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कोरबा में सावधान! यहां घूमती रहती है मौत - स्नेक रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष जितेंद्र सारथी

Snakebite Cases increased in Korba: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले को नागलोग कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी. बरसात शुरू होते ही यहां सर्पदंश के मामले काफी बढ़ जाते हैं. कोरबा स्वास्थ्य विभाग, रेस्क्यू टीम की सक्रियता के साथ ही सांप काटने के मामले 1 साल में 3 गुना बढ़ गए हैं.

snakebite cases increased in Korba
कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े
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Published : Jul 7, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Jul 7, 2022, 9:41 PM IST

कोरबा: बारिश का मौसम शुरू होते ही कोरबा नागलोक बन जाता है. शहरी से लेकर उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सर्पदंश के मामले बड़ी तादात में सामने आने लगते हैं. कई बार जानकारी के अभाव में लोग झाड़-फूंक और बैगा गुनिया के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिससे उनकी जान भी आफत में पड़ जाती है. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही जिले में लगातार बढ़ रहे सर्पदंश मामलों के मद्देनजर अब स्वास्थ्य विभाग ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की है. अब सरकारी एंबुलेंस में मौजूद कर्मचारी विशेषज्ञों की निगरानी में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम दे सकते हैं. (snakebite cases increased in Korba )

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े

दुनिया का सबसे जहरीला सांप कोबरा अब रिहायशी क्षेत्रों में भी: पूरे भारत में बेहद चुनिंदा जगह दुनिया के सबसे जहरीले सांप कोबरा की मौजूदगी है. इसे सांपों का राजा "नागराज भी कहा जाता है. कोरबा जिले के एक निश्चित क्षेत्र में इनकी मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं. लेकिन अब रिहायशी इलाकों से भी रेस्क्यू टीम ने कोबरा का रेस्क्यू किया है. हाल ही में शहर के करीब स्थित पुलिस लाइन से रेस्क्यू टीम को कोबरा सांप मिला है. जबकि कोरबा की सीमा से लगे हुए जांजगीर जिले में भी कोबरा के एक दर्जन सपोले पाए गए थे, जिनका रेस्क्यू कोरबा की रेस्क्यू टीम ने किया था. वन विभाग खूबसूरत सांपों को संरक्षित करने की योजना भी बना रहा है, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि जानकारी के अभाव में या भूलवश कोई व्यक्ति कोबरा के संपर्क में आया और कोबरा ने उन्हें काट लिया तो जान बचना बेहद मुश्किल है. (cobra snake in korba)

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े, 2021 में रिकॉर्ड बढ़त: बीते 5 साल की तुलनात्मक स्थिति देखने पर कोरबा जिले में सर्पदंश के मामलों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़त आई है. साल 2021 में तो सारे रिकॉर्ड टूट गए. इस दौरान लोगों को सांप के काट लेने के कुल 959 मामले सामने आए हैं. लगभग 50 लोगों की मौत भी हुई है. जबकि 2020 में सांप काटने के कुल 353 केस सामने आए थे. हालांकि हर साल लगभग दर्जन भर लोगों की जान सांप काटने से चली जाती है. कई बार आंकड़े स्वास्थ्य विभाग तक भी नहीं पहुंच पाते.

बारिश के मौसम में जमीन पर सोने से पहले पढ़ें ये खबर

स्वास्थ्य विभाग के पास दवा का भरपूर स्टॉक: सर्पदंश के मामलों को बढ़ता हुआ देख कोरबा स्वास्थ विभाग ने अब सरकारी एंबुलेंस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने का नियम बना दिया है. सीएमएचओ डॉ बोडे ने बताया "अब लोगों तक पहुंचने वाली 108 में भी एंटी स्नेक वेनम हमेशा उपलब्ध रहेगा. इसके अलावा जिले के सभी सामुदायिक केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी स्नेक वेनम का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. सांप काट लेने की स्थिति में लोग झाड़-फूंक या बैगा गुनिया के चक्कर में ना पड़े. सीधे स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक से संपर्क करें. इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्राम सचिवों से मदद ले रहे हैं.'' (Korba CMHO Dr BB Bode)

महज 10 फीसदी सांप ही होते हैं जहरीले: सांपों के विषय में एक तथ्य यह भी है कि भारत में आमतौर पर जितने भी सांप पाए जाते हैं, उनमें केवल 10 फीसदी ही जहरीले होते हैं. स्नेक रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष जितेंद्र सारथी कहते हैं कि ''जिनके काटने पर जान जाने का खतरा होता है, ऐसे सांपों की संख्या महज 10 फीसदी है. इनमें मुख्यत: कोबरा, करैत, रसल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और घोड़ा करैत जैसे सांप आते हैं. जिले में जहरीले सांपों के पाए जाने की भी संभावना अधिक है. जिसके कारण खासतौर पर कोरबा जिले के लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है. बरसात के मौसम में सांपों के मिलने की घटनाएं सामान्य हो गईं हैं. ऐसे में उन्हें मारे नहीं, हमें सूचना दें और सावधान रहें.'' (Snake Rescue Team President Jitendra Sarathi)

बारिश के साथ ही बढ़ते हैं कोरबा में सर्पदंश के मामले

कोरबा जिले का 40 फीसदी हिस्सा वनों से घिरा: कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. लेकिन यहां के 40 फीसदी हिस्से में वन हैं. एक बड़ा हिस्सा घने वनों से आच्छादित है. कई क्षेत्र सुदूर वनांचल में हैं, जहां ग्रामीण निवास करते हैं. जंगल से लगे होने के कारण सांप रिहायशी इलाकों और गांव में प्रवेश कर जाते हैं. यह सर्पदंश का एक बड़ा कारण भी है.

रेस्क्यू टीम की सक्रियता के साथ सर्पदंश भी बढ़े : बीते 2, 3 सालों में वन विभाग के अधीन काम करने वाले रेस्क्यू टीम की सक्रियता भी जिले में बढ़ी है. जिले में सांपों का रेस्क्यू करने वाले लोग सक्रिय हैं. लेकिन जिस अनुपात में सांप रेस्क्यू करने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ी है. उसी अनुपात में सर्पदंश के मामलों में भी बढ़त आई है. पिछले 1 साल में सर्पदंश के मामले जिले में 3 गुना बढ़ गए हैं.

साल सर्पदंश के मामले
2017 361
2018445
2019235
2020353
2021959

कोरबा: बारिश का मौसम शुरू होते ही कोरबा नागलोक बन जाता है. शहरी से लेकर उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सर्पदंश के मामले बड़ी तादात में सामने आने लगते हैं. कई बार जानकारी के अभाव में लोग झाड़-फूंक और बैगा गुनिया के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिससे उनकी जान भी आफत में पड़ जाती है. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही जिले में लगातार बढ़ रहे सर्पदंश मामलों के मद्देनजर अब स्वास्थ्य विभाग ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की है. अब सरकारी एंबुलेंस में मौजूद कर्मचारी विशेषज्ञों की निगरानी में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम दे सकते हैं. (snakebite cases increased in Korba )

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े

दुनिया का सबसे जहरीला सांप कोबरा अब रिहायशी क्षेत्रों में भी: पूरे भारत में बेहद चुनिंदा जगह दुनिया के सबसे जहरीले सांप कोबरा की मौजूदगी है. इसे सांपों का राजा "नागराज भी कहा जाता है. कोरबा जिले के एक निश्चित क्षेत्र में इनकी मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं. लेकिन अब रिहायशी इलाकों से भी रेस्क्यू टीम ने कोबरा का रेस्क्यू किया है. हाल ही में शहर के करीब स्थित पुलिस लाइन से रेस्क्यू टीम को कोबरा सांप मिला है. जबकि कोरबा की सीमा से लगे हुए जांजगीर जिले में भी कोबरा के एक दर्जन सपोले पाए गए थे, जिनका रेस्क्यू कोरबा की रेस्क्यू टीम ने किया था. वन विभाग खूबसूरत सांपों को संरक्षित करने की योजना भी बना रहा है, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि जानकारी के अभाव में या भूलवश कोई व्यक्ति कोबरा के संपर्क में आया और कोबरा ने उन्हें काट लिया तो जान बचना बेहद मुश्किल है. (cobra snake in korba)

कोरबा में सर्पदंश के मामले बढ़े, 2021 में रिकॉर्ड बढ़त: बीते 5 साल की तुलनात्मक स्थिति देखने पर कोरबा जिले में सर्पदंश के मामलों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़त आई है. साल 2021 में तो सारे रिकॉर्ड टूट गए. इस दौरान लोगों को सांप के काट लेने के कुल 959 मामले सामने आए हैं. लगभग 50 लोगों की मौत भी हुई है. जबकि 2020 में सांप काटने के कुल 353 केस सामने आए थे. हालांकि हर साल लगभग दर्जन भर लोगों की जान सांप काटने से चली जाती है. कई बार आंकड़े स्वास्थ्य विभाग तक भी नहीं पहुंच पाते.

बारिश के मौसम में जमीन पर सोने से पहले पढ़ें ये खबर

स्वास्थ्य विभाग के पास दवा का भरपूर स्टॉक: सर्पदंश के मामलों को बढ़ता हुआ देख कोरबा स्वास्थ विभाग ने अब सरकारी एंबुलेंस में भी एंटी स्नेक वेनम रखने का नियम बना दिया है. सीएमएचओ डॉ बोडे ने बताया "अब लोगों तक पहुंचने वाली 108 में भी एंटी स्नेक वेनम हमेशा उपलब्ध रहेगा. इसके अलावा जिले के सभी सामुदायिक केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी स्नेक वेनम का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. सांप काट लेने की स्थिति में लोग झाड़-फूंक या बैगा गुनिया के चक्कर में ना पड़े. सीधे स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक से संपर्क करें. इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्राम सचिवों से मदद ले रहे हैं.'' (Korba CMHO Dr BB Bode)

महज 10 फीसदी सांप ही होते हैं जहरीले: सांपों के विषय में एक तथ्य यह भी है कि भारत में आमतौर पर जितने भी सांप पाए जाते हैं, उनमें केवल 10 फीसदी ही जहरीले होते हैं. स्नेक रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष जितेंद्र सारथी कहते हैं कि ''जिनके काटने पर जान जाने का खतरा होता है, ऐसे सांपों की संख्या महज 10 फीसदी है. इनमें मुख्यत: कोबरा, करैत, रसल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और घोड़ा करैत जैसे सांप आते हैं. जिले में जहरीले सांपों के पाए जाने की भी संभावना अधिक है. जिसके कारण खासतौर पर कोरबा जिले के लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है. बरसात के मौसम में सांपों के मिलने की घटनाएं सामान्य हो गईं हैं. ऐसे में उन्हें मारे नहीं, हमें सूचना दें और सावधान रहें.'' (Snake Rescue Team President Jitendra Sarathi)

बारिश के साथ ही बढ़ते हैं कोरबा में सर्पदंश के मामले

कोरबा जिले का 40 फीसदी हिस्सा वनों से घिरा: कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. लेकिन यहां के 40 फीसदी हिस्से में वन हैं. एक बड़ा हिस्सा घने वनों से आच्छादित है. कई क्षेत्र सुदूर वनांचल में हैं, जहां ग्रामीण निवास करते हैं. जंगल से लगे होने के कारण सांप रिहायशी इलाकों और गांव में प्रवेश कर जाते हैं. यह सर्पदंश का एक बड़ा कारण भी है.

रेस्क्यू टीम की सक्रियता के साथ सर्पदंश भी बढ़े : बीते 2, 3 सालों में वन विभाग के अधीन काम करने वाले रेस्क्यू टीम की सक्रियता भी जिले में बढ़ी है. जिले में सांपों का रेस्क्यू करने वाले लोग सक्रिय हैं. लेकिन जिस अनुपात में सांप रेस्क्यू करने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ी है. उसी अनुपात में सर्पदंश के मामलों में भी बढ़त आई है. पिछले 1 साल में सर्पदंश के मामले जिले में 3 गुना बढ़ गए हैं.

साल सर्पदंश के मामले
2017 361
2018445
2019235
2020353
2021959
Last Updated : Jul 7, 2022, 9:41 PM IST
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