धमतरी : गंगरेल बांध के आसपास बसे 52 गांव के मछुआरों ने शासन से बांध में मछली मारने का अधिकार मांगा है. इस संबंध में एक ज्ञापन भी कलेक्टर को सौंपा गया (Fishermen demands for the right to fishing ) है. अभी तक बड़े बांधों में मछली मारने का काम फेडरेशन के माध्यम से ठेके पर दिया जाता है. लेकिन ग्रामीण चाहते है कि ये काम मछुआरा समितियों को दिया जाए. जिससे बांध के करीब रहने वालों को इसका फायदा मिल सके. मछुआरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नही मानी गई तो एनएच 30 पर चक्का जाम करेंगे.
क्या है मछुआरों की मांग : छत्तीसगढ़ नवीन मछुआ नीति में सुधार एवं गंगरेल जलाशय में मत्स्य पालन के टेंडर को निरस्त करने की मांग को लेकर सभी बांध प्रभावित 52 गांव के 12 मछुआ सहकारी समितियों द्वारा की जा रही है. 3 सितंबर से 5 सितंबर तक नेशनल हाईवे में राजाराव पठार के पास प्रतिदिन धरना प्रदर्शन एवं अंतिम दिन चक्काजाम किया जायेगा. गंगरेल बांध के डूब प्रभावित 52 गांव के 12 मछुआ सहकारी समिति (Dhamtari machuwa samiti ) ने कलेक्टर एवं एसपी को पत्र देकर कहा कि ''3 से 5 सितंबर तीन दिनों तक अपनी मांगों को लेकर राजाराव पठार में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर दो दिनों तक धरना प्रदर्शन किया जायेगा. अंतिम दिन चक्काजाम होगा.''
जल क्षेत्र में पट्टे की मांग : मछुआरों की मांग है कि वर्ष 1965 या उसके बाद भूमि डूब में आने के कारण कई परिवार विस्थापित हो गये . इसलिए उन्हें जल क्षेत्र में पट्टे पर प्राथमिकता दी जाए. समिति से जुड़े सदस्यों ने बताया कि ''गंगरेल जलाशय के 90 प्रतिशत आदिवासियों सहित 52 गांव के किसानों की जमीन डूब में आ जाने के कारण बेघर और भूमिहीन हो गये हैं.इसलिए डूब प्रभावित स्थानीय मछुआरा समितियों को पूर्व लीज पट्टे की भांति उसमें 10 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर 10 प्रतिशत लीज पर दिया जाये.'' वहीं इस सम्बंध में जिले के कलेक्टर पीएस एल्मा (Dhamtari Collector PS Elma) कहना है कि ''डूब प्रभावित मछुआ समिति ने ज्ञापन दिया है जिस पर समीक्षा कर उचित कार्रवाई की जाएगी.''