बिलासपुरः नाबालिक को भगा कर ले जाने व उसके साथ दुष्कर्म (rape) करने के मामले में गिरफ्तार आरोपी को छुड़ाने खुद किशोरी (teenager) ने जज (Judge) से गुहार लगाई है. वहीं, उसके पिता ने आरोपी (charged) को नहीं छोड़ने की बात कहा है.
इस प्रकरण में पुलिस की भी विवेचना (Police investigation) में खामियां नजर आईं. पीड़ित किशोरी के जन्म प्रमाणपत्र (Birth certificate) के संबंध में कोई दस्तावेज (Document) प्रस्तुत नहीं किया गया. कोर्ट ने आरोपित को जमानत (Bail) पर छोड़ने का आदेश दिया है.
कोरबा जिले के बालको नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले युवक सैफ आलम व किशोरी के बीच प्रेम-संबंध चल रहा था. 27 जनवरी 2021 को किशोरी के पिता ने थाने में उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट (missing report) दर्ज कराई और उसे बहला कर भगा ले जाने का आरोप लगाया. पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 363, 366 के तहत अपराध दर्ज (crime registered) कर मामले की जांच शुरू कर दी.
22 फरवरी को आरोपी हुआ था गिरफ्तार
इस बीच 22 फरवरी को पुलिस ने आरोपित सैफ आलम व किशोरी को पकड़ लिया. इस दौरान किशोरी का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने धारा 376 व पाक्सो एक्ट (POCSO ACT) जोड़ कर आरोपित को गिरफ्तार (accused arrested) किया और जेल भेज दिया. उसने निचली अदालत (Lower court) में जमानत अर्जी (bail application) लगाई. जिसके खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट (High Court) की शरण ली. अधिवक्ता (advocate) समीर सिंह के माध्यम से दायर जमानत अर्जी में बताया गया कि पुलिस जिसे पीड़िता बता रही है, वह अपनी मर्जी से युवक के साथ गई थी.
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पटना व दिल्ली में ले रखी थी 'पनाह'
दोनों एक माह तक पटना व दिल्ली में रहे. वकील ने दावा किया कि पीड़िता बालिग (victim adult) है और दोनों एक-दूसरे से प्यार (love one another) करते हैं. शादी करना चाहते हैं. इस मामले में कोर्ट ने प्रावधान के तहत पीड़िता व उसके पिता की सहमति मांगी. सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेसिंग (video conferencing) के जरिए उनका पक्ष सुना गया. इस दौरान पीड़िता ने अपने प्रेमी को छोड़ने की गुहार लगाते हुए उससे शादी करने की बात कही. वहीं, दूसरी तरफ उसके पिता ने जमानत का विरोध (opposition to bail) किया.
पुलिस नहीं दे पाई नाबालिग होने सबूत
इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने पीड़िता के नाबालिग होने के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है. सिर्फ सरपंच द्वारा जारी जन्मप्रमाण पत्र (Birth certificate) है. जिसकी वैधानिकता (Legitimacy) नहीं है. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आरसीएस सामंत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रकरण में धारा 164 के बयान व आरोपी के जमानत के संबंध में दिए गए अभिमत के साथ ही पीड़िता की उम्र को उठाए गए सवाल व विवेचना में हुई चूक का लाभ देते हुए आरोपित की जमानत अर्जी स्वीकार कर लिया है.