बिलासपुर: कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर दिया था. राज्य में भी मार्च से सभी स्कूल और कॉलेजों में ताला लगा हुआ है. इन सबसे जहां छात्र-छात्राएं परेशान हो रहे हैं, वहीं शिक्षकों की भी परेशानियां बढ़ गई है. स्कूलों के बंद होने से निजी स्कूल संचालक और शिक्षक आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. सरकार के निर्देश जारी करने के बाद निजी स्कूल अभिभावकों से फीस नहीं ले रहे हैं, लेकिन उनके पास अब शिक्षकों को वेतन देने के भी पैसे नहीं हैं.
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लॉकडाउन की वजह से प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को 3 महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में उनके सामने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. कई शिक्षक केवल वेतन के दम पर ही अपना परिवार चला रहे हैं. उनके सामने भूखे मरने की स्थिति खड़ी हो गई है. इस बीच एक निजी स्कूल के संचालक के मुताबिक उनका पूरा बजट बच्चों की फीस पर निर्भर करता है. इन पैसों से ही वो स्कूल का मेंनटेनेंस और शिक्षकों के वेतन का पैसा निकालते हैं. अब ऑनलाइन क्लॉस शुरू होने की वजह से उनके पास फीस तो नहीं आ रहें, लेकिन शिक्षकों को स्कूल में पढ़ाने से ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है.
शिक्षकों की बढ़ी परेशानी
सरकार के आदेश के बाद सभी सरकारी और निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है. ऐसे में निजी स्कूल के शिक्षकों का काम पहले से ज्यादा बढ़ गया है. शिक्षकों को बच्चों के लिए स्टडी मटेरियल तैयार करने पड़ते हैं. इसके साथ ही उनके टेस्ट पेपर भी रेडी करने होते हैं. वेतन नहीं मिलने की वजह से इन शिक्षकों को अपने खर्च पर इंटरनेट डाटा रिचार्ज कराना पड़ रहा है, जो उनके ऊपर एक और बोझ डाल रहा है.
सरकार से लगा रहे गुहार
सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को समय पर वेतन मिल रहा है. इस स्थिति में प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि वे जल्द ही उनके लिए कोई उचित फैसला ले. वेतन की मांग को लेकर शिक्षकों ने हाईकोर्ट में पिटीशन भी दायर की है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने अभिभावकों की सुनकर उनके लिए फीस माफ कर दिया है, लेकिन अब हमारी दशा के बारे में भी विचार करे और कोई रास्ता निकालें.
सरकार कर रही विचार
शिक्षकों की इस समस्या को लेकर विधायक का कहना है कि सरकार उनकी समस्या दूर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. सरकार निजी स्कूलों पर पूरा ध्यान दे रही है. इसके अलावा कोई भी शिकायत आती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. इधर, शिक्षक लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि सरकार अभिभावकों और शिक्षकों से बात कर कोई बीच का रास्ता निकाले ताकि उनकी परेशानी दूर हो सके.