धमतरी: प्रदेश में किसान इन दिनों धान की कटाई में जुटे है. किसान हर साल नवंबर माह में ही समर्थन मूल्य में अपना उपज बेचते आये है लेकिन बीते साल प्रदेश की भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की सरकार ने किसानों का धान दिसंबर में खरीदा. इस वजह से किसानों को कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ा था. पिछली बार की तरह इस बार भी समस्याओं का सामना न करना पड़े इसलिए किसान जल्द ही सर्मथन मूल्य पर धान खरीदी की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से धान खरीदी की अभी तक कोई तारीख तय नहीं हुई है. लिहाजा किसान असमंजस स्थिति में है.
धमतरी सूबे का वो इलाका है जो बारह महीने हरियाली की चादर ओढ़े रहता है. यहां दोनों सीजन में धान की बम्पर पैदावारी होती है. जिले में इस साल एक लाख 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पर किसानों ने खरीफ सीजन में धान फसल लगाई है. जो तकरीबन तैयार है.अधिकांश किसानों के खेतों में लगी धान फसल पककर तैयार है. लिहाजा कुछ किसानों ने तो कटाई भी शुरू कर दी है. जिले में पिछले साल समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए एक लाख 11 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन किया गया था. जिले के 89 उपार्जन केन्द्रों में 42 लाख 77495 क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई थी. इस साल भी करीब 90 धान उपार्जन केंद्रों से धान की खरीदी की जाएगी.
हालांकि जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारियां शुरू हो गई है. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए नए किसानों का पंजीयन किया जा रहा है. लेकिन समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी कब से शुरू की जाएगी. इसके लिए शासन से अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया जा सका है. ऐसे में किसान अपने उपज के रख रखाव और उस पर अतिरिक्त खर्च को लेकर चिंतित है. उनकी माने तो तैयार फसल को समय पर काटना जरूरी है. खेतों से धान को घर ले जाने में अतिरिक्त खर्च होगा. इसके अलावा चूहे और मौसम धान को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में धान की खरीदी अगर समय पर नहीं होती है तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों के साथ भेदभाव कर रही है. घोषणा पत्र में अपने वादे के अनुसार सरकार धान की खरीदी नहीं कर रही है. जितना बीजेपी सरकार में खरीदा जाता था. उतना ही यह सरकार भी धान की खरीदी कर रही है.
धान खरीदी को लेकर सियासत भी जारी है. बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने से भी नहीं चूक रहे है. बीजेपी का कहना है कि सरकार द्वारा किसानों का धान खरीदना ही है तो क्यों ना नवंबर में धान खरीदी करें. बीजेप का कहना है कि इसके पीछे सरकार की मंशा किसानों को परेशान करना है. बीजेपी किसानों के साथ है और किसानों के पक्ष में आवाज उठाती रहेगी.
इधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सभी सोसायटियों में उप समिति का गठन किया गया है. सरकार की तरफ से जैसे ही घोषणा होती है. धान खरीदी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. किसान कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पिछले पंद्रह सालों में पूर्ववर्ती सरकार ने धान की सुरक्षा और भंडारण के लिए कोई काम नहीं किया. कांग्रेस की सरकार इसकी व्यवस्था करते हुए सभी सोसाइटी में गोदाम और चबूतरे का निर्माण करा रही है. इसके अलावा सारे व्यवस्थाएं दुरुस्त करा रही है.