जगदलपुर : भारी बारिश से बस्तर पानी-पानी हो चुका है. बारिश ने किसानों के चेहरे पर तो खुशी ला दी है, लेकिन ये बारिश निचले इलाकों में रहकर गुजर-बसर कर रहे लोगों के लिए आफत की बारिश साबित हो रही है. किसी तरह रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले लोगों के घरों में पानी भर गया है और सामान तैरता हुआ घर के बाहर आ गया है, जिसे समेटने में अब इन्हें न जाने कितने दिन लग जाएं.
भारी बारिश से इंद्रावती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इधर ओडिशा ने भी खातिगुड़ा स्थित डैम का गेट खोलने की जानकारी दी है, जो जले पर नमक छिड़कने जैसा काम करेगा, क्योंकि इससे जल स्तर और बढ़ेगा और निचले इलाके पूरी तरह डूब जाएंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बस्तर संभाग के आयुक्त को किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है.
रिहायशी इलाकों में भर रहा पानी
नगर निगम की विफल ड्रेनेज व्यवस्था ने शहरवासियों को आफत में डाल दिया है. शहर से लगे निचली बस्तियों के साथ-साथ शहर के मध्य स्थित रिहायशी इलाकों व कॉलोनियों में भी बारिश का पानी लोगों के घरों तक घुसने लगा है. जिला प्रशासन द्वारा निचली बस्तियों के लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.
जलभराव की स्थिति निर्मित
बाढ़ की वजह से इंद्रावती से लगे कुछ चिन्हांकित क्षेत्र हैं. जहां जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस निराकरण न करने की वजह से अब भी वहां रहने वाले लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है.
ग्रामीणों की झोपड़ियों में भरा पानी
इंद्रावती के सहायक नाले गोरियाबहार में भी जलस्तर बढ़ने से वहां के तटीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की झोपड़ियों में पानी भर गया है. आनन-फानन में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. इस दौरान लोगों ने बताया कि हर साल उन्हें इस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है. हर बार उनकी झोपड़ी टूट जाती है जिसे उन्हें फिर से बनाना पड़ता है. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें पहले अलर्ट नहीं किया जाता है इस वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
जनहानि की सूचना नहीं
हालांकि आपदा और बचाव दल के प्रमुख रोहित देशपांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक बारिश से किसी भी तरह की जनहानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है और शहर के कई स्कूलों को राहत शिविर बनाया गया है. जहां प्रभावितों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है.