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जानिए किस जिले के बच्चे साइंस में हैं फिसड्डी ? - Survey of high school children in Korba district

कोरबा जिले में एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है. यहां दसवीं पास कर चुके बच्चों का जब सर्वे किया गया तो करीब 90 फीसदी बच्चे साइंस में फिसड्डी में साबित (NAS survey in Korba district) हुए.

Children of Korba district are poor in science
जानिए किस जिले के बच्चे साइंस में हैं फिसड्डी
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Published : Jun 15, 2022, 7:21 PM IST

कोरबा : राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की ताजा रिपोर्ट में कोरबा जिले में 10वीं पास कर चुके 89 प्रतिशत विद्यार्थी विज्ञान में फिसड्डी साबित हुए (Children of Korba district are poor in science) हैं. हौरानी वाली बात ये भी है कि सर्वे में एक्सीलेंट केटेगरी में एक भी छात्रा अपना नाम दर्ज कराने में सफल नहीं हुआ है. सर्वेक्षण में सिर्फ 8% की बेसिक शिक्षा ठीक बनी है. इसी तरह गणित में 44 प्रतिशत बच्चों में बेसिक ज्ञान कमजोर दिखा है. सामाजिक विज्ञान में बिलो बेसिक में शामिल किए गए. बच्चों का ग्राफ 71 प्रतिशत रहा. तीसरी और पांचवीं में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं, जबकि आठवीं की रिपोर्ट अपेक्षाकृत बेहतर रही है.


विज्ञान में बच्चे सबसे ज्यादा कमजोर : सर्वे रिपोर्ट में सबसे ज्यादा कमजोर स्तर विज्ञान में दर्ज किया गया (NAS survey in Korba district) है. जिसमें दसवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद भी बेसिक ज्ञान के मामले में बच्चों को काफी कमजोर पाया गया. विज्ञान विषय में एक्सीलेंट केटेगरी शून्य दर्ज की गई. बेसिक ज्ञान में सिर्फ आठ प्रतिशत सफल बच्चे मिले. अंग्रेजी में 31 प्रतिशत बिलो बेसिक, 24 प्रतिशत बेसिक में ठीक तो गणित में 48 प्रतिशत बेसिक ज्ञान में ठीक और 44 प्रतिशत बच्चों को आधारभूत ज्ञान में भी काफी कमजोर पाया गया है. यहां तक की भाषा के ज्ञान में भी पहली से एक-एक कक्षा पास कर दसवीं तक पहुंच चुके. विद्यार्थियों को आधारभूत ज्ञान की समझ कम है. बेसिक शिक्षा में कमजोर स्तर दर्शाने वाले बच्चों की संख्या 53 फीसदी दर्ज की गई है. इसमें भी उत्कृष्ट समूह में रखने लायक एक भी विद्यार्थी नहीं मिला.


5वी के बच्चे नहीं जानते मैथ्स के बेसिक्स : इसी तरह 44 स्कूलों, 116 शिक्षकों के साथ इस शिक्षा सर्वे में 5वीं कक्षा के 833 छात्र-छात्राओं पर शिक्षा के आधारभूत ज्ञान का आंकलन किया गया. इसमें भी गणित, विज्ञान और भाषा में बच्चों का स्तर उत्कृष्ट नहीं मिल सका. गणित के बेसिक ज्ञान में 51 प्रतिशत बच्चे कमजोर स्तर में दर्ज किए गए. केवल 36 प्रतिशत बच्चों को बेसिक ज्ञान में बेहतर और केवल दो प्रतिशत उत्कृष्ट समूह में स्थान हासिल कर सके. विज्ञान में भी 44 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान कमजोर स्तर का पाया गया. केवल 34 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान बेहतर मिला. जिस भाषा में वे अध्ययन के दौरान बातचीत करते हैं और पढ़ाई करते हैं उसमें भी 32 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान कमजोर स्तर का पाया गया है. इस सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत शहरी तो 50 प्रतिशत ग्रामीण स्कूलों और बच्चों को शामिल किया गया था.


कितने बच्चे हुए सर्वेक्षण में शामिल : हाईस्कूल अंतर्गत दसवीं कक्षा में अध्ययनरत 704 छात्र-छात्राओं को सूचीबद्ध करते हुए जिले में एनएएस सर्वे किया गया (Survey of high school children in Korba district) था. इस कार्रवाई से 63 स्कूलों और 307 शिक्षकों को भी शामिल करते हुए अलग-अलग बिंदुओं में शिक्षा के स्तर और बच्चों के आधारभूत शिक्षकीय ज्ञान पर आंकलन किया गया. इस कक्षा में ओवरआल जिले का विज्ञान में बेहतर प्रदर्शन का स्तर 30 प्रतिशत, राज्य का 31 और राष्ट्रीय स्तर पर 33 प्रतिशत रहा.

97 फीसदी बच्चों को स्कूल जाना है पसंद : इस सर्वे के अनुसार कक्षा तीसरी में 97 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाना पसंद करते हैं. 95 प्रतिशत बच्चे टीचर की बताई बातों को भली भांति समझते हैं. 76 प्रतिशत बच्चों ने डिजिटल उपकरण से स्कूल में पढ़ाई की. 80 प्रतिशत बच्चों को उनके पालक पढ़ाई में पूरा सहयोग करते हैं. इसी तरह 5वीं में भी 97 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं. 95 प्रतिशत ही बच्चे अपने शिक्षक की पढ़ाई बातों को ध्यान से सुनते और समझते हैं. कुछ यही स्थिति 8वीं के बच्चों के सर्वे में सामने आई जिसमें 77 प्रतिशत बच्चे अपने शिक्षक की बात सुनते और समझते हैं. यहां तक की 10वीं में यह आंकड़े सर्वाधिक मिले. जिसमें 99 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं, 97 प्रतिशत शिक्षकों का पढ़ाया पाठ समझते हैं. बावजूद इसके गणित, विज्ञान से लेकर भाषा की बेसिक शिक्षा में विद्यार्थियों का कमजोर स्तर पर होना शिक्षकीय प्रणाली पर सवाल खड़ा करता (Question on the educational system in Korba) है.

क्यों हुआ नुकसान : इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज ने कहा कि ''अब इस शिक्षा सत्र से ऑफलाइन पढ़ाई कराई जाएगी. एनएएस सर्वे की रिपोर्ट अलग-अलग कई पृष्ठ में आई है, जिसका आंकलन किया जा रहा है. उसके बाद आगे किस तरह से अध्ययन-अध्यापन को बेहतर पायदान पर ले जाना है, इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी. खास तौर पर कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से शिक्षा का स्तर को गिरा है. लेकिन इसे फिर से दुरुस्त किए जाने के लिए प्रसास किये जायेंगे.''

ये भी पढ़ें -प्राथमिक शाला भवन नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई में हो रही परेशानी


क्या कहती है फैक्ट फाइल

कक्षा तीसरी- 45 स्कूल, 123 शिक्षक, 876 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक - बेसिक- एडवांस

भाषा- 46 - 25 - 8

गणित- 37 - 37 -7

ईवीएस- 34 - 36 - 6

--


कक्षा 5वीं- 44 स्कूल, 116 शिक्षक, 833 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

भाषा- 32- 39- 6

गणित- 51- 36- 2

ईवीएस- 44- 34- 5

--

कक्षा 8वीं- 56 स्कूल, 212 शिक्षक, 718 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

भाषा- 21- 50- 9

गणित- 37- 54- 1

विज्ञान- 43- 37- 2

सामाजिक वि.-46- 41- 3
--

कक्षा 10वीं- 63 स्कूल, 307 शिक्षक, 704 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

एमआइएल- 53- 37- 0

गणित- 44- 48- 2

विज्ञान- 89- 8- 0

सा. वि.- 71- 20- 0

अंग्रेजी- 31- 24- 10

कोरबा : राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की ताजा रिपोर्ट में कोरबा जिले में 10वीं पास कर चुके 89 प्रतिशत विद्यार्थी विज्ञान में फिसड्डी साबित हुए (Children of Korba district are poor in science) हैं. हौरानी वाली बात ये भी है कि सर्वे में एक्सीलेंट केटेगरी में एक भी छात्रा अपना नाम दर्ज कराने में सफल नहीं हुआ है. सर्वेक्षण में सिर्फ 8% की बेसिक शिक्षा ठीक बनी है. इसी तरह गणित में 44 प्रतिशत बच्चों में बेसिक ज्ञान कमजोर दिखा है. सामाजिक विज्ञान में बिलो बेसिक में शामिल किए गए. बच्चों का ग्राफ 71 प्रतिशत रहा. तीसरी और पांचवीं में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं, जबकि आठवीं की रिपोर्ट अपेक्षाकृत बेहतर रही है.


विज्ञान में बच्चे सबसे ज्यादा कमजोर : सर्वे रिपोर्ट में सबसे ज्यादा कमजोर स्तर विज्ञान में दर्ज किया गया (NAS survey in Korba district) है. जिसमें दसवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद भी बेसिक ज्ञान के मामले में बच्चों को काफी कमजोर पाया गया. विज्ञान विषय में एक्सीलेंट केटेगरी शून्य दर्ज की गई. बेसिक ज्ञान में सिर्फ आठ प्रतिशत सफल बच्चे मिले. अंग्रेजी में 31 प्रतिशत बिलो बेसिक, 24 प्रतिशत बेसिक में ठीक तो गणित में 48 प्रतिशत बेसिक ज्ञान में ठीक और 44 प्रतिशत बच्चों को आधारभूत ज्ञान में भी काफी कमजोर पाया गया है. यहां तक की भाषा के ज्ञान में भी पहली से एक-एक कक्षा पास कर दसवीं तक पहुंच चुके. विद्यार्थियों को आधारभूत ज्ञान की समझ कम है. बेसिक शिक्षा में कमजोर स्तर दर्शाने वाले बच्चों की संख्या 53 फीसदी दर्ज की गई है. इसमें भी उत्कृष्ट समूह में रखने लायक एक भी विद्यार्थी नहीं मिला.


5वी के बच्चे नहीं जानते मैथ्स के बेसिक्स : इसी तरह 44 स्कूलों, 116 शिक्षकों के साथ इस शिक्षा सर्वे में 5वीं कक्षा के 833 छात्र-छात्राओं पर शिक्षा के आधारभूत ज्ञान का आंकलन किया गया. इसमें भी गणित, विज्ञान और भाषा में बच्चों का स्तर उत्कृष्ट नहीं मिल सका. गणित के बेसिक ज्ञान में 51 प्रतिशत बच्चे कमजोर स्तर में दर्ज किए गए. केवल 36 प्रतिशत बच्चों को बेसिक ज्ञान में बेहतर और केवल दो प्रतिशत उत्कृष्ट समूह में स्थान हासिल कर सके. विज्ञान में भी 44 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान कमजोर स्तर का पाया गया. केवल 34 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान बेहतर मिला. जिस भाषा में वे अध्ययन के दौरान बातचीत करते हैं और पढ़ाई करते हैं उसमें भी 32 प्रतिशत बच्चों का बेसिक ज्ञान कमजोर स्तर का पाया गया है. इस सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत शहरी तो 50 प्रतिशत ग्रामीण स्कूलों और बच्चों को शामिल किया गया था.


कितने बच्चे हुए सर्वेक्षण में शामिल : हाईस्कूल अंतर्गत दसवीं कक्षा में अध्ययनरत 704 छात्र-छात्राओं को सूचीबद्ध करते हुए जिले में एनएएस सर्वे किया गया (Survey of high school children in Korba district) था. इस कार्रवाई से 63 स्कूलों और 307 शिक्षकों को भी शामिल करते हुए अलग-अलग बिंदुओं में शिक्षा के स्तर और बच्चों के आधारभूत शिक्षकीय ज्ञान पर आंकलन किया गया. इस कक्षा में ओवरआल जिले का विज्ञान में बेहतर प्रदर्शन का स्तर 30 प्रतिशत, राज्य का 31 और राष्ट्रीय स्तर पर 33 प्रतिशत रहा.

97 फीसदी बच्चों को स्कूल जाना है पसंद : इस सर्वे के अनुसार कक्षा तीसरी में 97 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाना पसंद करते हैं. 95 प्रतिशत बच्चे टीचर की बताई बातों को भली भांति समझते हैं. 76 प्रतिशत बच्चों ने डिजिटल उपकरण से स्कूल में पढ़ाई की. 80 प्रतिशत बच्चों को उनके पालक पढ़ाई में पूरा सहयोग करते हैं. इसी तरह 5वीं में भी 97 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं. 95 प्रतिशत ही बच्चे अपने शिक्षक की पढ़ाई बातों को ध्यान से सुनते और समझते हैं. कुछ यही स्थिति 8वीं के बच्चों के सर्वे में सामने आई जिसमें 77 प्रतिशत बच्चे अपने शिक्षक की बात सुनते और समझते हैं. यहां तक की 10वीं में यह आंकड़े सर्वाधिक मिले. जिसमें 99 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं, 97 प्रतिशत शिक्षकों का पढ़ाया पाठ समझते हैं. बावजूद इसके गणित, विज्ञान से लेकर भाषा की बेसिक शिक्षा में विद्यार्थियों का कमजोर स्तर पर होना शिक्षकीय प्रणाली पर सवाल खड़ा करता (Question on the educational system in Korba) है.

क्यों हुआ नुकसान : इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज ने कहा कि ''अब इस शिक्षा सत्र से ऑफलाइन पढ़ाई कराई जाएगी. एनएएस सर्वे की रिपोर्ट अलग-अलग कई पृष्ठ में आई है, जिसका आंकलन किया जा रहा है. उसके बाद आगे किस तरह से अध्ययन-अध्यापन को बेहतर पायदान पर ले जाना है, इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी. खास तौर पर कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से शिक्षा का स्तर को गिरा है. लेकिन इसे फिर से दुरुस्त किए जाने के लिए प्रसास किये जायेंगे.''

ये भी पढ़ें -प्राथमिक शाला भवन नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई में हो रही परेशानी


क्या कहती है फैक्ट फाइल

कक्षा तीसरी- 45 स्कूल, 123 शिक्षक, 876 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक - बेसिक- एडवांस

भाषा- 46 - 25 - 8

गणित- 37 - 37 -7

ईवीएस- 34 - 36 - 6

--


कक्षा 5वीं- 44 स्कूल, 116 शिक्षक, 833 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

भाषा- 32- 39- 6

गणित- 51- 36- 2

ईवीएस- 44- 34- 5

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कक्षा 8वीं- 56 स्कूल, 212 शिक्षक, 718 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

भाषा- 21- 50- 9

गणित- 37- 54- 1

विज्ञान- 43- 37- 2

सामाजिक वि.-46- 41- 3
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कक्षा 10वीं- 63 स्कूल, 307 शिक्षक, 704 बच्चे

विषय- बिलो बेसिक- बेसिक- एडवांस

एमआइएल- 53- 37- 0

गणित- 44- 48- 2

विज्ञान- 89- 8- 0

सा. वि.- 71- 20- 0

अंग्रेजी- 31- 24- 10

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