जानिए क्यों छत्तीसगढ़ में गहरा सकता है जलसंकट ? - जानिए क्यों छत्तीसगढ़ में गहरा सकता है जलसंकट
छत्तीसगढ़ में बहुत जल्द जलसंकट हो सकता है. राज्य के बड़े बांधों में अब काम चलाऊ ही पानी का स्टाक बचा है. अभी मॉनसून आने को 20 से 22 दिन हैं. ऐसे में यदि इससे भी देरी हुई तो हालात बिगड़ सकते हैं.
धमतरी : छत्तीसगढ़ के लिए आने वाले दिन बेहद नाजुक होने वाले हैं. भीषण गर्मी के बीच एक चौंका देने वाली खबर आई है. खबर ये है कि राज्य के जलाशयों में पानी का काफी कम स्टाक बचा है.धमतरी जिले की यदि बात करें तो जिले का मुरुमसिल्ली बांध (madamsilli dam) पूरी तरह से सूख चुका है. दुधावा और सोंढूर बांध में कुछ फीसदी पानी बचा है. वहीं जिले का सबसे बड़ा गंगरेल डैम का स्टाफ 50 फीसदी बचा है. जिसके कारण अब पेयजल और भिलाई स्टील प्लांट के अलावा किसी दूसरी जरुरत के लिए पानी देने पर रोक लगा दी गई है.
100 साल पुराना बांध बना खेत : जिले का सौ साल पुराना बांध मुरुमसिल्ली इन दिनों किसी खेत की तरह दिखाई दे रहा है. इस बांध में पानी तो छोड़िए गीली मिट्टी भी आपको नजर नहीं आएगी. अमूमन बांध को खाली करने के बाद भी उसमे डेड स्टाक का जल बचा रहता है. लेकिन मुरुम सिल्ली के लिए ये बात सही साबित नहीं हो रही.इस बांध में जहां भी नजर दौड़ाओं वहां पर सिवाय रेत के कुछ नजर नहीं आता.
दुधावा और सोंढूर की हालत पतली : जिले के दूसरे बांधों की बात करें तो दुधावा में 1 दशमलव 5 टीएमसी पानी है. जो उसकी क्षमता का 15 प्रतिशत है. इसके बाद सोंढूर बांध में 1 दशमलव 3 टीएमसी पानी है जो क्षमता के मुकाबले सिर्फ 21 फीसदी है. सोंढुर का एक गेट खराब भी है जिसकी मरम्मत के लिये काफी मात्रा में पानी खाली करना जरूरी है.
गंगरेल का गागर भी सूखा : धमतरी के सबसे बड़े गंगरेल बांध (Dhamtari gangrel dam) का पानी अब करीब 15 टीएमसी रह गया है.जो इसकी क्षमती के मुकाबले आधे से भी कम है. इन बांधों के पानी से फसल सिंचाई, निस्तारी, राजधानी रायपुर और धमतरी के पेयजल के साथ भिलाई स्टील प्लांट को पानी दिया जाता है. अब जल संकट की स्थिति को देखते हुए सिर्फ पेयजल और बीएसपी को पानी देने की इजाजत दी गई है.
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पैदा होने वाला है जलसंकट : मानसून आने के करीब 20 दिन पहले ही बांध सूख चुके हैं. अब जरा सोचिए यदि वक्त पर मानसून नहीं आएगा तो क्या होगा. क्योंकि भीषण गर्मी के कारण हर तरफ जल की मांग तेज हो रही है. लेकिन दूसरी तरफ प्रबंधन का दावा है कि छत्तीसगढ़ में गंभीर जल संकट जैसी स्थिति कभी नहीं आएगी. वक्त पर मानसून आएगा और सब कुछ सामान्य होगा.