कोरबा : राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(RVUNL)के सीएमडी आरके शर्मा छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार के पास कोयले का केवल 6 दिनों का ही स्टॉक बचा है. इसकी सबसे बड़ी वजह कोयले की कमी है. छत्तीसगढ़ को परसा कोल ब्लॉक से राजस्थान को कोयला जाना है. लेकिन उत्खनन का विरोध होने से कोयला नहीं निकाला जा रहा. जिससे पावर प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
क्यों नही हो रहा कोयले का उत्खनन : कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत (Korba MP Jyotsna Mahanta) ने इस बारे में कहा है कि ''कोयला उत्खनन से पर्यावरण का विनाश होगा. खदानों के लिए पहले जिन जमीनों का अधिग्रहण हुआ है. उनका निराकरण अभी नहीं हो पाया, पुनर्वास एक बड़ी समस्या है. आदिवासी खदान का विरोध कर रहे हैं. हम उन्हीं के साथ हैं, हम वहां के लोगों का साथ देंगे ''
क्या है हरदेव अरण्य संघर्ष समिति का कहना : इस विषय में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (Hasdeo Aranya Bachao Sangharsh Samiti) के संयोजक और गांव पातुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर आर्मो ने कहा कि ''सीएमडी भूल गए हैं कि 2010 में हसदेव को नो गो एरिया घोषित किया गया था. 2014 में भी इनकी स्वीकृति को एनजीटी ने निरस्त कर दिया था. यह मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में है. सीएमडी ने यह भी कहा कि हसदेव के केवल 2.2% में उत्खनन होगा, इससे पर्यावरण का विनाश नहीं होगा. जबकि वास्तविकता ये है कि 170 हजार हेक्टेयर में फैले जंगल को उजाड़ा जाएगा. जिससे लाखों पेड़ कटेंगे. RVUNL का MDO अडानी ग्रुप से है जिसका फायदा भी निजी कंपनी को मिलेगा.''
कौन है कोल की कमी का जिम्मेदार : आर्मो की माने तो ''परसा कोल ब्लॉक में अभी खनन शुरू नहीं हुआ है. जिसकी क्षमता 5 एमटीपीए है. जबकि PEKB खदान की क्षमता 18 एमटीपीए है. जो कि 3600 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन के लिए पर्याप्त है. 740 मेगावाट उत्पादन के लिए भी कोल इंडिया लिमिटेड से लिंकेज उपलब्ध है. बावजूद इसके फेस- 2 के लिए क्षमता को 15 से बढ़ाकर 18 एमटीपीए की अनुमति हासिल कर ली गई है. फेस 1 खदान से RVUNL ने सिर्फ 83 मिलियन टन कोयले का उत्खनन किया है. जबकि मंत्रालय के अनुसार यहां 150 एमटी कोयला है. यदि कोयला समाप्ति के कगार पर है तो बचे हुए कोयले का हिसाब दिया जाए? कई सवाल हैं। ऐसे में सीएमडी का बयान गैर जिम्मेदाराना है.''
कौन कर रहा है विरोध :वर्तमान में परसा में 5 एमटीपीए कोयला उत्खनन की अनुमति के लिए परसा कोल ब्लॉक को केंद्र और राज्य सरकार ने अनुमति दे दी है. परसा ईस्ट केते बासन में फेस टू के विस्तार की अनुमति भी मिल गई है. लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण यहां खनन नहीं हो पा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि निजी कंपनी अडानी लगातार पेड़ों की कटाई कर रही है. सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में पेड़ काटे जा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में भी गहरा सकता है ऊर्जा संकट : वर्तमान में कोरबा में स्थापित छत्तीसगढ़ राज्य के पवार प्लांट भी क्रिटिकल कंडीशन में आ गए हैं. 1340 मेगावाट क्षमता वाले एचटीपीपी संयंत्र में फिलहाल 2 लाख 20 हजार टन कोयले का स्टॉक मौजूद है. यह केवल 10 दिनों तक चलेगा, मुख्य अभियंता एसके कटियार ने कहा है कि "हमारे पास 10 दिनों का ही कोयला शेष है। इसलिए हम पाल प्लांट को कम लोड पर चला रहे हैं". वहीं डीएसपीएम में 3 दिन और मड़वा पावर प्लांट में 6 दिनों के कोयले का स्टाक शेष बचा है.