महासमुंद: छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हर साल की तरह नन्हें बच्चों ने गुड्डा-गुड्डी का विवाह बड़े हर्षोल्लास के साथ कराया. अक्षय तृतीया एक ऐसा विशेष दिन है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे ही सारे शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं. इस दिन शादी का सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त माना जाता है. ऐसा प्रचलन है कि गुड्डा-गुड्डी का विवाह भी किया जाता है. यह रस्म है और इसको अकती लग्न भी कहा जाता है जिस दिन सबसे ज्यादा शादी होती है ऐसे में विवाह की रस्म अदायगी शुभ मानी जाती है.
बच्चों ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए अपने नन्हें हाथों से मंडप और दूल्हा-दुल्हन को आकर्षक रूप से तैयार करके शादी की सभी रस्में जैसे मेहंदी, हल्दी, गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली. शादी के पूरे कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया.
गुड्डा-गुड्डी की शादी में सोशल डिस्टेंस का पालन
कोरोना वायरस के चलते जहां शादी और सोशल कार्यक्रम पूरी तरह प्रतिबंधित हो गए हैं. उसमें यह बच्चे अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में गुड्डा-गुड्डी की शादी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश कर रहे हैं.