जगदलपुर: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सबसे जरूरी है मास्क. लेकिन आपको याद होगा शुरुआती दौर में मास्क मिलना कितना मुश्किल था. देश के शहरी क्षेत्रों में मास्क लोगों को फिर भी मास्क मिल गए और वे इसे इस्तेमाल करने के तरीके से वाकिफ हुए. लेकिन छत्तीसगढ़ के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को न तो उपलब्धता थी और न ही उन्हें इसके उपयोग के बारे में ज्यादा जानकारी थी. ऐसे में बस्तर की 'मास्क वाली दीदी' अंजू रॉय ने जनसेवा में अपना फर्ज निभाया.
मास्क वाली दीदी के नाम से मिली पहचान
सालभर में डेढ़ लाख मास्क बांटकर सामाजिक कार्यकर्ता अंजू रॉय 'मास्क वाली दीदी' के नाम से बस्तर में पहचानी जाने लगीं. ETV भारत से अंजू ने बताया कि देश में लॉकडाउन लगने के बाद उन्होंने सिलाई सेंटर में मास्क बनाना शुरू किया. उन्होंने सिलाई सेंटर में प्रशिक्षित महिलाओं और युवतियों को घर में मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया. आज वे 1 साल के अंदर डेढ़ लाख से अधिक मास्क बनाकर बस्तर के जन-जन तक पहुंचा चुकी हैं.
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हर वर्ग में बांटे मास्क
अंजू रॉय ने बताया कि सामाजिक संगठनों से लेकर शासकीय कार्यालय और अर्ध शासकीय संस्थानों में भी उन्होंने नि:शुल्क मास्क बांटे. दिन-रात एक करके मास्क सिले और फिर पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम सफाई कर्मचारी से लेकर गांव-गांव तक फ्री में मास्क बांटा.
कपड़ा की आई कमी तो पुराने कपड़े से तैयार किया मास्क
कोरोना के पीक समय में ऐसा भी समय आया जब मास्क बनाने के लिए कपड़े की कमी आ गई. तब उन्होंने घर के कपड़ों का इस्तेमाल किया. सिलाई सीखने आने वाली युवतियों और महिलाओं ने भी इसमें उनका पूरा सहयोग किया और अपने-अपने घर में मौजूद कपड़ों का इस्तेमाल कर मास्क बनाया. इनकी इस लगन को देख शहर के कुछ वरिष्ठ नागरिक और सामाजिक संगठन के लोगों ने भी अंजू रॉय को मास्क बनाने के लिए नि:शुल्क कपड़ा उपलब्ध करवाया.
बस्तर के गांव-गांव तक मास्क पहुंचाने की कोशिश
समाजसेवी अंजू रॉय ने बताया कि शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना को लेकर जागरूकता की कमी थी. इसलिए उन्होंने बस्तर के गांव-गांव तक मास्क पहुंचाने का लक्ष्य रखा और इसकी उपयोगिता बताने के लिए वे खुद ग्रामीण इलाकों में पहुंची. अलग-अलग समाजसेवियों की मदद से उन्होंने बस्तर संभाग के सभी जिलों के गांवों में पहुंची और ग्रामीणों को फ्री में मास्क दिए. लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए बनाये गए शिविरों में भी नि:शुल्क मास्क उपलब्ध कराए.
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जगदलपुर से मास्क लेकर दंतेवाड़ा में बांटती है
अंजू रॉय के इस अभियान में उनका साथ देने वाली महिला सदस्य सुशीला मिस्त्री ने बताया कि, वे दंतेवाड़ा की रहने वाली हैं. लेकिन सप्ताह में दो से तीन बार जगदलपुर में अंजू रॉय के सिलाई सेंटर पहुंचती है. यहां से मास्क ले जाकर वे गांवों में बांटती हैं. अंजू ने बताया कि अब तक उन्होंने 20 से 25 हजार मास्क बांटे हैं. मास्क बांटने के साथ ही ग्रामीणों को साफ-सफाई, बार-बार हाथ धोने और मुंह में मास्क पहनने के बारे में बताया जाता है. उन्होंने कहा कि बाकी महिलाओं को भी ऐसे नेक काम के लिए आगे आना चाहिए.
सिलाई सीखने वाली युवतियां हर रोज बनाती हैं मास्क
ग्रामीण अंचलों की युवतियों ने भी बताया कि वह हर रोज कपड़ों की सिलाई सीखने के साथ ही 20 से 25 मास्क की सिलाई करती हैं. किशोर सरकार ने बताया कि वे यहां से मास्क लेकर भानुप्रतापपुर, पखांजुर, अंतागढ़ तक मास्क बांट चुके हैं.
कई बार हो चुकी हैं सम्मानित
अंजू रॉय इस नेक काम के लिए लॉकडाउन के बाद से अब तक कई बार सम्मानित हो चुकी हैं. 30 मार्च को उन्हें दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा. साथ ही 2 अप्रैल को मुंबई में होने वाले एक कार्यक्रम के दौरान भी अंजू रॉय सम्मानित होने वाली है, लेकिन खास बात यह है कि वे इस काम के लिए अपनी टीम को प्राथमिकता देती हैं. इस वजह से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपनी टीम की महिलाओं और युवतियों को सम्मानित भी किया. अंजू श्रीफल और शॉल देकर उन्हें सम्मानित करने के साथ समय-समय पर उन्हें प्रोत्साहित भी करती हैं.
'मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें'
'मास्क वाली दीदी' का मास्क बनाने का काम निरंतर जारी है. एक बार फिर कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. दूसरे राज्यों के साथ ही प्रदेश के कई जिलों में कंटेनमेंट जोन बना दिए गए है. ऐसे में अंजू रॉय ने ETV भारत के जरिए लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है. घरों में रहने और घरों से बाहर निकालने के दौरान मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करने की अपील की है.