कोरबा : प्रदेश का हरा सोना मतलब तेंदूपत्ता की डिमांड देशभर में है. सबसे अच्छी क्वालिटी का तेंदूपत्ता कोरबा वनमंडल के लेमरू के जंगल में पाया जाता है. लेकिन इस बार लेमरू के तेंदूपत्ता से भी ज्यादा कीमत पर गांव ठाकुरखेता के तेंदूपत्ता की बोली (Demand for tendu leaves of Korba Thakurkheta village increased) लगी है. शासन की ओर से तेंदूपत्ता संग्रहण के एवज में 4000 प्रति मानक बोरा का दर तय कर दिया गया है. ऑनलाइन नीलामी के दौरान इस दर से अधिक कीमत (Thakurkheta tendu leaves bid ten thousand rupees) पर बोली लगाए जाने पर अंतर की राशि संग्राहकों को बोनस के तौर पर प्रदान की जाती है.
लेमरू और विमलता के तेंदूपत्ता को ठाकुरखेता ने पछाड़ा : शासन की निर्धारित दर में इस वर्ष भी कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। शासन की ओर से हरे सोने का समर्थन मूल्य इस वर्ष भी 4 हजार रुपये प्रति बोरा (Support price this year also Rs 4 thousand per bag) है. बीते वर्ष कोरबा वनमंडल के गांव विमलता और लेमरू के तेंदूपत्ते की बोली 9 हजार 623 रुपए लगी थी. पिछले लगभग दो दशक से गुणवत्ता के मामले में लेमरू और विमलता के तेंदूपत्ता का एकाधिकार रहा है. पत्तों का उपयोग करने वाली कंपनियां इस बात का ख्याल रखती है. इसी आधार पर वह सर्वश्रेष्ठ पत्तों के बोली लगाते हैं.
कटघोरा में 68 और कोरबा में 38 वनोपज संग्रहण समितियां : कोरबा जिले का 40 फ़ीसदी भाग वन (40 percent forest of Korba district) क्षेत्र है. घने वन क्षेत्र वाले कोरबा और कटघोरा के 2 वनमंडलों में 92 हजार परिवार वनोपजों का संग्रहण करते हैं. कटघोरा में 68 तो कोरबा में 38 वनोपज संग्रहण समितियां हैं. सभी समितियों हरा सोना के संग्रहण से अच्छे मुनाफे की उम्मीद रहती है. हालांकि जिस समिति के पत्तों की बोली कम लगती है, उन्हें बोनस के तौर पर कम राशि मिलती है.
ये भी पढ़े- सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों के खाते में डाली गई 52 करोड़ की राशि
1 मई से शुरू होगा संग्रहण का काम : गुणवत्ता युक्त तेंदूपत्ता प्राप्त करने के लिए संग्रहण के पहले शाखकर्तन अनिवार्य होता है. 1 से 15 मार्च तक इसका काम पूरा कर लिया गया है. बोली लगाए जाने के बाद एडवांस में पत्तों की बिक्री भी हो चुकी है. अब 1 मई से नए पत्ते उगने के बाद तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम शुरू हो जाएगा. ग्रामीण इसकी तैयारी में लगे हुए हैं.