दुर्ग/भिलाई : गोधन न्याय योजना के तहत लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल को झटका लगा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिला के गौठान में मवेशियों की देखरेख करने वाला समूह आत्मनिर्भर होने के बजाय कर्जदार हो गया है. भिलाई के कोसानाला के शहरी गौठान में 100 से अधिक मवेशी हैं. उनके चारे के लिए समिति ने अन्य समूह से कर्ज लिया है, लेकिन खाद की बिक्री नहीं होने से महिलाएं इसका भुगतान नहीं कर पा रही हैं. इधर निगम ने भी भुगतान से हाथ खड़े कर दिए हैं.
पढ़ें- मजाक या घोटाला: मकान बना नहीं, दिल्ली से आ गया बधाई संदेश
30 महिलाएं समिति में कर रहीं श्रम
गौठान की देखरेख कर रही नई उड़ान शहर स्तरीय समिति में 30 महिलाएं हैं. सभी महिलाएं रोजाना गौठान में काम करती हैं, जहां गोबर के खाद बनाने से लेकर विभिन्न काम किया जाता है, लेकिन उनकी मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा है. समिति की रेखा बघेल बताती हैं कि अब तक मात्र 25 क्विंटल खाद की बिक्री हुई है. उसका भी पैसा शासन के पास गया है. समिति को अब तक एक रुपया नहीं मिला.
पहले शासन के हाथ में था, अब समिति के पास
नगर निगम के सामुदायिक संगठिका सिलोचना धनगर का कहना है कि पहले खाद बिक्री शासन के पास थी, लेकिन अब समिति के हाथ में है. पहले सहकारी बैंक से पर्ची कटवानी होती थी, उसके बाद खाद के लिए व्यापारी या किसानों को गौठान आना होता था. इससे किसानों के साथ खाद व्यापारियों को भी परेशानी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब गौठान संचालक खुद से कहीं भी खाद बेच सकते हैं, इससे निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.
खुले तौर पर बेचने का दिया आदेश
भिलाई नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी पीसी सार्वा ने बताया कि पहले दूसरे माध्यम से खाद की बिक्री होती थी, लेकिन अब खुले तौर पर इसे बेचने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि खाद बिक्री में कोई कमी नहीं है, व्यापक पैमाने पर इसकी बिक्री हो रही है.