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गौठानों में लहलहा रही नेपियर घास से सेहतमंद होंगे पशुधन

धमतरी जिले के गौठानों में नेपियर घास लगाए जा रहे हैं. जिससे पशुओं को साल भर हरा चारा मिलने लगेगा. हाइब्रिड नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन,क्रूड रेशा और कैल्शियम की मात्रा के अलावा शुष्क पदार्थ सहित पाचन क्षमता और औक्सालेट होता है.

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नेपियर घास
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Published : Aug 12, 2021, 11:05 PM IST

धमतरी: पशुधन को हरा चारा उपलब्ध कराने चारागाह विकास के साथ जिले में अब तेजी से नेपियर घास का रोपण किया जा रहा है.पिछले साल करीब 8 गौठानों में लगाई गई नेपियर घास चारागाह में लहराने लगी है. ऐसे में अब इस साल करीब 60 गौठानों पर घास का रोपण किया गया है.

नेपियर घास

सुराजी गांव के तहत प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के जरिये जिले में 360 गौठान बनाए गए है. इनको गौठानों में चारागाह का विकास तेजी से किया जा रहा है. गौठान गांव के चारागाह में पशुओं को पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने नेपियर घास का रोपण किया गया है. वही चारागाह के लिए आरक्षित भूमि को तार फेंसिंग से सुरक्षित भी किया गया है. जिन गौठानों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. वहां नेपियर घास की रोपण किया गया है.

Napier grass in Gauthans of dhamtari
नेपियर घास

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एक बार नेपियर घास का रोपण करने के बाद उससे 4 से 5 साल तक हरा चारा उपलब्ध होता है. घास की कटाई के बाद उनकी शाखाएं फिर से फैलने लगती है. जबकि कटाई के 40 दिन बाद घास कटाई के लिए फिर से तैयार हो जाती है. हाइब्रिड नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन,क्रूड रेशा और कैल्शियम की मात्रा के अलावा शुष्क पदार्थ सहित पाचन क्षमता और औक्सालेट होता है.

पशुपालन विभाग के उपसंचालक एम एस बघेल ने बताया कि जिले में कुल 360 गौठानें है. पिछले साल ही नेपियर घास लगाने की शुरुआत की गई थी. इस साल 60 गौठानों में नेपियर घास लगाई गई है. जिले में 129 चारागाह निर्मित गौठान है. जिन गौठानों में पानी और सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग किया गया है. वहां नेपियर घास लगाई गई है.

बहरहाल जिले के अन्य गौठानों में भी नेपियर घास लगाने की दिशा में काम हो रहा है. चारागाह विकास की देखरेख गौठान प्रबंधन समिति की निगरानी में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही है.इससे होने वाली आय स्वयं सहायता समूह की होगी.

धमतरी: पशुधन को हरा चारा उपलब्ध कराने चारागाह विकास के साथ जिले में अब तेजी से नेपियर घास का रोपण किया जा रहा है.पिछले साल करीब 8 गौठानों में लगाई गई नेपियर घास चारागाह में लहराने लगी है. ऐसे में अब इस साल करीब 60 गौठानों पर घास का रोपण किया गया है.

नेपियर घास

सुराजी गांव के तहत प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के जरिये जिले में 360 गौठान बनाए गए है. इनको गौठानों में चारागाह का विकास तेजी से किया जा रहा है. गौठान गांव के चारागाह में पशुओं को पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने नेपियर घास का रोपण किया गया है. वही चारागाह के लिए आरक्षित भूमि को तार फेंसिंग से सुरक्षित भी किया गया है. जिन गौठानों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. वहां नेपियर घास की रोपण किया गया है.

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नेपियर घास

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एक बार नेपियर घास का रोपण करने के बाद उससे 4 से 5 साल तक हरा चारा उपलब्ध होता है. घास की कटाई के बाद उनकी शाखाएं फिर से फैलने लगती है. जबकि कटाई के 40 दिन बाद घास कटाई के लिए फिर से तैयार हो जाती है. हाइब्रिड नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन,क्रूड रेशा और कैल्शियम की मात्रा के अलावा शुष्क पदार्थ सहित पाचन क्षमता और औक्सालेट होता है.

पशुपालन विभाग के उपसंचालक एम एस बघेल ने बताया कि जिले में कुल 360 गौठानें है. पिछले साल ही नेपियर घास लगाने की शुरुआत की गई थी. इस साल 60 गौठानों में नेपियर घास लगाई गई है. जिले में 129 चारागाह निर्मित गौठान है. जिन गौठानों में पानी और सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग किया गया है. वहां नेपियर घास लगाई गई है.

बहरहाल जिले के अन्य गौठानों में भी नेपियर घास लगाने की दिशा में काम हो रहा है. चारागाह विकास की देखरेख गौठान प्रबंधन समिति की निगरानी में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही है.इससे होने वाली आय स्वयं सहायता समूह की होगी.

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