बिलासपुर: हाल ही में भारत ड्रोन महोत्सव 2022 के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ड्रोन तकनीक को लेकर भारत में जो उत्साह देखने को मिल रहा है, वह अद्भुत है. जो ऊर्जा नजर आ रही है, वह भारत में ड्रोन सर्विस और ड्रोन आधारित इंडस्ट्री की लंबी छलांग का प्रतिबिंब है. यह भारत में रोजगार के एक उभरते हुए बड़े सेक्टर की संभावनाएं दिखाती हैं. पीएम की इन्हीं बातों को बिलासपुर के प्रोफेसर सच कर रहे हैं. गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने तीन कैमरों वाला ड्रोन डिजाइन किया है. जिसका इस्तेमाल सेना में करने पर ना सिर्फ दुश्मनों पर जीत हासिल हो सकेगी बल्कि हमारे जवान भी सुरक्षित रहेंगे. (three camera drone designed by Professors of bilaspur )
बिलासपुर जीजीयू के प्रोफेसरों की टीम ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जिसमें तीन कैमरे होंगे. ड्रोन उड़ते समय तीनों कैमरे से एक साथ अलग-अलग लोकेशन की तस्वीर लेगा. तीनों कैमरे से ली गई तस्वीर को मर्ज कर एक तस्वीर बनाएगा. जिसकी एक्यूरेसी इतना ज्यादा होगी कि इस ड्रोन से लिए गए तस्वीर का सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सेना को काफी लाभ मिलेगा. इस ड्रोन के डिजाइन के पेटेंट के लिए भारत सरकार के पेटेंट मंत्रालय को भेज दिया गया है. जल्द ही 1 माह के भीतर पेटेंट होने की उम्मीद जताई जा रही है.
किसने इस ड्रोन डिजाइन को तैयार किया: तीन कैमरे वाले इस ड्रोन को बिलासपुर के गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर रोहित राजा और उनकी टीम ने तैयार किया है. ड्रोन की डिजाइन को पेटेंट भी कराया जा रहा है. डॉक्टर रोहित राजा ने बताया कि "इस समय ड्रोन डिजाइन को पेटेंट के लिए भेज दिया गया है और लगभग 1 माह के भीतर इसका पेटेंट भी हो जाएगा. इसके बाद इस डिजाइन को सेना के अनुरूप तैयार किया जाएगा. इसके लिए पहले से ही एक ऑफर है. सेना के रिटायर आला अधिकारी ने इस डिजाइन को अपनी कंपनी में तैयार करने की डिमांड भेजी है". (drone designed by Professors of Bilaspur Central University )
पहली बार होगा तीन कैमरों वाले ड्रोन का अविष्कार: भारत में अब तक डिजाइन किए गए ड्रोन में 3 कैमरे वाला ड्रोन पहली बार डिजाइन किया जा रहा है. वह भी तीनों कैमरे अलग-अलग लोकेशन की तस्वीर लेंगे और अत्यधिक एक्यूरेसी वाले ड्रोन होंगे. भारत में इस तरह का ड्रोन डिजाइन पहली बार किए जाएगा. जिसका भारत सरकार की पेटेंट मंत्रालय से पेटेंट भी करवाया जा रहा है. इसके पेटेंट होने के बाद इस डिजाइन का ड्रोन तैयार किया जाएगा. यह आने वाले समय में सेना के अन्य महत्वपूर्ण हत्यारों में सबसे खास होगा.
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टीम की मेहनत और सहयोग से तैयार हुआ ड्रोन का डिजाइन: ड्रोन डिजाइन तैयार करने वाले टीम के सदस्य प्रोफेसर डॉक्टर रोहित राजा ने बताया कि "इसके लिए पूरी टीम ने अथक मेहनत और लगन से इसे तैयार किया है. टीम का उद्देश्य है कि आने वाले समय में देश की सीमा में बिना सैनिक भेजे ही सीमा की सुरक्षा की जा सके. सीमा की चौकसी में जिन सैनिकों को जान का खतरा रहता है उनकी जान बच सकेगी और सीमा की सुरक्षा बेहतर ढंग से किया जा सकेगा. टीम ने इसके लिए लगातार दो साल मेहनत किया और इस डिजाइन को तैयार किया. आने वाले समय में सेना यदि इसका उपयोग करेगी तो उन्हें बहुत फायदा होगा".
सुदूर अंचलों में रात में भी की जा सकेगी ड्रोन से चौकसी: "डिजाइन किए तीन कैमरे वाले ड्रोन की एक्यूरेसी बहुत ज्यादा है. इसमें खास बात यह है कि ड्रोन में लगे कैमरे नाइट विजन वाले हैं. जिससे सुदूर अंचल और घने जंगल के बीच सीमा की सुरक्षा के लिए इस ड्रोन को रात में भी उपयोग कर बेहतर सीमा की चौकसी की जा सकती है. जिन जगहों पर जवान नहीं पहुंच पाएंगे. वहां भी ड्रोन पहुंच जाएगा. इसके अलावा काफी ऊंचाई से भी ड्रोन बेहतर ढंग से तस्वीर ले सकेगा और तस्वीर काफी क्लियर होगी. सीमा के भीतर प्रवेश करने वाले दुश्मनों को जल्द ही ढूंढकर उनका खात्मा किया जा सकेगा".
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नाम होगा पांचवा पेटेंट: प्रोफेसर डॉक्टर रोहित राजा ने बताया कि गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में का यह पांचवा पेटेंट होगा. जिसमें सफलतापूर्वक अविष्कार हुआ है. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल के मार्गदर्शन में उनकी टीम काम करती रही है. टीम को सहयोग के साथ ही मार्गदर्शन भी कुलपति से मिलता रहा है. नए नए अविष्कार के लिए उनके प्रोत्साहन पर ही उनकी टीम बढ़-चढ़कर खोज कर रही है.