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बस्तर में बारिश बरपा रही कहर, निचले इलाकों के लोग हुए बेघर

बस्तर में हो रही लगातार बारिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. ग्रामीण इलाकों में पानी भर गया है जिससे जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.

बस्तर में बारिश
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Published : Jul 30, 2019, 12:03 AM IST

जगदलपुर : भारी बारिश से बस्तर पानी-पानी हो चुका है. बारिश ने किसानों के चेहरे पर तो खुशी ला दी है, लेकिन ये बारिश निचले इलाकों में रहकर गुजर-बसर कर रहे लोगों के लिए आफत की बारिश साबित हो रही है. किसी तरह रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले लोगों के घरों में पानी भर गया है और सामान तैरता हुआ घर के बाहर आ गया है, जिसे समेटने में अब इन्हें न जाने कितने दिन लग जाएं.

बस्तर में हो रही भारी बारिश

भारी बारिश से इंद्रावती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इधर ओडिशा ने भी खातिगुड़ा स्थित डैम का गेट खोलने की जानकारी दी है, जो जले पर नमक छिड़कने जैसा काम करेगा, क्योंकि इससे जल स्तर और बढ़ेगा और निचले इलाके पूरी तरह डूब जाएंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बस्तर संभाग के आयुक्त को किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है.

रिहायशी इलाकों में भर रहा पानी

नगर निगम की विफल ड्रेनेज व्यवस्था ने शहरवासियों को आफत में डाल दिया है. शहर से लगे निचली बस्तियों के साथ-साथ शहर के मध्य स्थित रिहायशी इलाकों व कॉलोनियों में भी बारिश का पानी लोगों के घरों तक घुसने लगा है. जिला प्रशासन द्वारा निचली बस्तियों के लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.

जलभराव की स्थिति निर्मित

बाढ़ की वजह से इंद्रावती से लगे कुछ चिन्हांकित क्षेत्र हैं. जहां जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस निराकरण न करने की वजह से अब भी वहां रहने वाले लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है.

ग्रामीणों की झोपड़ियों में भरा पानी

इंद्रावती के सहायक नाले गोरियाबहार में भी जलस्तर बढ़ने से वहां के तटीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की झोपड़ियों में पानी भर गया है. आनन-फानन में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. इस दौरान लोगों ने बताया कि हर साल उन्हें इस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है. हर बार उनकी झोपड़ी टूट जाती है जिसे उन्हें फिर से बनाना पड़ता है. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें पहले अलर्ट नहीं किया जाता है इस वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

जनहानि की सूचना नहीं

हालांकि आपदा और बचाव दल के प्रमुख रोहित देशपांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक बारिश से किसी भी तरह की जनहानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है और शहर के कई स्कूलों को राहत शिविर बनाया गया है. जहां प्रभावितों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है.

जगदलपुर : भारी बारिश से बस्तर पानी-पानी हो चुका है. बारिश ने किसानों के चेहरे पर तो खुशी ला दी है, लेकिन ये बारिश निचले इलाकों में रहकर गुजर-बसर कर रहे लोगों के लिए आफत की बारिश साबित हो रही है. किसी तरह रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले लोगों के घरों में पानी भर गया है और सामान तैरता हुआ घर के बाहर आ गया है, जिसे समेटने में अब इन्हें न जाने कितने दिन लग जाएं.

बस्तर में हो रही भारी बारिश

भारी बारिश से इंद्रावती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इधर ओडिशा ने भी खातिगुड़ा स्थित डैम का गेट खोलने की जानकारी दी है, जो जले पर नमक छिड़कने जैसा काम करेगा, क्योंकि इससे जल स्तर और बढ़ेगा और निचले इलाके पूरी तरह डूब जाएंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बस्तर संभाग के आयुक्त को किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है.

रिहायशी इलाकों में भर रहा पानी

नगर निगम की विफल ड्रेनेज व्यवस्था ने शहरवासियों को आफत में डाल दिया है. शहर से लगे निचली बस्तियों के साथ-साथ शहर के मध्य स्थित रिहायशी इलाकों व कॉलोनियों में भी बारिश का पानी लोगों के घरों तक घुसने लगा है. जिला प्रशासन द्वारा निचली बस्तियों के लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.

जलभराव की स्थिति निर्मित

बाढ़ की वजह से इंद्रावती से लगे कुछ चिन्हांकित क्षेत्र हैं. जहां जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस निराकरण न करने की वजह से अब भी वहां रहने वाले लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है.

ग्रामीणों की झोपड़ियों में भरा पानी

इंद्रावती के सहायक नाले गोरियाबहार में भी जलस्तर बढ़ने से वहां के तटीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की झोपड़ियों में पानी भर गया है. आनन-फानन में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. इस दौरान लोगों ने बताया कि हर साल उन्हें इस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है. हर बार उनकी झोपड़ी टूट जाती है जिसे उन्हें फिर से बनाना पड़ता है. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें पहले अलर्ट नहीं किया जाता है इस वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

जनहानि की सूचना नहीं

हालांकि आपदा और बचाव दल के प्रमुख रोहित देशपांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक बारिश से किसी भी तरह की जनहानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है और शहर के कई स्कूलों को राहत शिविर बनाया गया है. जहां प्रभावितों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है.

Intro:जगदलपुर। बस्तर में दो दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश जारी है। जिससे क्षेत्र के सभी नदी नाले उफान पर आ गए हैं। लगातार हो रही बारिश से जहाँ किसानो के चेहरे खिल गए हैं वहीँ यह बारिश शहरवासियों के लिए आफत की बारिश साबित हो रही है। बस्तर की इंद्रावती नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है जिससे बाढ़ की स्थिति निर्मित हो  गई है। बस्तर में हो रही बारिश को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बस्तर संभाग के आयुक्त को किसी भी आपदा से निपटने उचित दिशा निर्देश दिए हैं। 
 
 
 

 
 




Body:बस्तर में भी इस बार मानसून काफी देरी से आया जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ नजर आ रही थीं , पर अब लगातार दो दिनों से हो रही बारिश ने किसानो की सारी चिंता दूर कर दी है ,लेकिन नगर निगम की विफल ड्रेनेज व्यवस्था ने शहर वासियों को आफत में डाल  दिया है। शहर से लगे निचली बस्तियों के साथ साथ शहर के मध्य स्थित रिहायशी इलाकों व कॉलोनियों में भी बारिश का पानी लोगों के घरों तक घुसने लगा है। इंद्रावती नदी का पानी भी खतरे के निशान के ऊपर बहने लगा है और ओडिसा ने भी खातिगुड़ा स्थित डेम का गेट खोलने की जानकारी दी है जिससे निचली बस्तियों के लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है।
 


Conclusion:लगातार हो रही  बारिश ने शहर वासियों के साथ साथ ग्रामीणों को भी परेशानियों मे डाल दिया है। अमूमन हर बार ही बरसात में बाढ़ की वजह से इंद्रावती से लगे कुछ चिन्हांकित क्षेत्र हैं जहाँ जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है पर प्रशासन द्वारा कोई ठोस निराकरण न करने की वजह से अब भी वहां रहने वाले लोगों को बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है।  इंद्रावती के सहायक नाले गोरियाबहार में भी जलस्तर बढ़ने से वहां के तटीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के झोपड़ियों में पानी भर गया है और आनन् फानन में जिला प्रशासन को उन्हें सुरक्षित स्थानों में ले जाना पड़ा।  इस दौरान प्रभावितों ने बताया की हर साल उन्हें इस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है और हर बार उनकी झोपडी टूट जाती है जिसे उन्हें पुनः निर्माण करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा उन्हें पहले से अलर्ट नही करने की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
हालाँकि आपदा एवं बचाव दल के प्रमुख रोहित देशपांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक बारिश से किसी भी तरह की जनहानि की सूचना नही मिली है। लेकिन अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है । और शहर के कई स्कूलों को राहत शिविर बनाया गया है जहाँ प्रभावितों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है।

WT-अशोक नायडू
one to one -- प्रभावित के साथ
बाईट1- जयराम दास, स्थानीय
बाईट2-शिवा राम, प्रभावित ग्रामीण
बाईट3- रोहित देशपांडे , राजस्व निरीक्षक


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