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होर्डिंग के नाम पर जगदलपुर नगर निगम को लग रहा लाखों रुपयों का चूना - Jagdalpur hoarding tender

जगदलपुर नगर निगम में पिछले कुछ महीनों से राजस्व की वसूली नहीं हो पा रही है. निगम के लगाए गए होर्डिंग्स पर भी कारोबारी रुचि नहीं ले रहे हैं. निगम के अधिक किराया निर्धारित करने की वजह से लोग अब प्राइवेट होर्डिंग लगाकर काम चला रहे हैं.

hoardings in Jagdalpur
होर्डिंग
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Published : Jan 1, 2021, 4:14 PM IST

जगदलपुर: बस्तर संभाग का एकमात्र नगर निगम पिछले कुछ महीनों से खराब माली हालत से गुजर रहा है. नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए पैसे नहीं हैं. निगम अमला शहर में राजस्व वसूल पाने में नाकामयाब साबित हो रहा है. यही वजह है कि शहर में लगे होर्डिंग्स से पिछले कुछ साल से लगातार निगम को काफी कम आय मिल रही है. नगर निगम द्वारा हर साल निकाले जा रहे टेंडर के लिए शहर का कोई भी व्यापारी रुचि नहीं दिखा रहा. कारोबारी इन होर्डिंग्स को किराए पर लेने में इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं.

होर्डिंग के नाम पर निगम को लग रहा लाखों रुपयों का चूना



नगर निगम के अंतर्गत शहर में कुल 80 से 90 होर्डिंग्स लगे हुए हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. निगम के अधिक किराया निर्धारित करने की वजह से लोग टेंडर में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि नगर निगम की देखरेख में ही कई व्यापारी टेंडर नहीं होने का फायदा उठाकर होर्डिंग्स पर विज्ञापन तो लगा रहे हैं, लेकिन इन विज्ञापनों का शुल्क निगम को अदा नहीं कर रहे हैं. निगम के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाकर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन शहर बढ़ने के साथ-साथ लगातार लोग अपने निजी होर्डिंग्स का उपयोग कर रहे हैं. निगम के अंतर्गत आने वाले इन होर्डिंग्स को समय-समय पर उतारने की कार्रवाई भी की जा रही है.

विपक्ष ने बनाया मुद्दा

hoardings in Jagdalpur
होर्डिंग
विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए निगम सरकार को जमकर कोसा है. भाजपा के नगर अध्यक्ष और पूर्व पार्षद सुरेश गुप्ता का कहना है कि निगम में पिछले 6 सालों से बैठी कांग्रेस की सरकार विफल साबित हुई है. इन 6 सालों में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि आय का नया स्रोत बना पाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं. शहर में निगम के अंतर्गत लगने वाले होर्डिंग्स को बिना टेंडर दिए लाखों का नुकसान पहुंच रहा है. टेंडर के नाम पर हर साल खानापूर्ति तो की जाती है, लेकिन होर्डिंग्स के मनमाने रेट तय करने से कोई भी व्यापारी इसे लेने के लिए आगे नहीं आ रहा और नतीजा बिना अनुमति लिए व्यापारी विज्ञापन लगा रहे हैं. कार्रवाई के नाम पर थोड़े बहुत शुल्क लेकर निगम को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया जाता है और निगम में बैठे पदाधिकारी भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं.

निगम बरत रहा लापरवाही

शहर के जानकारों का मानना है कि शहर में लगे होर्डिंग्स से निगम को अच्छी खासी आय हो सकती है, लेकिन जगदलपुर नगर निगम इस आय के स्रोत के लिए पूरी तरह से लापरवाही बरत रहा है. प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों में शहर में लगे हार्डिंग्स की बदौलत 15 से 20 लाख रुपए तक की आय होती है. जगदलपुर नगर निगम आय के इस स्रोत को लेकर लापरवाह है, इस वजह से उसकी माली हालत खराब बनी हुई है. यही वजह है कि नगर निगम शहर को स्मार्ट सिटी या फिर नए निर्माण कार्य दे पाने में पिछले कई सालों से नाकामयाब साबित हो रहा है. ऐसे में जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान में लेकर कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.

नगर निगम के राजस्व विभाग के मुताबिक -

  • साल 2019 में शहर में निगम के अंतर्गत लगाए गए होर्डिंग्स से निगम को 10 से 11 लाख रुपए की आय हुई है.
  • साल 2020 में अब तक नगर निगम को केवल 6 से साढ़े 6 लाख रुपए की आय हो पाई है.
  • लगभग 5 लाख रुपए से अधिक का नुकसान इस साल निगम को उठाना पड़ा है.
  • शहर में नगर निगम के अंतर्गत आने वाले करीब 80 से 90 होर्डिंग्स का महीने में किराया 5 हजार रुपए निर्धारित किया गया है.
  • व्यापारियों की मांग है कि इन होर्डिंग्स के किराए की दर को कम किया जाए.

नगर निगम के आयुक्त प्रेम कुमार पटेल का कहना है कि कुछ सालों से होर्डिंग्स से निगम को निश्चित तौर पर नुकसान हुआ है, लेकिन आने वाले मार्च महीने में टेंडर प्रक्रिया के तहत सही दर निर्धारित कर किराए पर इसे व्यापारियों को दिया जाएगा. आने वाले साल में निगम को अच्छी आय होने की उम्मीद है. आयुक्त का कहना है कि कोरोना की वजह से निगम के कर्मचारी अन्य कार्यों में व्यस्त हैं. ऐसे में कई बार ऐसी शिकायत भी मिली कि निगम के होर्डिंग्स में अनाधिकृत लोग विज्ञापन भी लगा रहे हैं. ऐसे लोगों को नोटिस भेजकर जुर्माना भी वसूला गया है, लेकिन अब मार्च महीने में निगम के पदाधिकारी सभी होर्डिंग्स का रेट निर्धारित कर ज्यादा से ज्यादा होर्डिंग्स को किराए पर देने की कोशिश करेंगे, ताकि निगम के राजस्व में वृद्धि हो सके.

जगदलपुर: बस्तर संभाग का एकमात्र नगर निगम पिछले कुछ महीनों से खराब माली हालत से गुजर रहा है. नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों को मानदेय देने के लिए पैसे नहीं हैं. निगम अमला शहर में राजस्व वसूल पाने में नाकामयाब साबित हो रहा है. यही वजह है कि शहर में लगे होर्डिंग्स से पिछले कुछ साल से लगातार निगम को काफी कम आय मिल रही है. नगर निगम द्वारा हर साल निकाले जा रहे टेंडर के लिए शहर का कोई भी व्यापारी रुचि नहीं दिखा रहा. कारोबारी इन होर्डिंग्स को किराए पर लेने में इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं.

होर्डिंग के नाम पर निगम को लग रहा लाखों रुपयों का चूना



नगर निगम के अंतर्गत शहर में कुल 80 से 90 होर्डिंग्स लगे हुए हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. निगम के अधिक किराया निर्धारित करने की वजह से लोग टेंडर में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि नगर निगम की देखरेख में ही कई व्यापारी टेंडर नहीं होने का फायदा उठाकर होर्डिंग्स पर विज्ञापन तो लगा रहे हैं, लेकिन इन विज्ञापनों का शुल्क निगम को अदा नहीं कर रहे हैं. निगम के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाकर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन शहर बढ़ने के साथ-साथ लगातार लोग अपने निजी होर्डिंग्स का उपयोग कर रहे हैं. निगम के अंतर्गत आने वाले इन होर्डिंग्स को समय-समय पर उतारने की कार्रवाई भी की जा रही है.

विपक्ष ने बनाया मुद्दा

hoardings in Jagdalpur
होर्डिंग
विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए निगम सरकार को जमकर कोसा है. भाजपा के नगर अध्यक्ष और पूर्व पार्षद सुरेश गुप्ता का कहना है कि निगम में पिछले 6 सालों से बैठी कांग्रेस की सरकार विफल साबित हुई है. इन 6 सालों में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि आय का नया स्रोत बना पाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं. शहर में निगम के अंतर्गत लगने वाले होर्डिंग्स को बिना टेंडर दिए लाखों का नुकसान पहुंच रहा है. टेंडर के नाम पर हर साल खानापूर्ति तो की जाती है, लेकिन होर्डिंग्स के मनमाने रेट तय करने से कोई भी व्यापारी इसे लेने के लिए आगे नहीं आ रहा और नतीजा बिना अनुमति लिए व्यापारी विज्ञापन लगा रहे हैं. कार्रवाई के नाम पर थोड़े बहुत शुल्क लेकर निगम को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया जाता है और निगम में बैठे पदाधिकारी भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं.

निगम बरत रहा लापरवाही

शहर के जानकारों का मानना है कि शहर में लगे होर्डिंग्स से निगम को अच्छी खासी आय हो सकती है, लेकिन जगदलपुर नगर निगम इस आय के स्रोत के लिए पूरी तरह से लापरवाही बरत रहा है. प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों में शहर में लगे हार्डिंग्स की बदौलत 15 से 20 लाख रुपए तक की आय होती है. जगदलपुर नगर निगम आय के इस स्रोत को लेकर लापरवाह है, इस वजह से उसकी माली हालत खराब बनी हुई है. यही वजह है कि नगर निगम शहर को स्मार्ट सिटी या फिर नए निर्माण कार्य दे पाने में पिछले कई सालों से नाकामयाब साबित हो रहा है. ऐसे में जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान में लेकर कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.

नगर निगम के राजस्व विभाग के मुताबिक -

  • साल 2019 में शहर में निगम के अंतर्गत लगाए गए होर्डिंग्स से निगम को 10 से 11 लाख रुपए की आय हुई है.
  • साल 2020 में अब तक नगर निगम को केवल 6 से साढ़े 6 लाख रुपए की आय हो पाई है.
  • लगभग 5 लाख रुपए से अधिक का नुकसान इस साल निगम को उठाना पड़ा है.
  • शहर में नगर निगम के अंतर्गत आने वाले करीब 80 से 90 होर्डिंग्स का महीने में किराया 5 हजार रुपए निर्धारित किया गया है.
  • व्यापारियों की मांग है कि इन होर्डिंग्स के किराए की दर को कम किया जाए.

नगर निगम के आयुक्त प्रेम कुमार पटेल का कहना है कि कुछ सालों से होर्डिंग्स से निगम को निश्चित तौर पर नुकसान हुआ है, लेकिन आने वाले मार्च महीने में टेंडर प्रक्रिया के तहत सही दर निर्धारित कर किराए पर इसे व्यापारियों को दिया जाएगा. आने वाले साल में निगम को अच्छी आय होने की उम्मीद है. आयुक्त का कहना है कि कोरोना की वजह से निगम के कर्मचारी अन्य कार्यों में व्यस्त हैं. ऐसे में कई बार ऐसी शिकायत भी मिली कि निगम के होर्डिंग्स में अनाधिकृत लोग विज्ञापन भी लगा रहे हैं. ऐसे लोगों को नोटिस भेजकर जुर्माना भी वसूला गया है, लेकिन अब मार्च महीने में निगम के पदाधिकारी सभी होर्डिंग्स का रेट निर्धारित कर ज्यादा से ज्यादा होर्डिंग्स को किराए पर देने की कोशिश करेंगे, ताकि निगम के राजस्व में वृद्धि हो सके.

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