहीं पहुंच (Rail did not reach the development block of Korba ) पाई है. आजादी के बाद से लेकर अब तक रेलवे के मानचित्र पर ये विकासखंड स्थान नहीं पा सके हैं. कोरबा जिले के कटघोरा, पाली और पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में रेल की पटरियां नहीं पहुंच पाई है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले 57 फीसदी लोग आदिवासी और पिछड़े तबके के हैं. कई ग्रामीण तो ऐसे हैं जिन्होंने अब तक रेलवे का सफर ही नहीं किया है.

कोरबा के गांवों में कब पहुंचेगी रेल

खर्च करते हैं 10 गुना अधिक पैसे : कटघोरा से लेकर पाली और पोड़ी उपरोड़ा तक के लोग आज भी बसों में सफर करते हैं. यदि किसी को रेल का सफर करना होता है तो वो कोरबा आता है.जिसकी दूरी सौ किलोमीटर से भी ज्यादा है. इसलिए लोग बसों के जरिए ही सफर करना पसंद करते हैं. कटघोरा और पाली जैसे क्षेत्रों से बिलासपुर, रायपुर या फिर अंबिकापुर से लेकर झारखंड की ओर का सफर करना हो तो ये सभी बसों के ही भरोसे (Korba three development blocks rely on bus) हैं.वहीं रेल नेटवर्क नहीं होने से इन इलाकों में मिलने वाले सामान के दाम भी काफी ज्यादा होते हैं.

इमरजेंसी में होती है मुसीबत : आम दिनों की यात्राएं तो जैसे-तैसे ये गरीब जनता कर लेती है. लेकिन यदि इन इलाकों में कोई गंभीर रुप से बीमार हो जाए तो समझिए आफत आ गई. क्योंकि गाड़ी बुकिंग करने के अलावा इन गरीब ग्रामीणों के पास दूसरा रास्ता नहीं होता. ग्रामीणों का कहना है कि यदि इलाके में रेल आती तो शहर जाने में आसानी होती. वहीं पैसों की भी बचत होती.

कोरबा में SECR जोन के जीएम: हसदेव को रोज चलाने का प्रस्ताव भेजा, कोरबा की मॉनिटरिंग पीएमओ स्तर से

ऐसे समझिये कोरबा की भौगोलिक स्थिति: कोरबा जिले में कुल 5 विकासखंड हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार कोरबा जिले की कुल आबादी 12 लाख 6 हजार 640 है. जिसमें से शहरी आबादी 4 लाख 46 हजार 290 है. और ग्रामीण आबादी 7 लाख 60 हजार 350 है. हालांकि वर्तमान परिवेश में इन आंकड़ों में बदलाव हो चुके हैं. जिले की कुल आबादी अब 14 लाख के करीब है.

इन क्षेत्रों में नहीं पहुंच पाई रेल सुविधा

कटघोरा विकासखंड की कुल जनसंख्या 3 लाख 4 हजार 58 है. जहां 68 हजार 557 परिवार निवासरत हैं. कटघोरा विकासखंड जिले का सर्वाधिक साक्षरता दर वाला विकासखंड है. जहां 80.12 फीसदी लोग साक्षर हैं. कटघोरा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों की संख्या 36.4 प्रतिशत है.

पाली विकासखंड में कुल आबादी के 1 लाख 98 हजार 746 हैं. जहां 45 हजार 518 परिवार निवासरत है. यहां साक्षरता दर 68.4 फीसदी है. ज्यादातर इलाके ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं. यहां अनुसूचित जाति के 8.7 प्रतिशत, तो अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वालों का प्रतिशत 52 फीसदी है. दोनों को मिलाने पर आंकड़ा कुल आबादी का 61 फ़ीसदी है. पाली में ज्यादातर आबादी आदिवासियों की है.

पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा विकासखंड है। हालांकि यहां की आबादी 1 लाख 88 हजार 783 है। जहां 44 हजार 125 परिवार निवासरत हैं। पोड़ीके में 212 गांव आते हैं। यहां 72 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। जबकि अनुसूचित जाति के भी 3.5 लोग आते हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिला देने पर पोड़ी उपरोड़ा में 76.8 फ़ीसदी लोग बेहद पिछड़े और दलित समुदाय से आते हैं.

पेंड्रा से रेलमार्ग जोड़ने की बात : एक दशक से भी अधिक समय से गेवरारोड से पेंड्रा रोड को जोड़ने की बात चल रही है. गेवरा रोड से पेंड्रा रोड के बीच 135 किलोमीटर की रेल लाइन (Train from Gevra to Pendra) का निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है. लेकिन इसमें अब भी जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का पेंच फंसा है. इसे पूरा करने के लिए 2022-23 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी.

गेवरा-पेंड्रा के बीच 9 स्टेशन : लेकिन अब तक आधा काम भी पूरा नहीं हो सका है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार गेवरा से पेंड्रा के बीच 9 रेलवे स्टेशन होंगे. जिनमे से 7 कोरबा जिले के अंदर होंगे. यह सभी 7 रेलवे स्टेशन कटघोरा, पोड़ी और पाली क्षेत्रों में बनेंगे. जहां आज तक रेल लाइन का कोई विस्तार नहीं हुआ है.

कोरबा रेलवे ने जारी किया यात्री टोल फ्री नंबर 139

योजना के लिए बजट स्वीकृत : इस परियोजना की कुल लागत 4 हजार 970 करोड़ रुपए है. हाल ही में केंद्र सरकार ने इसके लिए बजट का आवंटन भी किया है. कटघोरा से डोंगरगढ़ के बीच भी रेल एक नई रेल परियोजना डोंगरगढ़-कवर्धा-कटघोरा (Dongargarh Kawardha Katghora Rail Line) के बीच भी मूर्त रूप लेगी. इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से पूरा किया जाना है. लेकिन फिलहाल इसका काम शुरू नहीं हुआ है.

कब होगा काम शुरु: डोंगरगढ़-कटघोरा रेललाइन पर काम शुरू कब होगा इसकी जानकारी भी स्पष्ट नहीं है. डोंगरगढ़ से कटघोरा के बीच की दूरी 295 किलोमीटर है. यहां कुल 27 स्टेशन प्रस्तावित हैं. इसमें डोंगरगढ़ से कवर्धा के मध्य 12 और कवर्धा से कटघोरा के मध्य 15 स्टेशन का निर्माण होना है. इसकी लागत भी 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक है.

जल्द ही वंचित क्षेत्र जुड़ेंगे रेल नेटवर्क से : इस विषय में एसईसीआर के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि गेवरा रोड से पेंड्रा रोड के मध्य नई रेल लाइन का कार्य काफी तेजी से चल रहा है.। भूमि अधिग्रहण का कुछ मामला पेंडिंग है, लेकिन छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है. जल्द ही सभी वंचित क्षेत्र भी रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे.

कोरबा : केंद्र सरकार देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. आने वाले अगस्त महीने में देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर लेगा. लेकिन इसी बीच प्रदेश की ऊर्जाधानी कहलाने वाले कोरबा के तीन विकासखंड में विकास की रेल नहीं पहुंच (Rail did not reach the development block of Korba ) पाई है. आजादी के बाद से लेकर अब तक रेलवे के मानचित्र पर ये विकासखंड स्थान नहीं पा सके हैं. कोरबा जिले के कटघोरा, पाली और पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में रेल की पटरियां नहीं पहुंच पाई है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले 57 फीसदी लोग आदिवासी और पिछड़े तबके के हैं. कई ग्रामीण तो ऐसे हैं जिन्होंने अब तक रेलवे का सफर ही नहीं किया है.

कोरबा के गांवों में कब पहुंचेगी रेल

खर्च करते हैं 10 गुना अधिक पैसे : कटघोरा से लेकर पाली और पोड़ी उपरोड़ा तक के लोग आज भी बसों में सफर करते हैं. यदि किसी को रेल का सफर करना होता है तो वो कोरबा आता है.जिसकी दूरी सौ किलोमीटर से भी ज्यादा है. इसलिए लोग बसों के जरिए ही सफर करना पसंद करते हैं. कटघोरा और पाली जैसे क्षेत्रों से बिलासपुर, रायपुर या फिर अंबिकापुर से लेकर झारखंड की ओर का सफर करना हो तो ये सभी बसों के ही भरोसे (Korba three development blocks rely on bus) हैं.वहीं रेल नेटवर्क नहीं होने से इन इलाकों में मिलने वाले सामान के दाम भी काफी ज्यादा होते हैं.

इमरजेंसी में होती है मुसीबत : आम दिनों की यात्राएं तो जैसे-तैसे ये गरीब जनता कर लेती है. लेकिन यदि इन इलाकों में कोई गंभीर रुप से बीमार हो जाए तो समझिए आफत आ गई. क्योंकि गाड़ी बुकिंग करने के अलावा इन गरीब ग्रामीणों के पास दूसरा रास्ता नहीं होता. ग्रामीणों का कहना है कि यदि इलाके में रेल आती तो शहर जाने में आसानी होती. वहीं पैसों की भी बचत होती.

कोरबा में SECR जोन के जीएम: हसदेव को रोज चलाने का प्रस्ताव भेजा, कोरबा की मॉनिटरिंग पीएमओ स्तर से

ऐसे समझिये कोरबा की भौगोलिक स्थिति: कोरबा जिले में कुल 5 विकासखंड हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार कोरबा जिले की कुल आबादी 12 लाख 6 हजार 640 है. जिसमें से शहरी आबादी 4 लाख 46 हजार 290 है. और ग्रामीण आबादी 7 लाख 60 हजार 350 है. हालांकि वर्तमान परिवेश में इन आंकड़ों में बदलाव हो चुके हैं. जिले की कुल आबादी अब 14 लाख के करीब है.

इन क्षेत्रों में नहीं पहुंच पाई रेल सुविधा

कटघोरा विकासखंड की कुल जनसंख्या 3 लाख 4 हजार 58 है. जहां 68 हजार 557 परिवार निवासरत हैं. कटघोरा विकासखंड जिले का सर्वाधिक साक्षरता दर वाला विकासखंड है. जहां 80.12 फीसदी लोग साक्षर हैं. कटघोरा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों की संख्या 36.4 प्रतिशत है.

पाली विकासखंड में कुल आबादी के 1 लाख 98 हजार 746 हैं. जहां 45 हजार 518 परिवार निवासरत है. यहां साक्षरता दर 68.4 फीसदी है. ज्यादातर इलाके ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं. यहां अनुसूचित जाति के 8.7 प्रतिशत, तो अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वालों का प्रतिशत 52 फीसदी है. दोनों को मिलाने पर आंकड़ा कुल आबादी का 61 फ़ीसदी है. पाली में ज्यादातर आबादी आदिवासियों की है.

पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा विकासखंड है। हालांकि यहां की आबादी 1 लाख 88 हजार 783 है। जहां 44 हजार 125 परिवार निवासरत हैं। पोड़ीके में 212 गांव आते हैं। यहां 72 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। जबकि अनुसूचित जाति के भी 3.5 लोग आते हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिला देने पर पोड़ी उपरोड़ा में 76.8 फ़ीसदी लोग बेहद पिछड़े और दलित समुदाय से आते हैं.

पेंड्रा से रेलमार्ग जोड़ने की बात : एक दशक से भी अधिक समय से गेवरारोड से पेंड्रा रोड को जोड़ने की बात चल रही है. गेवरा रोड से पेंड्रा रोड के बीच 135 किलोमीटर की रेल लाइन (Train from Gevra to Pendra) का निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है. लेकिन इसमें अब भी जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का पेंच फंसा है. इसे पूरा करने के लिए 2022-23 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी.

गेवरा-पेंड्रा के बीच 9 स्टेशन : लेकिन अब तक आधा काम भी पूरा नहीं हो सका है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार गेवरा से पेंड्रा के बीच 9 रेलवे स्टेशन होंगे. जिनमे से 7 कोरबा जिले के अंदर होंगे. यह सभी 7 रेलवे स्टेशन कटघोरा, पोड़ी और पाली क्षेत्रों में बनेंगे. जहां आज तक रेल लाइन का कोई विस्तार नहीं हुआ है.

कोरबा रेलवे ने जारी किया यात्री टोल फ्री नंबर 139

योजना के लिए बजट स्वीकृत : इस परियोजना की कुल लागत 4 हजार 970 करोड़ रुपए है. हाल ही में केंद्र सरकार ने इसके लिए बजट का आवंटन भी किया है. कटघोरा से डोंगरगढ़ के बीच भी रेल एक नई रेल परियोजना डोंगरगढ़-कवर्धा-कटघोरा (Dongargarh Kawardha Katghora Rail Line) के बीच भी मूर्त रूप लेगी. इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से पूरा किया जाना है. लेकिन फिलहाल इसका काम शुरू नहीं हुआ है.

कब होगा काम शुरु: डोंगरगढ़-कटघोरा रेललाइन पर काम शुरू कब होगा इसकी जानकारी भी स्पष्ट नहीं है. डोंगरगढ़ से कटघोरा के बीच की दूरी 295 किलोमीटर है. यहां कुल 27 स्टेशन प्रस्तावित हैं. इसमें डोंगरगढ़ से कवर्धा के मध्य 12 और कवर्धा से कटघोरा के मध्य 15 स्टेशन का निर्माण होना है. इसकी लागत भी 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक है.

जल्द ही वंचित क्षेत्र जुड़ेंगे रेल नेटवर्क से : इस विषय में एसईसीआर के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि गेवरा रोड से पेंड्रा रोड के मध्य नई रेल लाइन का कार्य काफी तेजी से चल रहा है.। भूमि अधिग्रहण का कुछ मामला पेंडिंग है, लेकिन छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है. जल्द ही सभी वंचित क्षेत्र भी रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे.

Last Updated : Apr 26, 2022, 2:52 PM IST
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