ETV Bharat / city

कोरबा में पीने के पानी का हुआ बंदोबस्त, अब खड़ा हो गया रेत खनन पर संकट

हसदेव नदी पर बने दर्री बराज (Darri Barrage) से कुछ दूरी पर जल आवर्धन योजना (water augmentation scheme) के तहत शहर में पीने का पानी सप्लाई के लिए सर्वेश्वर एनीकट (Sarveshwar Anicut) का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन इसके साथ ही रेत का कारोबार (sand business) करने वाले ठेकेदारों के लिए मानों शामत आ गई. उनका तो लगभग व्यवसाय ही ठप हो चुका है. जिले में रेत खनन पर संकट खड़ा हो गया है.

Crisis on sand mines in Korba
कोरबा में रेत खदानों पर संकट
author img

By

Published : Nov 11, 2021, 5:36 PM IST

कोरबाः हसदेव नदी पर बने दर्री बराज से कुछ दूरी पर जल आवर्धन योजना के तहत शहर में पीने का पानी सप्लाई के लिए सर्वेश्वर एनीकट (Sarveshwar Anicut) का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन इसके साथ ही रेत का कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए मानों शामत आ गई. एनीकट के अस्तित्व में आते ही गेरवा घाट रेत खदान (Gerwa Ghat sand quarry) के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. एनीकट में पानी रुकने के बाद गेरवा घाट स्थित रेत खदान में पानी भर गया है. जिससे रेत व्यवसाय से जुड़े लोगों के कारोबार को ही मानों ग्रहण लग गया है.

कोरबा में पीने के पानी का हुआ बंदोबस्त

यहां से रेत उत्खनन संभव नहीं हो पा रहा है. शहर के बीचोंबीच स्थित इन गेरवा घाट रेत खदान से ही शहर व आसपास के क्षेत्रों में अधोसंरचनात्मक विकास कार्यों (infrastructural development works) के लिए रेत की आपूर्ति की जाती है. अब गेरवा घाट रेत खदान बंद होने से शहर में रेत की किल्लत हो गई है. सरकारी निर्माण कार्य से लेकर आम लोगों के घरों के निर्माण कार्यों में रेत की कमी आड़े आ रही है.

नक्सलियों ने जंगल में छिपा रखा था डम्प, पुलिस ने किया जब्त

नहीं हो पा रहा है चार रेत खदानों का संचालन
गेरवा घाट के साथ ही शहर के चार अन्य रेत खदानों में प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया जा सका है. जिसमें पुराने शहर का सीतामढ़ी के रेत खदान भी शामिल है. रेत खदानों के आवंटन के बाद ठेकेदारों को लीज का नवीनीकरण (renewal of lease) कराना होता है. इसके लिए कई औपचारिकताओं को पूरा करना होता है. दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. दस्तावेजी प्रक्रिया को पूर्ण नहीं कर पाने के कारण ही 4 रेत खदानों का संचालन (operation of mines) खनिज विभाग (Mineral Department) शुरू नहीं करा सका है. जिससे की विधिवत तौर पर रेत आपूर्ति (sand supply) में बाधा उत्पन्न हो रही है.

सीतामढ़ी रेत खदान का संचालन शुरू नहीं हुआ है. खनिज विभाग स्वीकृत रेत खदानों का संचालन शुरू नहीं कर सका है. किसी न किसी कारणवश रेत खदान बंद हैं. जबकि शहर व आसपास के क्षेत्रों में मौजूद अवैध रेत का उत्खनन धड़ल्ले से जारी है. रेत माफिया यहां से बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन कर अवैध परिवहन कर रहे हैं.

निर्माण कार्यों में आई तेजी

मानसून के थमने के बाद निर्माण कार्य में तेजी आ चुकी है. ऐसे में रेत की आपूर्ति किया जाना बेहद आवश्यक है. विभाग की ओर से रेत खदानों का संचालन शुरू नहीं होने से अवैध उत्खनन को लगातार बढ़ावा मिल रहा है, दिनदहाड़े ही ट्रैक्टर के जरिए रेत का अवैध परिवहन जिले में बदस्तूर जारी है. जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर कुल 19 रेत खदान खनिज विभाग द्वारा संचालित हैं.

2 साल पहले खनिज विभाग ने ठेकेदारों को रेत खदानों का आवंटन किया था. अब ठेकेदार इनका संचालन करते हैं. शहरी और ग्रामीण को मिलाकर कुल 19 खदान मौजूद हैं. 14 का संचालन विभाग ने शुरू कर दिया है. लेकिन 4 खदानों की प्रक्रिया अटकी हुई है. इनमें से 2 सबसे बड़े रेत खदान नगर निगम की परिधि में आते हैं. जोकि शहर के बीचों-बीच संचालित हैं. इनका संचालन शुरू नहीं हो सका है.

कोरबाः हसदेव नदी पर बने दर्री बराज से कुछ दूरी पर जल आवर्धन योजना के तहत शहर में पीने का पानी सप्लाई के लिए सर्वेश्वर एनीकट (Sarveshwar Anicut) का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन इसके साथ ही रेत का कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए मानों शामत आ गई. एनीकट के अस्तित्व में आते ही गेरवा घाट रेत खदान (Gerwa Ghat sand quarry) के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. एनीकट में पानी रुकने के बाद गेरवा घाट स्थित रेत खदान में पानी भर गया है. जिससे रेत व्यवसाय से जुड़े लोगों के कारोबार को ही मानों ग्रहण लग गया है.

कोरबा में पीने के पानी का हुआ बंदोबस्त

यहां से रेत उत्खनन संभव नहीं हो पा रहा है. शहर के बीचोंबीच स्थित इन गेरवा घाट रेत खदान से ही शहर व आसपास के क्षेत्रों में अधोसंरचनात्मक विकास कार्यों (infrastructural development works) के लिए रेत की आपूर्ति की जाती है. अब गेरवा घाट रेत खदान बंद होने से शहर में रेत की किल्लत हो गई है. सरकारी निर्माण कार्य से लेकर आम लोगों के घरों के निर्माण कार्यों में रेत की कमी आड़े आ रही है.

नक्सलियों ने जंगल में छिपा रखा था डम्प, पुलिस ने किया जब्त

नहीं हो पा रहा है चार रेत खदानों का संचालन
गेरवा घाट के साथ ही शहर के चार अन्य रेत खदानों में प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया जा सका है. जिसमें पुराने शहर का सीतामढ़ी के रेत खदान भी शामिल है. रेत खदानों के आवंटन के बाद ठेकेदारों को लीज का नवीनीकरण (renewal of lease) कराना होता है. इसके लिए कई औपचारिकताओं को पूरा करना होता है. दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. दस्तावेजी प्रक्रिया को पूर्ण नहीं कर पाने के कारण ही 4 रेत खदानों का संचालन (operation of mines) खनिज विभाग (Mineral Department) शुरू नहीं करा सका है. जिससे की विधिवत तौर पर रेत आपूर्ति (sand supply) में बाधा उत्पन्न हो रही है.

सीतामढ़ी रेत खदान का संचालन शुरू नहीं हुआ है. खनिज विभाग स्वीकृत रेत खदानों का संचालन शुरू नहीं कर सका है. किसी न किसी कारणवश रेत खदान बंद हैं. जबकि शहर व आसपास के क्षेत्रों में मौजूद अवैध रेत का उत्खनन धड़ल्ले से जारी है. रेत माफिया यहां से बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन कर अवैध परिवहन कर रहे हैं.

निर्माण कार्यों में आई तेजी

मानसून के थमने के बाद निर्माण कार्य में तेजी आ चुकी है. ऐसे में रेत की आपूर्ति किया जाना बेहद आवश्यक है. विभाग की ओर से रेत खदानों का संचालन शुरू नहीं होने से अवैध उत्खनन को लगातार बढ़ावा मिल रहा है, दिनदहाड़े ही ट्रैक्टर के जरिए रेत का अवैध परिवहन जिले में बदस्तूर जारी है. जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर कुल 19 रेत खदान खनिज विभाग द्वारा संचालित हैं.

2 साल पहले खनिज विभाग ने ठेकेदारों को रेत खदानों का आवंटन किया था. अब ठेकेदार इनका संचालन करते हैं. शहरी और ग्रामीण को मिलाकर कुल 19 खदान मौजूद हैं. 14 का संचालन विभाग ने शुरू कर दिया है. लेकिन 4 खदानों की प्रक्रिया अटकी हुई है. इनमें से 2 सबसे बड़े रेत खदान नगर निगम की परिधि में आते हैं. जोकि शहर के बीचों-बीच संचालित हैं. इनका संचालन शुरू नहीं हो सका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.