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बेरोजगारी के कारण बस्तर में पलायन की समस्या, जिला प्रशासन ने दिए निर्देश - Unemployment increased due to strike in Bastar

बस्तर में अब बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर सामने आई (Jagdalpur Gramin migration) है. मनरेगाकर्मियों के हड़ताल के कारण ग्रामीण इलाकों में स्थिति बदतर हो गई है.

The problem of migration in Bastar due to unemployment
बेरोजगारी के कारण बस्तर में पलायन की समस्या
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Published : May 11, 2022, 7:40 PM IST

जगदलपुर : बस्तर में नक्सलवाद के साथ ही बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर (problem of migration in Bastar due to unemployment) उभरी है. हर साल लगातार बस्तर में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बेरोजगारी के वजह से बस्तर में पलायन बड़ी है. रोजगार की तलाश में ग्रामीण अंचलों के युवा शिक्षित होने के बावजूद भी दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. बस्तर में बीते 1 माह से मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी और रोजगार सहायक के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले के लाखों ग्रामीणों के सिर से रोजगार का साया छिन गया है. जिससे बस्तर से पलायन करने की गति अब बढ़ने लगी है.

क्यों हो रहा है पलायन : बस्तर में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं (Not enough employment opportunities in Bastar) मिलने के कारण बस्तर के ग्रामीण दूसरे राज्य में पलायन करने को मजबूर हैं. कई दफा ऐसी खबरें निकल कर सामने आती है कि पलायन के मजदूरों को अन्य राज्यों में बंधक बनाया जाता है. जिसके बाद सूचना मिलने पर बस्तर से टीम बनाकर उन्हें वापस बस्तर लाने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा ऐसे बहुत से ग्रामीण हैं जो प्लान करके अन्य राज्यों में जाते हैं. लेकिन बंधक बनाने के साथ ही उनकी मौत की खबर आती है.

बस्तर में हड़ताल के कारण बेरोजगारी बढ़ी : हड़ताल में बैठे मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी संघ के लोगों का कहना है कि ''बीते वर्षों में बस्तर जिले में 25 हजार लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिलता था. लेकिन हड़ताल पर चले जाने की वजह से अब रोजगार का आंकड़ा लगभग शून्य पर आ गया है. यही कारण है कि रोजगार नहीं मिलने की वजह से बस्तर के ग्रामीण दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं.''

पलायन को लेकर राजनीति : पलायन को लेकर अब विपक्ष भी कांग्रेस सरकार को घेरने नजर आ रही है. भाजपा के युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष अविनाश श्रीवास्तव ने कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि ''सरकार ने अपने घोषणा पत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन अब सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने युवाओं के साथ छल किया है.यही कारण है कि अब बस्तर में पलायन की समस्या ने भयावह रूप ले लिया है. साथ ही यह भी कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उड़न खटोला बस्तर पहुंचेगा तो उन्हें बस्तर के जनता से पलायन से संबंधित समस्या पर बातचीत करके उसे हल करने की आवश्यकता है.''

जिला प्रशासन ने दिया तर्क : इस पूरे मामले पर बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ''पलायन को रोकने के लिए लगातार राज्य सरकार के साथ ही जिला प्रशासन काम कर रही है. पलायन को रोकने के लिए बस्तर जिले के सभी पंचायतों को निर्देश दिया गया (Jagdalpur district administration gave instructions) है कि यदि कोई पलायन करके दूसरे राज्यों में जा रहा है तो उसकी पूरी जानकारी रजिस्टर में होनी चाहिए. यदि अधूरी और बिना जानकारी के कोई मजदूरों को लेकर अलग राज्यों में जा रहा है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.''

जगदलपुर : बस्तर में नक्सलवाद के साथ ही बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर (problem of migration in Bastar due to unemployment) उभरी है. हर साल लगातार बस्तर में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बेरोजगारी के वजह से बस्तर में पलायन बड़ी है. रोजगार की तलाश में ग्रामीण अंचलों के युवा शिक्षित होने के बावजूद भी दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. बस्तर में बीते 1 माह से मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी और रोजगार सहायक के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले के लाखों ग्रामीणों के सिर से रोजगार का साया छिन गया है. जिससे बस्तर से पलायन करने की गति अब बढ़ने लगी है.

क्यों हो रहा है पलायन : बस्तर में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं (Not enough employment opportunities in Bastar) मिलने के कारण बस्तर के ग्रामीण दूसरे राज्य में पलायन करने को मजबूर हैं. कई दफा ऐसी खबरें निकल कर सामने आती है कि पलायन के मजदूरों को अन्य राज्यों में बंधक बनाया जाता है. जिसके बाद सूचना मिलने पर बस्तर से टीम बनाकर उन्हें वापस बस्तर लाने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा ऐसे बहुत से ग्रामीण हैं जो प्लान करके अन्य राज्यों में जाते हैं. लेकिन बंधक बनाने के साथ ही उनकी मौत की खबर आती है.

बस्तर में हड़ताल के कारण बेरोजगारी बढ़ी : हड़ताल में बैठे मनरेगा के अधिकारी कर्मचारी संघ के लोगों का कहना है कि ''बीते वर्षों में बस्तर जिले में 25 हजार लोगों को प्रतिदिन रोजगार मिलता था. लेकिन हड़ताल पर चले जाने की वजह से अब रोजगार का आंकड़ा लगभग शून्य पर आ गया है. यही कारण है कि रोजगार नहीं मिलने की वजह से बस्तर के ग्रामीण दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं.''

पलायन को लेकर राजनीति : पलायन को लेकर अब विपक्ष भी कांग्रेस सरकार को घेरने नजर आ रही है. भाजपा के युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष अविनाश श्रीवास्तव ने कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि ''सरकार ने अपने घोषणा पत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन अब सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने युवाओं के साथ छल किया है.यही कारण है कि अब बस्तर में पलायन की समस्या ने भयावह रूप ले लिया है. साथ ही यह भी कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उड़न खटोला बस्तर पहुंचेगा तो उन्हें बस्तर के जनता से पलायन से संबंधित समस्या पर बातचीत करके उसे हल करने की आवश्यकता है.''

जिला प्रशासन ने दिया तर्क : इस पूरे मामले पर बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ''पलायन को रोकने के लिए लगातार राज्य सरकार के साथ ही जिला प्रशासन काम कर रही है. पलायन को रोकने के लिए बस्तर जिले के सभी पंचायतों को निर्देश दिया गया (Jagdalpur district administration gave instructions) है कि यदि कोई पलायन करके दूसरे राज्यों में जा रहा है तो उसकी पूरी जानकारी रजिस्टर में होनी चाहिए. यदि अधूरी और बिना जानकारी के कोई मजदूरों को लेकर अलग राज्यों में जा रहा है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी.''

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