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मिलिए कोरबा की कराटे फैमिली से, जानिए क्या है लक्ष्य ?

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Published : Jun 27, 2022, 1:57 PM IST

Updated : Jun 27, 2022, 5:10 PM IST

कोरबा में एक ऐसा परिवार है जो आने वाली पीढ़ियों को आत्मसुरक्षा के गुर सिखा रहा है. इस परिवार में पिता और बेटा-बेटी अपनी कला से दूसरों को सशक्त बना रहे (Banjare family teaches karate in Korba) हैं.

Banjare family teaches karate in Korba
कोरबा की कराटे फैमिली का हुनर

कोरबा : जिले में एक ऐसा परिवार है. जिसमें सभी कराटे की विधा और ताइक्वांडों में ब्लैक बेल्ट (Banjare family teaches karate in Korba) हैं. अब पिता पुत्र और पुत्री सभी जिले भर में ताइक्वांडो की क्लास ले रहे हैं.इनकी पाठशाला से निकले कई बच्चों ने स्कूल गेम्स और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते हैं. परिवार सबसे सीनियर ताइक्वांडो खिलाड़ी सियाराम (Taekwondo player Siyaram Banjare in Korba) ने 1978 में कराटे शुरू किया था. जोकि अब अपने बेटे-बेटी के साथ ताइक्वांडो की शिक्षा दे रहे हैं.

कोरबा की कराटे फैमिली



कितने स्टूडेंट्स को सिखाया कराटे : सियाराम बंजारे शहर के निहारिका क्षेत्र में निवासरत हैं. जिनकी क्लास हर दिन शाम को मुड़ापार क्षेत्र के एसईसीएल सेंट्रल स्टेडियम में लगती है. गर्मियों में सियाराम बच्चों के लिए नि:शुल्क समर कैंप का भी आयोजन करते हैं. बंजारे अपने परिवार सहित जिलेभर में अलग-अलग स्थानों पर भी ताइक्वांडो की क्लास लेते हैं. बंजारे की मानें तो जिले भर में उनसे लगभग 250 स्टूडेंट ट्रेनिंग ले रहे (Siyaram Banjare of Korba gives Karate training) हैं.


राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत चुके हैं पुरस्कार : सियाराम खुद भी ताइक्वांडों के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. बेटी स्नेहा और बेटा अविनाश भी स्कूल गेम्स में नेशनल मेडल हासिल कर चुके हैं. इतना ही नहीं उनसे कोचिंग प्राप्त करने वाले कई बच्चे स्कूल गेम्स में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. तो ऐसे बच्चों की भी कमी नही है. जिन्होंने गोल्ड, सिल्वर या ब्रॉन्ज़ मेडल जीते हैं. कुछ नए बच्चे भी क्लास में आ रहे हैं, जिन्हें शुरुआती स्तर की ट्रेनिंग दी जा रही है.



टैलेंट की कमी नहीं, अवसर की जरूरत : ताइक्वांडो के खेल में पारंगत हो चुकी स्नेहा बंजारे (Sneha Banjare also teaches Karate in Korba) कहती हैं कि ''कोरबा के बच्चों में टेलेंट की कमी नहीं है. ताइक्वांडो के खेल में भी बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन कई बार उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते. ठीक तरह से कोचिंग नहीं मिल पाने के कारण बच्चे पिछड़ जाते हैं. हमारा प्रयास है कि कोरबा का नाम प्रदेश और देश स्तर पर रौशन किया जाए. इसके लिए हम बच्चों को बेहतर से बेहतर ट्रेनिंग दे रहे हैं.''


हर बेटी को सीखना चाहिए कराते : सियाराम बंजारे कहते हैं कि ''मैंने सन 1978 में कराटे से शुरुआत की थी. फिर मैंने ताइक्वांडो को अपनाया. अब मेरी उम्र 50 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है.लेकिन मैं अब भी पूरी तरह से फिट हूं. मेरे घर में मैंने बेटे और बेटी को भी ताइक्वांडो का हुनर सिखाया है. मैं चाहता हूं कि परिवार की हर बेटी को कराते की कोई ना कोई विधा जरूर आनी चाहिए. समाज में जिस तरह की घटनाएं घट रही हैं। आने वाला समय और भी कठिन होगा, इसलिए बेटियों को आत्मरक्षा का हुनर जरूर आना चाहिए.

कोरबा : जिले में एक ऐसा परिवार है. जिसमें सभी कराटे की विधा और ताइक्वांडों में ब्लैक बेल्ट (Banjare family teaches karate in Korba) हैं. अब पिता पुत्र और पुत्री सभी जिले भर में ताइक्वांडो की क्लास ले रहे हैं.इनकी पाठशाला से निकले कई बच्चों ने स्कूल गेम्स और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते हैं. परिवार सबसे सीनियर ताइक्वांडो खिलाड़ी सियाराम (Taekwondo player Siyaram Banjare in Korba) ने 1978 में कराटे शुरू किया था. जोकि अब अपने बेटे-बेटी के साथ ताइक्वांडो की शिक्षा दे रहे हैं.

कोरबा की कराटे फैमिली



कितने स्टूडेंट्स को सिखाया कराटे : सियाराम बंजारे शहर के निहारिका क्षेत्र में निवासरत हैं. जिनकी क्लास हर दिन शाम को मुड़ापार क्षेत्र के एसईसीएल सेंट्रल स्टेडियम में लगती है. गर्मियों में सियाराम बच्चों के लिए नि:शुल्क समर कैंप का भी आयोजन करते हैं. बंजारे अपने परिवार सहित जिलेभर में अलग-अलग स्थानों पर भी ताइक्वांडो की क्लास लेते हैं. बंजारे की मानें तो जिले भर में उनसे लगभग 250 स्टूडेंट ट्रेनिंग ले रहे (Siyaram Banjare of Korba gives Karate training) हैं.


राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत चुके हैं पुरस्कार : सियाराम खुद भी ताइक्वांडों के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. बेटी स्नेहा और बेटा अविनाश भी स्कूल गेम्स में नेशनल मेडल हासिल कर चुके हैं. इतना ही नहीं उनसे कोचिंग प्राप्त करने वाले कई बच्चे स्कूल गेम्स में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. तो ऐसे बच्चों की भी कमी नही है. जिन्होंने गोल्ड, सिल्वर या ब्रॉन्ज़ मेडल जीते हैं. कुछ नए बच्चे भी क्लास में आ रहे हैं, जिन्हें शुरुआती स्तर की ट्रेनिंग दी जा रही है.



टैलेंट की कमी नहीं, अवसर की जरूरत : ताइक्वांडो के खेल में पारंगत हो चुकी स्नेहा बंजारे (Sneha Banjare also teaches Karate in Korba) कहती हैं कि ''कोरबा के बच्चों में टेलेंट की कमी नहीं है. ताइक्वांडो के खेल में भी बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन कई बार उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते. ठीक तरह से कोचिंग नहीं मिल पाने के कारण बच्चे पिछड़ जाते हैं. हमारा प्रयास है कि कोरबा का नाम प्रदेश और देश स्तर पर रौशन किया जाए. इसके लिए हम बच्चों को बेहतर से बेहतर ट्रेनिंग दे रहे हैं.''


हर बेटी को सीखना चाहिए कराते : सियाराम बंजारे कहते हैं कि ''मैंने सन 1978 में कराटे से शुरुआत की थी. फिर मैंने ताइक्वांडो को अपनाया. अब मेरी उम्र 50 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है.लेकिन मैं अब भी पूरी तरह से फिट हूं. मेरे घर में मैंने बेटे और बेटी को भी ताइक्वांडो का हुनर सिखाया है. मैं चाहता हूं कि परिवार की हर बेटी को कराते की कोई ना कोई विधा जरूर आनी चाहिए. समाज में जिस तरह की घटनाएं घट रही हैं। आने वाला समय और भी कठिन होगा, इसलिए बेटियों को आत्मरक्षा का हुनर जरूर आना चाहिए.

Last Updated : Jun 27, 2022, 5:10 PM IST
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