दुर्ग : छत्तीसगढ़ में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर मंडल ने अनुकंपा नियुक्ति के क्षेत्र में इतिहास रचा है. यहां बुधवार को 10 महीने की बच्ची राधिका का रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया. रेलवे के अफसरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के रेलवे इतिहास में यह पहला मामला है जब इतनी छोटी बच्ची का अनुकंपा नियुक्ति के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया हो.
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के इतिहास में पहली घटना: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर मंडल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 10 महीने की बच्ची की रेलवे में नौकरी पक्की हो गई (ten month old girl got a job in the railways in Durg) है. इसके लिए रेलवे विभाग के अधिकारियों ने 10 माह की बच्ची का रजिस्ट्रेशन कर लिया है. जब यह बच्ची 18 साल की होगी. तब इस बच्ची को रेलवे कर्मचारी के तौर पर काम दिया जाएगा.रायपुर रेल मंडल के कार्मिक विभाग में एक दस माह की बच्ची राधिका का अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पंजीयन किया गया. अफसरों की मानें तो रायपुर मंडल के इतिहास मे संभवतः यह पहला मामला है. जब इतनी छोटी उम्र के बच्चे की अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पंजीयन किया गया. इस दौरान बच्ची के अंगूठे और अंगुलियों का निशान भी लिए गए. मासूम बच्ची को उसके परिजन रायपुर रेल मंडल के कार्मिक विभाग लेकर पहुंचे थे.
क्यों मिली 10 माह की बच्ची को नौकरी : रेलवे अफसरों के मुताबिक बच्ची राधिका के पिता राजेंद्र कुमार यादव पीपी यार्ड भिलाई में सहायक के पद पर कार्यरत थे. राजेंद्र चरोदा में रेलवे आवास में रहते थे. उनका गृह निवास मंदिर हसौद क्षेत्र में है.बीते एक जून को मंदिर हसौद की ओर से भिलाई आने के दौरान मंदिर हसौद के पास सडक दुर्घटना (accident took place in Raipur Mandir Hasaud) में राजेंद्र कुमार और उनकी पत्नी मंजू यादव की मौत हो गई (girl parents died in Raipur)थी. हादसे के समय बच्ची राधिका भी अपने माता-पिता के साथ बाइक में मौजूद थी. लेकिन ऊपरवाले की कृपा से वह जीवित बच गई. माता पिता के निधन के बाद राधिका को उनकी दादी ने अपने पास रखा है.
नियुक्ति की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरु : रायपुर रेल मंडल (Raipur Railway Board started the job process) के द्वारा उनके परिवार को नियमानुसार सभी सहायता उपलब्ध कराई गई. इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया के लिये उनके घर पर अधिकारियों एवं कल्याण निरीक्षक मिलने जाने वाले थे. परंतु राजेंद्र कुमार के परिजनों ने वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में मिलना चाहा. सोमवार को बच्ची राधिका को लेकर उसके दादा-दादी, मौसी एवं चाचा रायपुर रेल मंडल कार्यालय पहुंचे और कार्मिक विभाग गए.
मासूम के अंगूठे का लिया गया निशान : रेलवे में प्रावधान है कि बच्चा यदि छोटा है तो उसे वयस्क होने पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है. इसके लिए बच्चे का पंजीयन की प्रक्रिया रेलवे कराता है.बच्ची राधिका के मामले में भी ऐसा ही किया गया. वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी उदय कुमार भारती ने इस बच्ची के अनुकंपा के लिए अंगूठे का निशान जब लिया तो वह पल अत्यन्त मार्मिक था. इस दौरान बच्ची रो रही थी. किसी तरह भारती ने बच्ची को संभालते हुए यह प्रक्रिया पूरी कराई गई.
कब मिलेगी राधिका को नौकरी : मासूम राधिका अब 18 साल होने के बाद रेलवे में नौकरी ज्वाइन करेगी. मासूम राधिका को अभी यह भी नहीं पता है कि इस दुनिया में उनके माता-पिता नहीं है.और साथ ही रेलवे में नौकरी पक्की हो गई है. नौकरी ज्वाइन करने के बाद मासूम राधिका को रेलवे की वह तमाम सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी जो अन्य रेलवे कर्मचारियों को उनके रैंक के अनुसार मिलती है.
छत्तीसगढ़ के रेलवे इतिहास में यह पहली घटना: रायपुर रेल मंडल के वरिष्ठ प्रचार निरीक्षक शिव प्रसाद ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में ऐसा पहला मामला है जहां रेलवे ने सबसे कम उम्र के बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति से लेकर सभी कागजी प्रक्रिया को पूरा किया है. बच्ची जैसे ही बालिग होगी उसकी पदस्थापना की जायेगी"