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दुर्ग में 30 साल से बंद पड़ा भाठागांव लिफ्ट एरिगेशन प्लांट जल्द होगा शुरू, 6 गांव के किसानों को मिलेगा लाभ - दुर्ग के किसानों को मिलेगा लाभ

दुर्ग के पाटन में बना भाठागांव लिफ्ट एरिगेशन प्लांट का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा. कलेक्टर ने मंगलवार को चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया. उन्होंने जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस प्लांट को शुरू होने से 6 गांव के किसानों को सिंचाई में सुविधा होगी.

Bhatagaon lift irrigation plant
भाठागांव लिफ्ट एरिगेशन प्लांट कलेक्टर ने किया निरीक्षण
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Published : May 19, 2021, 9:11 PM IST

दुर्गः जिले के पाटन और बालोद जिले के गुंडरदेही विधानसभा के बीच पिछले 30 साल से बंद भाठागांव लिफ्ट एरिगेशन प्लांट दोबारा शुरू होने जा रहा है. इसके जीर्णोद्धार का कार्य लगभग पूरा होने ही वाला है. प्लांट के शुरू होने से 1500 हेक्टेयर से अधिक खेतों की सिंचाई की जा सकेगी. यह योजना 1989 में आरंभ की गई थी. जिसके बाद 1992 में नहर के बांध टूट जाने की वजह से बंद हो गई थी. इसके चलते 6 गावों को खरीफ फसल के दौरान मिलने वाली सिंचाई की सुविधा बाधित थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस वर्ष के वित्तीय बजट में इस योजना के जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी थी. इसके लिए 5 करोड़ 51 लाख 76 हजार रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है.

किसानों को सिंचाई करने में मिलेगी मदद

इस कार्य के लिए जलसंसाधन विभाग ने सिविल वर्क पूरा कर लिया है. भूमि समतलीकरण का कार्य अभी चल रहा है. जल्द ही इलेक्ट्रिकल वर्क से संबंधित कार्य शुरू होने की उम्मीद है. कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बुधवार को निर्माणाधीन नहर का निरीक्षण किया. इस दौरान पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि जून में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा. कलेक्टर ने मौजूद अधिकारियों को योजना से संबंधित इलेक्ट्रिकल मशीनरी वाले कार्य को जून के प्रथम सप्ताह तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं. नहर का काम पूरा होने से 6 गांव के किसानों को खेत की सिंचाई में सुविधा होगी.

1538 हेक्टेयर खेतों में पहुंचेगा योजना का पानी

जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेश पांडेय ने बताया कि इस योजना के तहत 1538 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई किया जा सकेगा. इससे दुर्ग जिला के पाटन ब्लॉक के तीन गांव लाभान्वित होंगे. जामगांव आर, बोरवाय और औरी में 818 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी. इसके साथ ही बालोद जिला के गुंडरदेही ब्लॉक के भाठागांव, रनचिरई, जरवाय में 720 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. कार्यपालन अभियंता ने बताया कि रबी फसल में भी एक बार सिंचाई के लिए यहां से पानी दिया जाएगा. इसके साथ ही इस योजना के पूरा होने से चने आदि की फसल उगाने में किसानों को आसानी होगी. इस दौरान सहायक कलेक्टर हेमन्त नंदनवार और एसडीएम विपुल गुप्ता भी मौजूद रहे.

कोरबा में 35 नई योजनाओं से बढ़ेगी सिंचाई क्षमता

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने किया था शिलान्यास

जिले के किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी की बहुत ज्यादा समस्या होती थी. जिसको ध्यान में रखते हुए 1978 में 52 गांव के किसानों ने फुंडा भांठा में तांदुला के पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष समिति बनाकर एक बड़ा आंदोलन किया था. किसानों ने प्रदर्शन के साथ ही भूख हड़ताल भी किया था. उस समय ग्रामीणों ने नहर की मांग को लेकर मतदान भी नहीं किया था. जिसके बाद तत्कालीन विधायक हरिप्रसाद शर्मा की पहल पर 27 फरवरी 1984 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने भाठागांव सिंचाई योजना का शिलान्यास किया था.

10 फीट ऊपरी खेतों में नहीं पहुंचता था पानी

भाठागांव सिंचाई उद्वहन परियोजना की शुरुआत किसानों की सिंचाई में आने वाली समस्याओं को देखते हुए किया गया था. इस क्षेत्र के 6 गांवों के खेत ऐसे हैं, जो तांदुला केनाल से दस फीट ऊपर है. जमीन की ऊंचाई अधिक होने से तांदुला जलाशय का पानी इन खेतों तक नहीं पहुंचता था. जिससे यहां के किसान केवल बारीश के पानी के भरोसे खेती करते थे. इससे किसानों को काफी नुकसान होता था. शुरू में योजना के संचालन की जिम्मेदारी किसानों को दी गई थी. किसान प्रति घंटे एक लीटर आइल के लिए 120 रुपये खर्च करते थे. एक दिन में सिंचाई करने में हजारों रुपये लग जाते थे. जिसके बाद मेंटेनेंस ना होने से लिफ्ट नहर प्लांट भी बंद हो गया था. जिसे अब शुरू करने की पहल की गई है.

दुर्गः जिले के पाटन और बालोद जिले के गुंडरदेही विधानसभा के बीच पिछले 30 साल से बंद भाठागांव लिफ्ट एरिगेशन प्लांट दोबारा शुरू होने जा रहा है. इसके जीर्णोद्धार का कार्य लगभग पूरा होने ही वाला है. प्लांट के शुरू होने से 1500 हेक्टेयर से अधिक खेतों की सिंचाई की जा सकेगी. यह योजना 1989 में आरंभ की गई थी. जिसके बाद 1992 में नहर के बांध टूट जाने की वजह से बंद हो गई थी. इसके चलते 6 गावों को खरीफ फसल के दौरान मिलने वाली सिंचाई की सुविधा बाधित थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस वर्ष के वित्तीय बजट में इस योजना के जीर्णोद्धार की स्वीकृति दी थी. इसके लिए 5 करोड़ 51 लाख 76 हजार रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है.

किसानों को सिंचाई करने में मिलेगी मदद

इस कार्य के लिए जलसंसाधन विभाग ने सिविल वर्क पूरा कर लिया है. भूमि समतलीकरण का कार्य अभी चल रहा है. जल्द ही इलेक्ट्रिकल वर्क से संबंधित कार्य शुरू होने की उम्मीद है. कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बुधवार को निर्माणाधीन नहर का निरीक्षण किया. इस दौरान पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि जून में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा. कलेक्टर ने मौजूद अधिकारियों को योजना से संबंधित इलेक्ट्रिकल मशीनरी वाले कार्य को जून के प्रथम सप्ताह तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं. नहर का काम पूरा होने से 6 गांव के किसानों को खेत की सिंचाई में सुविधा होगी.

1538 हेक्टेयर खेतों में पहुंचेगा योजना का पानी

जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेश पांडेय ने बताया कि इस योजना के तहत 1538 हेक्टेयर खेतों में सिंचाई किया जा सकेगा. इससे दुर्ग जिला के पाटन ब्लॉक के तीन गांव लाभान्वित होंगे. जामगांव आर, बोरवाय और औरी में 818 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी. इसके साथ ही बालोद जिला के गुंडरदेही ब्लॉक के भाठागांव, रनचिरई, जरवाय में 720 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. कार्यपालन अभियंता ने बताया कि रबी फसल में भी एक बार सिंचाई के लिए यहां से पानी दिया जाएगा. इसके साथ ही इस योजना के पूरा होने से चने आदि की फसल उगाने में किसानों को आसानी होगी. इस दौरान सहायक कलेक्टर हेमन्त नंदनवार और एसडीएम विपुल गुप्ता भी मौजूद रहे.

कोरबा में 35 नई योजनाओं से बढ़ेगी सिंचाई क्षमता

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने किया था शिलान्यास

जिले के किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी की बहुत ज्यादा समस्या होती थी. जिसको ध्यान में रखते हुए 1978 में 52 गांव के किसानों ने फुंडा भांठा में तांदुला के पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष समिति बनाकर एक बड़ा आंदोलन किया था. किसानों ने प्रदर्शन के साथ ही भूख हड़ताल भी किया था. उस समय ग्रामीणों ने नहर की मांग को लेकर मतदान भी नहीं किया था. जिसके बाद तत्कालीन विधायक हरिप्रसाद शर्मा की पहल पर 27 फरवरी 1984 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने भाठागांव सिंचाई योजना का शिलान्यास किया था.

10 फीट ऊपरी खेतों में नहीं पहुंचता था पानी

भाठागांव सिंचाई उद्वहन परियोजना की शुरुआत किसानों की सिंचाई में आने वाली समस्याओं को देखते हुए किया गया था. इस क्षेत्र के 6 गांवों के खेत ऐसे हैं, जो तांदुला केनाल से दस फीट ऊपर है. जमीन की ऊंचाई अधिक होने से तांदुला जलाशय का पानी इन खेतों तक नहीं पहुंचता था. जिससे यहां के किसान केवल बारीश के पानी के भरोसे खेती करते थे. इससे किसानों को काफी नुकसान होता था. शुरू में योजना के संचालन की जिम्मेदारी किसानों को दी गई थी. किसान प्रति घंटे एक लीटर आइल के लिए 120 रुपये खर्च करते थे. एक दिन में सिंचाई करने में हजारों रुपये लग जाते थे. जिसके बाद मेंटेनेंस ना होने से लिफ्ट नहर प्लांट भी बंद हो गया था. जिसे अब शुरू करने की पहल की गई है.

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