जगदलपुरः छत्तीसगढ़ का नक्सल क्षेत्र बस्तर (Naxalite Affected Area Bastar) में आज भी नक्सली आतंक (Naxalite Terror) की वजह से कई गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं. आजादी के 75 वर्ष बाद भी इन ग्रामीण अंचलों में बिजली नहीं पहुंच सकी है. हालांकि विभाग इन गांवों में बिजली (Lightning) पहुंचाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन सघन वन क्षेत्र (Dense Forest Area) और नक्सल समस्या (Naxal Problem) की वजह से आज भी बस्तर के कई गांव के लोग अंधेरे में जीने को मजबूर (Forced To Live In The Dark) हैं.
सबसे अधिक बस्तर संभाग के सुकमा बीजापुर और नारायणपुर जिले के ग्रामीण बिजली के अभाव से प्रभावित हैं और अंधेरे में जीवन-यापन (Living) कर रहे हैं. हालांकि विभाग के अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि आने वाले एक या दो सालों में इन प्रभावित गांवो में बिजली पहुंच सकेगी. फिलहाल सोलर (Solar) के माध्यम से इन गांवों को रोशन करने का काम किया जा रहा है.
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में ग्रामीण आज भी उन्हें मिलने वाली सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. नक्सल प्रभावित कई गांव (Naxal Affected Many Villages) के लोग आज भी विकास से कोसों दूर हैं. आलम यह है कि देश को आजाद हुए 75 साल बीतने के बाद भी इन गांवों में सबसे जरूरी बिजली तक नहीं पहुंच पाई है और कई गांव अंधेरे में डूबे (Villages Plunged Into Darkness) हुए हैं.
विभाग लगातार प्रयासरत
इन गांवों तक बिजली नहीं पहुंच पाने की वजह बस्तर में पहाड़ और सघन वन क्षेत्र (mountain and dense forest area) के साथ ही नक्सल समस्या है. अधिकारी बताते हैं कि नक्सलियों के आतंक (Terror of Naxalites) की वजह से इन गांवों में आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. हालांकि बीते कुछ वर्षों में सौभाग्य योजना (Saubhagya Yojana) के तहत कई अंदरूनी क्षेत्र के गांव में बिजली पहुंचाने का काम विभाग ने किया और रोशनी पहुंचाई.
बावजूद, इसके वर्तमान में भी बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कई गांव ऐसे हैं जहां बिजली नहीं पहुंच सकी है और इन गांव में बिजली पहुंचाने की पूरी कोशिश विभाग के अमले के द्वारा की जा रही है. छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी (Power Company) के मुख्य अभियंता (Chief Engineer) सहदेव ठाकुर ने बताया कि बस्तर संभाग (Bastar Division) में 7 जिले हैं. कुल 3781 गांव हैं. विभाग ने इनमें से 3718 गांव तक बिजली पहुंचा दी है और अन्य गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम जारी है.
स्टेट बार काउंसिल चुनाव में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त
अधिकारी ने कहा, नक्सलवाद है अभिशाप
अधिकारी ने बताया कि वंचित गांवों में बिजली अब तक नहीं पहुंच पाने की मुख्य वजह नक्सल समस्या है. साथ ही यह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सघन वन के साथ ही पहाड़ी इलाका (Hilly Area) है. हालांकि कुछ गांव में क्रेडा विभाग सोलर के माध्यम से रोशनी पहुंचाने का काम कर रहा है. लेकिन वह पर्याप्त नहीं है.
वहीं, विभाग भी वंचित गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि आने वाले 2 सालों में बस्तर के जिन गांव में बिजली नहीं पहुंची है वहां तक बिजली पहुंचाने का काम कर लिया जाएगा. हालांकि इस दौरान कर्मचारियों में भी नक्सली आतंक (Naxalite Terror) का डर बना हुआ है. लिहाजा ग्रामीणों के सहयोग से ही विभाग अब तक बस्तर संभाग के 3718 गांव में बिजली पहुंचा पाया है.
संवेदनशील इलाकों तक बिजली पहुंचाने में कामयाबी
इधर, बस्तर जिले के 18 गांव भी बिजली के अभाव में अंधेरे में डूबे हुए हैं. हालांकि राहत वाली बात यह है कि कुछ ही दिन पूर्व बस्तर के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र दरभा ब्लॉक (Block) के छिंदगुर, कांदानार और मुंडागढ़ में बिजली पहुंचाई गई है. जिससे वहां के ग्रामीणों में भी काफी खुशी है. शेष बचे ग्रामीण अंचलों (Rural Areas) में कब तक बिजली पहुंच पाती है? और बस्तर के ग्रामीणों को अंधेरे से छुटकारा मिल पाता है, यह देखने वाली बात होगी.