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आदिवासियों के नाम में है राम का नाम, साथ है मां दंतेश्वरी का भी आर्शीवाद

चित्रकोट, गुप्तेश्वर, चपका ग्राम इसके अलावा बस्तर के वनांचल क्षेत्रों में राम, लक्ष्मण और सीता के पग पड़े थे और यही वजह है कि बस्तर के आदिवासी समुदाय के लोग अपने नाम के पीछे राम का नाम जोड़ते हैं.

मां दंतेश्वरी
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Published : Apr 13, 2019, 6:39 PM IST

जगदलपुर: माई दंतेश्वरी के मंदिर में महाष्टमी और रामनवमी के मौके पर भक्तों का तांता लगा रहा. सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं दूसरे राज्यों से हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु दंतेश्वरी माई के दर्शन के लिए बस्तर पहुंच रहें हैं और मनोकामना दीप जला रहे हैं.

श्रद्धालुओं का कहना है कि मां दंतेश्वरी बस्तर की कुलदेवी मानी जाती हैं. दंतेवाड़ा और जगदलपुर दोनों शक्तिपीठों में इस चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक लोग दूर-दराज से माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रियासत काल से ही देवी के प्रति लोगों की सच्ची आस्था जुड़ी है और यही वजह है कि बस्तरवासी हजारों की संख्या में मनोकामना दीप जलाकर माई से मन्नतें मांगते हैं.

नाम के पीछे राम का नाम
भगवान श्रीराम के प्रति बस्तरवासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है. जानकार बताते हैं कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान बस्तर के दंडकारण्य क्षेत्र पहुंचे थे. चित्रकोट, गुप्तेश्वर, चपका ग्राम इसके अलावा बस्तर के वनांचल क्षेत्रों में राम, लक्ष्मण और सीता के पग पड़े थे और यही वजह है कि बस्तर के आदिवासी समुदाय के लोग अपने नाम के पीछे राम का नाम जोड़ते हैं.


सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन
रामनवमी और चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर जगदलपुर में जगह-जगह विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन भी किए जा रहे हैं. इससे शहर का माहौल भी भक्तिमय में हो गया है.

मां दंतेश्वरी

जगदलपुर: माई दंतेश्वरी के मंदिर में महाष्टमी और रामनवमी के मौके पर भक्तों का तांता लगा रहा. सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं दूसरे राज्यों से हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु दंतेश्वरी माई के दर्शन के लिए बस्तर पहुंच रहें हैं और मनोकामना दीप जला रहे हैं.

श्रद्धालुओं का कहना है कि मां दंतेश्वरी बस्तर की कुलदेवी मानी जाती हैं. दंतेवाड़ा और जगदलपुर दोनों शक्तिपीठों में इस चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक लोग दूर-दराज से माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रियासत काल से ही देवी के प्रति लोगों की सच्ची आस्था जुड़ी है और यही वजह है कि बस्तरवासी हजारों की संख्या में मनोकामना दीप जलाकर माई से मन्नतें मांगते हैं.

नाम के पीछे राम का नाम
भगवान श्रीराम के प्रति बस्तरवासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है. जानकार बताते हैं कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान बस्तर के दंडकारण्य क्षेत्र पहुंचे थे. चित्रकोट, गुप्तेश्वर, चपका ग्राम इसके अलावा बस्तर के वनांचल क्षेत्रों में राम, लक्ष्मण और सीता के पग पड़े थे और यही वजह है कि बस्तर के आदिवासी समुदाय के लोग अपने नाम के पीछे राम का नाम जोड़ते हैं.


सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन
रामनवमी और चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर जगदलपुर में जगह-जगह विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन भी किए जा रहे हैं. इससे शहर का माहौल भी भक्तिमय में हो गया है.

Intro:जगदलपुर। बस्तर में भी चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष धूमधाम से मनाया जा रहा है । आज महाष्टमी और रामनवमी के मौके पर बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी के मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है । रियासत काल से ही मां दंतेश्वरी के प्रति लोगों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु दंतेश्वरी माई के दर्शन के लिए बस्तर पहुंचते हैं ।वहीं बस्तर के संवेदनशील दंतेवाड़ा जिले में मां दंतेश्वरी की शक्ति पीठ में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं और मनोकामना दीप जलाते हैं।


Body:वो1- चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर सुबह से ही देवी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है। बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं। और महाष्टमी के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना कर हवन पूजन में शामिल हो रहे हैं । श्रद्धालुओं का कहना है कि मां दंतेश्वरी बस्तर की कुलदेवी मानी जाती है । दंतेवाड़ा और जगदलपुर दोनों शक्तिपीठों में इस चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक लोग दूर-दराज से माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। रियासत काल से ही देवी के प्रति लोगों की सच्ची आस्था जुड़ी है और यही वजह है कि बस्तर वासी हजारों की संख्या में मनोकामना दीप जलाकर माई से मन्नतें मांगते हैं। वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से बस्तर वासियों की काफी आस्था जुड़ी हुई है। जानकार बताते हैं कि श्री राम ने अपने वनवास के दौरान बस्तर के दंडकारण्य क्षेत्र में भी पहुंचे हुए थे। चित्रकोट, गुप्तेश्वर, चपका ग्राम इसके अलावा बस्तर के वनांचल क्षेत्रों में राम, लक्ष्मण और सीता के पग पड़े थे। और यही वजह है कि बस्तर के आदिवासी समुदाय के लोग अपने नाम के पीछे राम लगाते हैं। भगवान श्री राम के प्रति बस्तर वासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

बाईट1- संपत झा, श्रद्धालु
बाईट2- हेमन्त कश्यप, श्रद्धालु, विशेष जानकर "चश्मा पहने हुए"


Conclusion:वो फाइनल- हिंदू नव वर्ष , रामनवमी और चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर जगदलपुर शहर में जगह-जगह विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन भी किए जा रहे हैं। जिससे शहर का माहौल भी भक्तिमय में हो गया है।
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