कोरबा: कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास हो या फिर अन्य गतिविधियां बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से मोबाइल पर निर्भर हो चुकी है. इसका दुष्परिणाम भी इस तरह से सामने आ रहे हैं कि टीनएजर्स लड़कियां, मोबाइल के जरिए किसी ना किसी के संपर्क में आ रही हैं और वह घर छोड़ रही हैं. बाल कल्याण समिति के समक्ष अब हर दिन इस तरह के 3 से 4 मामले संज्ञान में आ रहे हैं. जानकारों की मानें तो अभिभावकों को अपने बच्चों की कड़ी निगरानी करनी होगी. यह सुनिश्चित करना होगा कि मोबाइल फोन का उपयोग वह किस काम के लिए कर रहे हैं.
173 लापता मामलों में 134 लड़कियां
नाबालिग लड़के और लड़कियों की गुमशुदगी को लेकर हाल ही में पुलिस की ओर से एक आंकड़ा जारी किया गया था. जिसके अनुसार जनवरी 2020 से अब तक की स्थिति में जिले से 173 लड़के और लड़कियों के गुमशुदगी के मामला पुलिस के संज्ञान में आए थे. इसमें से 134 लड़कियों को बरामद कर पुलिस ने सफलतापूर्वक परिवार के सुपुर्द कर दिया है. गुमशुदा में कुल 173 में से 140 लड़कियां हैं, जबकि लड़कों के संख्या महज 33 है.
लड़कियों के साथ ही पुलिस ने 33 लड़कों को भी बरामद किया है. पुलिस इसके लिए ऑपरेशन मुस्कान का विशेष ऑपरेशन चलाती है. कोरबा में इसका सफलता प्रतिशत काफी बेहतर है.
![child welfare committee](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-krb-02-teenagegirlssrory-avb-spl-7208587_05082021150044_0508f_1628155844_1087.jpg)
1 महीने में ही 15 लड़कियां बरामद
कोरोना काल के बाद जैसे ही परिस्थितियां कुछ सामान्य हुई. लड़कियों के घर छोड़ने की संख्या (escape of-minor girls) में तेजी देखने को मिलती गई. बीते जुलाई महीने में ही पुलिस ने ऐसी 15 लड़कियों को अलग-अलग स्थानों से बरामद किया है. कुछ लड़कियों को वापल लाने के लिए पुलिस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश तक का सफर तय किया है. विशेष टीम इन्हें वापस कोरबा लेकर आई है. पिछले एक महीने में ही 15 लड़कियों को पुलिस ने बरामद किया है. सभी की उम्र 13 से 17 वर्ष के बीच है यानी रेस्क्यू की गई अधिकतर नाबालिग हैं.
'मोबाइल फोन' जिम्मेदार
बाल कल्याण समिति के सदस्य बीपा चक्रवर्ती बताती हैं कि कोरोना काल में इसे मजबूरी कहें या जरूरत. मोबाइल फोन बच्चियों के हाथ में आ गया है. अधिकतर अभिभावक बच्चों की निगरानी नहीं रख पाते हैं. लड़कियां मोबाइल फोन का किस तरह से उपयोग कर रहे हैं. जो मोबाइल बच्चों के लिए सुविधा है, वहीं अब मुसीबत का कारण बन रहा है.
मोबाइल फोन के जरिए लड़कियां किसी व्यक्ति से बातचीत करने लगती हैं. धीरे-धीरे वह उनके बहकावे में आकर अपना घर छोड़ देती हैं.
बाल कल्याण समिति के समक्ष ऐसे माता-पिता भी उपस्थित हुए हैं. जिन्होंने बताया कि उनकी लड़कियां अनजान युवक से बंद कमरे में फोन पर बात करती थी और समझाइश देने पर आत्महत्या की धमकी मां-बाप को देती थी.
इस मामले में एएसपी कीर्तन राठौर का कहना है कि चूंकि कोरबा एक औद्योगिक जिला है. यहां काम के सिलसिले में मजदूर हो या फिर अन्य कार्यों में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति कोरबा आते हैं. वह किराए के मकान में रहते हैं. इस दौरान वह किसी न किसी लड़की के संपर्क में आते हैं. लड़कियां भी इनके बहकावे में आ जाती हैं और फिर घर छोड़ने को तैयार हो जाती हैं. कई मामलों में पुलिस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जाकर लड़कियों का रेस्क्यू किया है. वर्तमान में भी पुलिस की टीम पड़ोसी राज्य पहुंची और वहां से उनका रेस्क्यू किया.