कोरबाः तीन दिन पहले 25 फरवरी की रात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिलाई बाजार में पदस्थ महिला नर्स अपहरण कांड की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है. कोरबा में नर्स ओम साहू का अपहरण (Nurse Om Sahu kidnapped in Korba) उसके करीबी ने ही कराया था.
पुलिस ने मामले का खुलासा किया है. घटना की रात करीब 8:30 बजे अपहृत होने के बाद अगली सुबह महिला खुद ही सकुशल लौट आई. पुलिस के पास चली गई. इसके बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की और 2 दिन के भीतर ही इस पूरे मामले को सुलझा लिया. अपहृत नर्स के करीबी सुरेंद्र राठौर इस पूरे अपहरण कांड का मास्टरमाइंड है. जिसने 3 लाख रुपये सुपारी देकर 2 करोड़ की फिरौती के लालच में महिला का अपहरण करवाया था. हालांकि पुलिस की नाकेबंदी से घबड़ाकर अपहरणकर्ताओं ने महिला को घटना वाली रात को ही जंगल में छोड़ दिया था.
महिला की तलाश करने का ऑपरेशन पूरी रात चलता है. लेकिन अगले दिन महिला रहस्यमई रूप से खुद ही वापस लौट आई. जांच पड़ताल शुरू हुई. पुलिस को पता चला कि जिस स्कॉर्पियो वाहन से अपहरण हुआ है, वह CG 12 कोरबा पासिंग वाहन है. परिवहन विभाग से जानकारी लेकर पुलिस ने सफेद रंग की स्कार्पियो वाहनों का पता लगाया. जानकारी मिली कि हरदीबाजार, दीपका क्षेत्र में कुल 21 सफेद रंग स्कॉर्पियो वाहन चल रहे हैं.
स्कार्पियों नंबर के सहारे अपराधियों तक पहुंची पुलिस
घटना दिनांक को कौन सा वाहन कहां था? इस जानकारी को एकत्र करने के दौरान पता चला कि सीजी 12 AW 4542 संदीप मानिकपुरी के नाम पर पंजीकृत है. जिसे अरविंद प्रताप कोर्राम घटना के दिन चला रहा था. सीसीटीवी फुटेज और वाहन नंबर मैच होने पर पुलिस ने अरविंद को हिरासत में लिया. कड़ाई से पूछताछ की और पूरा सच सामने आ गया. अरविंद ने ही पुलिस को बताया कि कि सुरेंद्र राठौर ने उन्हें महिला की अपहरण के एवज में 3 लाख रुपये की सुपारी दी है. हालांकि सुपारी की पूरी रकम प्रदान नहीं की गई थी. सुरेंद्र ने अपहरणकर्ताओं को कुछ एडवांस दिया था, फिरौती वसूलने के बाद पूरी रकम देने की बात तय हुई थी.
मास्टरमाइंड ने खुद किया था सहानुभूति जुटाने का प्रयास
अपहरण वाली रात को आरोपियों ने जब अपहरण की घटना को अंजाम दिया, तब पुलिस ने जिले के सभी बॉर्डर सील कर दिये. आरोपियों को सोशल मीडिया व खबरों से सूचना मिल गई. चुंकि वह सभी पहली बार किडनैपिंग जैसी किसी घटना को अंजाम दे रहे थे, वह घबरा गए महिला को गांव बोइदा के समीप जंगल में छोड़ दिया. अपहरणकर्ताओं में संजीव कुमार गोंड, अरविंद्र प्रताप सिंह कोर्राम, शत्रुघन सिंह और गोवा राज शामिल थे. इन चारों को अपहरण कांड के मास्टरमाइंड सुरेंद्र कुमार राठौर ने सुपारी दी थी. अपहरणकर्ताओं ने महिला को जंगल में आंख में पट्टी और हाथ बांधकर छोड़ दिया.
सुरेंद्र सहानुभूति जुटाने के लिए महिला तक पहुंचा और उसकी आंखों से पट्टी खोली. उसे भिलाई बाजार से आधी रात को ही अपनी बुलेट पर बैठा कर सहानुभूति जुटाने के लिए मानिकपुर चौकी अंतर्गत अपने घर ले आया. इसके बाद महिला अगली सुबह 8.00 बजे पुलिस के पास पहुंची. महिला ने पुलिस को बताया कि सुरेंद्र राठौर महिला का परिचित है. अपहरण के बाद उसे ढूंढते हुए विदा के जंगल में पहुंचा था.
पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि सुरेंद्र ने महिला को 80 हजार रुपये का उधार दिया है. सुरेंद्र को यह जानकारी थी कि मुआवजे के एक मामले में महिला को ढेर सारे पैसे मिले हैं. इसके कारण ही उसने फिरौती की लालच में महिला का अपहरण कर आया.
बिलासपुर में पेट्रोल पंप में तोड़फोड़ करने वाला नाबालिग गिरफ्तार
नाकेबंदी के बीच महिला के साथ पहुंचा पुलिस के पास
घटना वाली रात पुलिस ने पूरे जिले में नाकेबंदी कर दी थी. लेकिन यह नाकेबंदी बॉर्डर पर ज्यादा सघन थी. इसके कारण ही सुरेंद्र राठौर महिला को ढूंढने का नाटक करते हुए रात के 3:30 बजे बोइदा के जंगल में पहुंचा. इस नाकेबंदी के बीच ही उसने अपहृत महिला को अपनी बुलेट पर बैठाया और मानिकपुर चौकी स्थित अपने घर ले गया. सुबह 8 बजे मास्टरमाइंड ही महिला को लेकर पहले जिला अस्पताल और फिर पुलिस तक पहुंचा. इस पूरे प्रकरण में पुलिस की चौकसी पर भी सवाल उठे हैं. आधी रात को महिला मास्टरमाइंड के साथ ही 25 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय तक पहुंच गयी और पुलिस अपहरणकर्ताओं को ढूंढती रही. फिलहाल इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि एक अन्य आरोपी सुनील सिंह फिलहाल फरार है. पुलिस ने उसे भी जल्द गिरफ्तार कर लिए जाने का दावा किया है.